पूजा पाल, एक नाम जो आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में संघर्ष, साहस और सेवा का पर्याय बन चुका है, का जन्म 19 जुलाई 1979 को प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में हुआ था। वह एक हिन्दू गडेरिया (पिछड़ी जाति) समुदाय से आती हैं। उनके पिता का नाम श्री अमृतपाल है। पूजा पाल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है, जिसमें उन्होंने बी.एड. और एलएल.बी. की डिग्रियां हासिल कीं।

https://twitter.com/poojaplofficial/status/1912022226205024448

साल 2005 में उनकी शादी राजू पाल से हुई, जो उस समय बसपा के विधायक थे। लेकिन विवाह के केवल 10 दिन बाद, 25 जनवरी 2005 को, प्रयागराज की सड़कों पर उनके पति की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इस दुखद घटना ने पूजा पाल के जीवन की दिशा ही बदल दी। उसी पल से उन्होंने न्याय की लड़ाई और समाज सेवा के रास्ते को अपनाया।

वह 2008 से 2022 तक “राजू पाल सेवा समिति” की अध्यक्ष रहीं, जिसका उद्देश्य गरीबों, महिलाओं और पीड़ितों की सहायता करना था।


पूजा पाल : राजनीतिक सफर

एक दर्दनाक शुरुआत और पहली राजनीतिक पारी

पूजा पाल का राजनीतिक सफर उस समय शुरू हुआ जब उन्हें अपने पति की हत्या के बाद उपजे जनसमर्थन और सहानुभूति के चलते राजनीति में उतरना पड़ा। बसपा ने उन्हें 2005 में हुए उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस चुनाव में उन्हें अतीक अहमद के भाई अशरफ से शिकस्त मिली। उस चुनाव को लेकर कई आरोप-प्रत्यारोप और धांधली की अफवाहें भी सामने आई थीं।

2007 में मिली पहली जीत

पूरे प्रदेश में जब बसपा की लहर चली, तो पूजा पाल ने प्रयागराज पश्चिम सीट से पहली बार जीत हासिल की और 2007 में 15वीं विधानसभा की सदस्य बनीं। यह उनकी राजनीतिक क्षमता का पहला बड़ा प्रमाण था। उन्होंने महिला एवं बाल विकास संबंधी संयुक्त समिति की सदस्यता भी निभाई।

2012 में फिर जीतीं

2012 में एक बार फिर उन्होंने वही सीट जीती और 16वीं विधानसभा में सदस्य बनीं। इस बार भी उन्होंने महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों की आवाज उठाने में अपनी भूमिका को बखूबी निभाया।

2017 में मिली हार और दल बदल का दौर

2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह तीसरे स्थान पर रहीं। इस चुनाव में भाजपा के सिद्धार्थनाथ सिंह विजयी रहे, जबकि सपा की ऋचा सिंह दूसरे स्थान पर थीं। इसके बाद बसपा से उनके रिश्ते कमजोर पड़ने लगे।

कुछ समय बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात को लेकर विवाद हुआ, जिससे बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। पूजा पाल ने सफाई दी कि वह केवल राजू पाल हत्या कांड में न्याय की मांग को लेकर मौर्य से मिली थीं।


समाजवादी पार्टी में नई शुरुआत

2019 में सपा ज्वाइन करना: विचारों का मेल

विवादों के बाद पूजा पाल ने 2019 में समाजवादी पार्टी जॉइन की। यह कदम कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि सपा के शासन काल में ही उनके पति की हत्या हुई थी। लेकिन पूजा ने स्पष्ट किया कि उन्हें अखिलेश यादव की सोच में समानता दिखाई दी, खासतौर पर जब अखिलेश ने माफिया अतीक अहमद को पार्टी से बाहर किया था।

2022 में कौशांबी की चायल सीट से जीत

2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने उन्हें कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट से टिकट दिया। यहां उन्होंने शानदार जीत दर्ज की और अट्ठारहवीं विधानसभा की सदस्य बनीं। यह जीत न केवल उनका व्यक्तिगत विजय थी, बल्कि यह दर्शाती है कि जनता आज भी न्याय, ईमानदारी और सेवा को तवज्जो देती है।


नारी नेतृत्व और सामाजिक योगदान

पूजा पाल ने अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में महिलाओं, गरीबों और पीड़ितों की समस्याओं को सदन में उठाने का काम किया है। वह लगातार महिला एवं बाल विकास समिति की सदस्य रही हैं और क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं।


राजनीतिक सफर की मिसाल हैं पूजा पाल

पूजा पाल का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर सिर्फ एक विधवा की राजनीतिक उन्नति की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर खड़ी होती हैं। पति की हत्या के बाद न्याय की लड़ाई से लेकर विधानसभा की कुर्सी तक, उन्होंने दिखा दिया कि राजनीति में नारी शक्ति सिर्फ मौजूद नहीं, बल्कि प्रभावशाली भी है।

कौशांबी जिले की विधानसभा सीटों और विजयी प्रत्याशी Kaushambhi Assembly Election Results 2022

क्रम संख्याविधानसभा सीटविजयी प्रत्याशीपार्टी
1चायलपूजा पालसमाजवादी पार्टी (सपा)
2सिराथूपल्लवी पटेलसमाजवादी पार्टी (सपा)
3मंझनपुर (सुरक्षित)इंद्रजीत सरोजसमाजवादी पार्टी (सपा)
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें