चंदौली जिले की चारों विधानसभा सीटों पर 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिला। सैयदराजा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुशील सिंह विजेता बने। वहीं, मुगलसराय सीट से बीजेपी के ही रमेश जायसवाल ने जीत हासिल की। चकिया सीट पर भी बीजेपी ने अपना दबदबा कायम रखते हुए कैलाश खरवार को विजयी बनाया। हालांकि, समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी जिले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और सकलडीहा सीट से प्रभु नारायण सिंह यादव ने जीत दर्ज की। इस प्रकार, चंदौली जिले की चार में से तीन सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा, जबकि एक सीट सपा के खाते में गई। क्या आपके विधायक दलबदलू हैं?

क्या आपके विधायक दलबदलू हैं?

राजनीति में विचारधारा से अधिक व्यक्तिगत लाभ और सत्ता का समीकरण कई बार नेताओं को पार्टी बदलने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे नेताओं को आमतौर पर ‘दलबदलू’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कई विधायक ऐसे हैं जिन्होंने समय-समय पर अपने दल बदले हैं—कभी विचारधारा के नाम पर तो कभी टिकट की मजबूरी में। चुनावी समय में यह सवाल आम हो जाता है कि क्या आपके विधायक वास्तव में अपनी मूल विचारधारा पर टिके हैं या उन्होंने राजनीतिक अवसरवाद अपनाया है?

इसलिए, यह जरूरी हो गया है कि मतदाता अपने क्षेत्र के विधायक का राजनीतिक इतिहास जानें और तय करें कि उनके नेता विचारधारा के प्रति ईमानदार हैं या महज सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में रुचि रखते हैं।

1 सैयदराजा विधानसभा सीट : सुशील सिंह (बीजेपी)

सुशील सिंह का राजनीतिक सफर संघर्ष, अनुभव और लगातार मिलती सफलता की मिसाल रहा है। उन्होंने अब तक कुल पाँच विधानसभा चुनाव लड़े हैं, जिनमें से चार में जीत दर्ज की है और एक में केवल 26 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। उनका राजनीतिक जीवन वर्ष 2002 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से शुरू हुआ, जब उन्होंने धानापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें समाजवादी पार्टी के प्रभुनारायण सिंह यादव के हाथों बेहद कम अंतर से पराजय झेलनी पड़ी थी।

इसके बाद वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और पिछली हार का बदला लेते हुए प्रभुनारायण सिंह यादव को पराजित कर पहली बार विधायक बने। 2012 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सकलडीहा सीट से चुनाव लड़ा और एक बार फिर प्रभुनारायण सिंह को शिकस्त दी। यह जीत उनके जनाधार और व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभाव का प्रमाण थी।

वर्ष 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा और सैयदराजा सीट से चुनाव लड़ा। इस बार उन्होंने बसपा के उम्मीदवार विनीत सिंह को हराकर तीसरी बार विधानसभा का रास्ता तय किया। 2022 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में सैयदराजा सीट से चुनाव लड़ा और सपा के प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह डब्लू को पराजित करते हुए चौथी बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया।

सुशील सिंह का यह राजनीतिक सफर विभिन्न दलों में रहते हुए लगातार जनविश्वास अर्जित करने की क्षमता का परिचायक है।

क्या आपके विधायक दलबदलू हैं ? : सुशील सिंह का राजनीतिक सफर विभिन्न दलों में रहा है

2 मुगलसराय विधानसभा सीट : रमेश जायसवाल (बीजेपी)

रमेश जायसवाल का राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से शुरू हुआ और उन्होंने प्रारंभ से ही पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। पार्टी के लिए उनकी निष्ठा और अनुशासन ने उन्हें भाजपा के काशी क्षेत्र संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दिलाई.

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें मुगलसराय विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया। चुनाव में रमेश जायसवाल ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव को 14,921 वोटों के अंतर से हराकर एक शानदार जीत दर्ज की।

रमेश जायसवाल ने राजनीतिक सफर में मूल विचारधारा वाले विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

3 चकिया विधानसभा सीट : कैलाश खरवा (बीजेपी)

कैलाश खरवार का राजनीतिक सफर 15 वर्ष की उम्र में जनसंघ से जुड़कर शुरू हुआ। संघ विचारधारा से प्रेरित होकर उन्होंने वर्षों तक निस्वार्थ समाजसेवा की। 2022 में भाजपा ने उन्हें चकिया (सुरक्षित) सीट से उम्मीदवार बनाया। उस समय वे सरकारी सेवा में थे, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लिया। यह जोखिम भरा निर्णय था, लेकिन जनता के विश्वास और पार्टी के समर्थन से उन्होंने जीत हासिल की और विधायक बने।

मूल विचारधारा वाले विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

4 सकलडीहा विधानसभा सीट : प्रभु नारायण सिंह यादव (सपा)

प्रभु नारायण सिंह यादव का राजनीतिक सफर ग्राम प्रधान के रूप में 1986 में शुरू हुआ। इसके बाद वे दो बार जिला पंचायत सदस्य बने और क्षेत्र में समाजवादी विचारधारा के सशक्त नेता के रूप में उभरे। उन्होंने 1996 में पहली बार समाजवादी पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ा और बसपा के ज्ञानेंद्र कुमार को हराकर जीत दर्ज की। 2002 में भी उन्होंने बसपा के सुशील सिंह को मात्र 26 वोटों के अंतर से हराकर अपनी रणनीतिक क्षमता को सिद्ध किया।

हालांकि 2007 और 2012 में उन्हें सुशील सिंह से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2017 में सकलडीहा सीट से उन्होंने भाजपा के सूर्यमुनि तिवारी को हराकर विधायक पद पर वापसी की। 2022 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में भाजपा के सूर्यमुनि तिवारी को 16,661 वोटों के बड़े अंतर से पराजित कर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।

राजनीतिक सफर में मूल विचारधारा वाले विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

सैयदराजा विधानसभा सीट: सुशील सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
सुशील सिंह का राजनीतिक सफर विभिन्न दलों में रहा है। उन्होंने बसपा से शुरुआत की, निर्दलीय भी चुनाव लड़ा और अब भाजपा में हैं। उन्हें एक दलबदलू विधायक की श्रेणी में रखा जा सकता है।

मुगलसराय विधानसभा सीट: रमेश जायसवाल (भारतीय जनता पार्टी)
रमेश जायसवाल ने भाजपा से ही अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और अब तक उसी विचारधारा से जुड़े हैं। इसलिए वह मूल विचारधारा वाले विधायक माने जाते हैं।

चकिया विधानसभा सीट: कैलाश खरवार (भारतीय जनता पार्टी)
कैलाश खरवार ने अपने जीवन की शुरुआत जनसंघ से की थी और आज भाजपा में हैं। उनका सफर विचारधारा-निष्ठ रहा है। अतः वे भी मूल विचारधारा वाले विधायक हैं।

सकलडीहा विधानसभा सीट: प्रभु नारायण सिंह यादव (समाजवादी पार्टी)
प्रभु नारायण सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से ही लगातार राजनीति की है और विभिन्न चुनावों में इसी पार्टी से प्रतिनिधित्व किया है। वह भी मूल विचारधारा वाले विधायक हैं।

चार में से तीन विधायक मूल विचारधारा से जुड़े रहे हैं, जबकि एक विधायक (सुशील सिंह) ने कई दलों का दामन थामा है, इसलिए उन्हें दलबदलू विधायक कहा जा सकता है।

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