उत्तर प्रदेश की राजनीति में इंद्रजीत सरोज एक ऐसा नाम है, जो सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों की लड़ाई के लिए अग्रणी रहा है। उनका जीवन परिचय बताता है कि कैसे एक साधारण किसान परिवार से आने वाले व्यक्ति ने न केवल खुद को राजनीतिक रूप से स्थापित किया, बल्कि अपनी अगली पीढ़ी को भी राजनीति में मजबूत किया।
सरल जीवन, स्पष्ट सोच: इंद्रजीत सरोज का प्रारंभिक जीवन
इंद्रजीत सरोज का जन्म 14 जनवरी 1963 को उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के नगरेहा खुर्द गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व. भाईदीन था, जो एक किसान थे। अनुसूचित जाति (पासी समाज) से संबंध रखने वाले इंद्रजीत सरोज ने अपने संघर्षों को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त की और इसी दौरान सामाजिक आंदोलनों से जुड़ गए।
बाबासाहेब अंबेडकर और कांशीराम के विचारों से प्रभावित होकर, उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। यही वह समय था जब उन्होंने गरीबों, शोषितों और पिछड़े वर्गों के हक की लड़ाई को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया।
इंद्रजीत सरोज का राजनीतिक सफर: बसपा से समाजवादी पार्टी तक
इंद्रजीत सरोज का राजनीतिक सफर 1996 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने मंझनपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर पहली बार जीत दर्ज की। यह जीत उनकी राजनीतिक पहचान की पहली सीढ़ी बनी। इसके बाद उन्होंने 2002, 2007 और 2012 में लगातार विधानसभा चुनाव जीते और मायावती सरकार में तीन बार कैबिनेट मंत्री बने।
उन्होंने सामाजिक कल्याण, अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम, बाल विकास एवं पुष्टाहार और कृषि विपणन जैसे अहम मंत्रालयों का सफल संचालन किया। उनके कार्यकाल में कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की गईं, जिससे दलित और पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश हुई।
बसपा में लंबे समय तक रहते हुए उन्होंने न सिर्फ कार्यकर्ताओं को संगठित किया, बल्कि मायावती के प्रमुख रणनीतिकारों में भी शामिल हुए। लेकिन 2017 में मंझनपुर सीट से मिली हार के बाद, और मायावती से मतभेद के चलते, उन्होंने 2018 में बसपा छोड़ दी।
सपा में नई शुरुआत और नई ऊंचाइयां
इंद्रजीत सरोज ने 2018 में समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा और पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया। उन्होंने 2019 में कौशांबी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से मंझनपुर सीट जीत ली और वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा में सपा के उप नेता के रूप में कार्यरत हैं।
उनका यह राजनीतिक सफर बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय के मूल मंत्र को साकार करता है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय और दलित उत्थान जैसे विषयों को प्राथमिकता दी।
परिवारिक विरासत: राजनीति में अगली पीढ़ी का आगमन
इंद्रजीत सरोज के जीवन परिचय में एक महत्वपूर्ण अध्याय उनके बेटे पुष्पेंद्र सरोज की राजनीति में एंट्री है। पुष्पेंद्र सरोज, जो 2024 में कौशांबी (सुरक्षित) लोकसभा सीट से देश के सबसे युवा सांसद बने, ने अपने पिता के अधूरे सपनों को नया आयाम दिया है।
पुष्पेंद्र ने वेलहम बॉयज स्कूल देहरादून से शिक्षा प्राप्त की और फिर लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से बीएससी (अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट) की डिग्री हासिल की। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनोद सोनकर को 1,03,944 वोटों से हराकर इतिहास रच दिया।
इस जीत से न केवल इंद्रजीत सरोज की 2019 की हार का जवाब मिला, बल्कि यह साबित हुआ कि सामाजिक न्याय की लड़ाई अब एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच चुकी है।
इंद्रजीत सरोज का जीवन परिचय और उनका राजनीतिक सफर हमें यह सिखाता है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो और विचार दृढ़ हों, तो किसी भी परिस्थिति में आगे बढ़ा जा सकता है। एक साधारण किसान परिवार से निकलकर पांच बार विधायक बनना, मंत्री रहना और फिर अपनी अगली पीढ़ी को भी सफल राजनीतिक दिशा देना – यह सब इंद्रजीत सरोज की दूरदृष्टि और मेहनत का परिणाम है।
क्रम | अवधि | पद / भूमिका |
---|---|---|
1 | सितम्बर-अक्टूबर 1996 | तेरहवीं विधान सभा में सदस्य (प्रथम बार निर्वाचित) |
2 | 1997-1998 | सदस्य, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति |
3 | 1997-1998 | सदस्य, याचिका समिति |
4 | 2001 | सचेतक, बहुजन समाज पार्टी, विधान मण्डल दल |
5 | फरवरी, 2002 | चौदहवीं विधान सभा में सदस्य (दूसरी बार निर्वाचित) |
6 | मई 2002 – अगस्त 2003 | मंत्री, समाज कल्याण, अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम, उ.प्र. सरकार |
7 | 2002-2003 | अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम |
8 | 2002-2003 | सदस्य, कार्य मंत्रणा समिति |
9 | अप्रैल-मई 2007 | पन्द्रहवीं विधान सभा में सदस्य (तीसरी बार निर्वाचित) |
10 | मई 2007 – मार्च 2012 | मंत्री, समाज कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार, कृषि विपणन, अनुसूचित जाति व जनजाति विभाग (सुश्री मायावती मंत्रिमंडल) |
11 | 2007-2012 | सदस्य, नियम समिति |
12 | 2007-2012 | सदस्य, विशेषाधिकार समिति |
13 | 2007-2012 | सदस्य, कार्य मंत्रणा समिति |
14 | 2012-2017 | सोलहवीं विधान सभा में सदस्य (चौथी बार निर्वाचित) |
15 | मार्च, 2022 | अट्ठारहवीं विधान सभा में सदस्य (पांचवीं बार निर्वाचित) |
कौशांबी जिले की विधानसभा सीटों और विजयी प्रत्याशी Kaushambhi Assembly Election Results 2022
क्रम संख्या | विधानसभा सीट | विजयी प्रत्याशी | पार्टी |
---|---|---|---|
1 | चायल | पूजा पाल | समाजवादी पार्टी (सपा) |
2 | सिराथू | पल्लवी पटेल | समाजवादी पार्टी (सपा) |
3 | मंझनपुर (सुरक्षित) | इंद्रजीत सरोज | समाजवादी पार्टी (सपा) |