फतेहपुर, उत्तर प्रदेश – 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुसैनगंज सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की प्रत्याशी ऊषा मौर्य ने राजनीति के एक कद्दावर नाम और योगी सरकार के खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह ‘धुन्नी’ को करारी मात दी। यह जीत सिर्फ एक चुनावी मुकाबला नहीं थी, बल्कि संघर्ष, धैर्य और सामाजिक बदलाव की एक मिसाल भी बन गई।

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व

25,181 वोटों से ऐतिहासिक जीत

ऊषा मौर्य ने कुल 91,884 वोट प्राप्त कर बीजेपी के रणवेंद्र प्रताप सिंह को 25,181 वोटों से पराजित किया। बीजेपी प्रत्याशी को 66,703 वोट मिले, जबकि बसपा के फरीद अहमद 21,009 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

यह जीत और भी खास इसलिए है क्योंकि 2017 के चुनाव में ऊषा मौर्य को इसी रणवेंद्र प्रताप सिंह से 18,593 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। उस समय वह कांग्रेस की उम्मीदवार थीं।

ऊषा मौर्य का राजनीतिक सफर: कांग्रेस से सपा तक

ऊषा मौर्य का राजनीतिक जीवन 2007 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से शुरू हुआ। वे 14 वर्षों तक कांग्रेस की सक्रिय सदस्य रहीं। 2021 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा, और पार्टी ने उन्हें 2022 में हुसैनगंज से टिकट देकर जनता के सामने प्रस्तुत किया।

उनकी यह यात्रा यह दर्शाती है कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आई महिला राजनीति में दृढ़ इच्छाशक्ति से बदलाव ला सकती है।

शिक्षा और पारिवारिक जीवन

ऊषा मौर्य का जन्म 15 फरवरी 1972 को हुआ। उन्होंने 2005 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई गणेश शंकर विद्यार्थी इंटर कॉलेज, सुल्तानपुर घोष, फतेहपुर से पूरी की। वे शैक्षणिक रूप से 12वीं पास हैं, लेकिन उनका ज़मीनी जुड़ाव और राजनीतिक समझ उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है।

उनके पति, स्व. मुन्‍नालाल मौर्य, स्वयं एक जमीनी नेता रहे हैं।

मुन्‍नालाल मौर्य: एक किसान नेता से मंत्री तक का सफर

मुन्‍नालाल मौर्य का जन्म 15 सितंबर 1965 को फतेहपुर जिले के एक किसान परिवार में हुआ। वे कांशीराम की विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीति में आए। 1996 में उन्होंने बसपा के टिकट पर खागा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की और विधायक बने।

1997-98 में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा की संसदीय अनुसंधान समिति के सदस्य रहे और बाद में भाजपा सरकार में राज्य मंत्री भी बनाए गए। 2002 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

26 अप्रैल 2007 को एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया, जब वे यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान थे।

राजनीति में नया अध्याय

पति के राजनीतिक विरासत को संभालते हुए, ऊषा मौर्य ने समाजवादी पार्टी से जुड़कर न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि हुसैनगंज की जनता का विश्वास भी जीता। उनकी जीत यह दर्शाती है कि जमीनी नेता, ईमानदारी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्ति जनता के दिलों में बसते हैं।

ऊषा मौर्य की यह जीत महज एक राजनीतिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह एक महिला सशक्तिकरण, राजनीतिक संघर्ष, और जनआकांक्षाओं की विजय है। हुसैनगंज ने एक साधारण पृष्ठभूमि से निकली महिला को चुना है, जो भविष्य में क्षेत्र के विकास और न्याय की उम्मीद बनकर उभरी हैं।

UP Election Results 2022: यूपी के वोटों के अंतर से जीत का Margin Meter

फतेहपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों पर विजयी प्रत्याशी [ Fatehpur Assembly Election Results 2022 ]

विधानसभा सीटविजयी प्रत्याशीपार्टी
खागा (सुरक्षित)कृष्णा पासवानभाजपा
हुसैनगंजऊषा मौर्यासपा
अयाहशाहविकास गुप्ताभाजपा
फतेहपुरचंद्रप्रकाश लोधीसपा
जहानाबादराजेंद्र सिंह पटेलभाजपा
बिंदकीजय कुमार सिंह ‘जैकी’अपना दल (एस)

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