उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चिल्लूपार क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले राजेश त्रिपाठी का जीवन परिचय इस बात का प्रमाण है कि पत्रकारिता से राजनीति तक का रास्ता मेहनत और जनसमर्पण से ही तय होता है। उनका जन्म शिवाकांत त्रिपाठी के घर हुआ था और प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने 1985 में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
राजेश त्रिपाठी की पहचान केवल एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक संवेदनशीलता वाले कार्यकर्ता के रूप में भी होती है। चिल्लूपार के बड़हलगंज में सरयू नदी के तट पर ‘मुक्तिपथ’ का निर्माण उनके सामाजिक योगदान का एक जीवंत उदाहरण है। इसी कार्य के कारण उन्हें स्थानीय जनता मुक्तिपथ वाले बाबा या श्मशान घाट वाले बाबा के नाम से जानने लगी।
जनसेवा की राह पर: राजेश त्रिपाठी का राजनीतिक सफर
राजेश त्रिपाठी का राजनीतिक सफर 2007 में प्रारंभ हुआ, जब उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर पहली बार चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। उन्होंने तत्कालीन दिग्गज नेता हरिशंकर तिवारी को हराकर तहलका मचा दिया। पहली बार विधायक बनते ही उन्होंने क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता दी और लोकप्रियता के पथ पर आगे बढ़े।
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2012 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने हरिशंकर तिवारी को चुनौती दी। इस बार हरिशंकर तिवारी ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस के बैनर तले चुनाव लड़ा, जबकि समाजवादी पार्टी से सीपी चंद मैदान में थे। राजेश त्रिपाठी का राजनीतिक सफर तब और अधिक गौरवमय हो गया जब उन्होंने लगातार दूसरी बार हरिशंकर तिवारी को हराया। इस उपलब्धि पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उन्हें धर्मार्थ कार्य और होम्योपैथ विभाग में राज्यमंत्री बनाया।
राजेश त्रिपाठी : संघर्ष और वापसी: हार के बाद मिली बड़ी जीत
2017 के चुनाव में राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आया और राजेश त्रिपाठी ने बसपा को छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। पार्टी ने उन्हें पुनः चिल्लूपार से उम्मीदवार बनाया, लेकिन इस बार वे विनय शंकर तिवारी से 3359 मतों से हार गए। यह त्रिपाठी जी के राजनीतिक सफर में एक ठहराव जैसा था, लेकिन उन्होंने न तो हार मानी और न ही पार्टी छोड़ी।
उनकी निष्ठा और मेहनत रंग लाई और 2022 के चुनाव में उन्होंने जोरदार वापसी की। विनय शंकर तिवारी को इस बार 21,645 मतों के भारी अंतर से हराकर न केवल अपनी जीत दर्ज की, बल्कि पहली बार चिल्लूपार में भाजपा का परचम लहराया। यह एक ऐतिहासिक पल था, क्योंकि इससे पहले इस सीट पर कभी भी भाजपा की जीत नहीं हुई थी।
राजेश त्रिपाठी : स्थानीय लोकप्रियता और जनसमर्पण
राजेश त्रिपाठी का जीवन परिचय यह भी दर्शाता है कि वे केवल चुनावी नेता नहीं, बल्कि समाज से जुड़े हुए संवेदनशील जनप्रतिनिधि हैं। पत्रकारिता के अनुभव ने उन्हें जनभावनाओं को समझने की क्षमता दी, जिसका प्रभाव उनके राजनीतिक सफर पर स्पष्ट दिखाई देता है। ‘मुक्तिपथ’ जैसे प्रोजेक्टों ने उन्हें आम जनता के दिलों में स्थान दिलाया है।
जनसेवा की सच्ची मिसाल
राजेश त्रिपाठी का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर संघर्ष, सेवा और संकल्प का अद्भुत मेल है। पत्रकार से राजनेता बनने तक की उनकी यात्रा युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने न केवल राजनैतिक अस्थिरताओं का सामना किया, बल्कि हर मोड़ पर क्षेत्रीय विकास और जनकल्याण को प्राथमिकता दी।
आज वे चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के तीसरी बार निर्वाचित विधायक हैं और उनकी राजनीतिक सफर की कहानी यह बताती है कि सच्ची लगन और ईमानदारी से किया गया कार्य अंततः जनता के दिलों में घर बना ही लेता है।
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गोरखपुर ज़िले की विधानसभा सीटों का 2022 चुनाव परिणाम [ Gorakhpur Assembly Election Results 2022 ]
विधानसभा | विजेता (पार्टी) | दूसरे स्थान पर (पार्टी) | जीत का अंतर |
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कैम्पियरगंज | फतेह बहादुर (BJP) | काजल निषाद (SP) | 41,482 |
पिपराइच | महेन्द्र पाल सिंह (BJP) | अमरेन्द्र निषाद (SP) | 65,357 |
गोरखपुर शहर | योगी आदित्यनाथ (BJP) | सुभावती शुक्ला (SP) | 1,02,399 |
गोरखपुर ग्रामीण | बिपिन सिंह (BJP) | विजय बहादुर यादव (SP) | 24,070 |
सहजनवां | प्रदीप शुक्ला (BJP) | यशपाल रावत (SP) | 39,710 |
खजनी | श्रीराम चौहान (BJP) | रूपवती बेलदार (SP) | 37,271 |
चौरीचौरा | सरवन कुमार निषाद (BJP) | बृजेश चंद (SP) | 41,127 |
बांसगांव | डॉ. विमलेश पासवान (BJP) | डॉ. संजय कुमार (SP) | 26,591 |
चिल्लूपार | राजेश त्रिपाठी (BJP) | विनय शंकर तिवारी (SP) | 21,645 |
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व