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बहराइच जिले के विधायक: कौन हैं निष्ठावान, कौन हैं ‘आया राम गया राम’?

बहराइच जिले के विधायक Aaya Ram Gaya Ram MLAs of bahraich 2022

बहराइच जिले के विधायक Aaya Ram Gaya Ram MLAs of bahraich 2022

बहराइच जिले के विधायक: बहराइच जिले में सात विधानसभा सीटें हैं: बलहा (282), नानपारा (283), मटेरा (284), महसी (285), बहराइच (286), पयागपुर (287) और कैसरगंज (288)। 2022 के चुनावों में भाजपा (BJP) ने इनमें से पाँच सीटों पर जीत हासिल की हैं।

बहराइच जिले की विधानसभा सीटें एवं वर्तमान विधायक (2022):

विधानसभा कोडसीट का नामवर्तमान विधायकपार्टी
282बलहासरोज सोनकरBJP
283नानपाराराम निवास वर्माअपना दल (एस)
284मटेरामारिया अली शाहSP
285महसीसुरेश्वर सिंहBJP
286बहराइचअनुपमा जायसवालBJP
287पयागपुरसुभाष त्रिपाठीSP
288कैसरगंजआनंद कुमार यादवSP

बहराइच जिले के वर्तमान विधायकों की राजनीतिक यात्रा पर एक नजर डालते हैं, यह जानने के लिए कि कौन से नेता अपनी मूल विचारधारा के प्रति निष्ठावान रहे हैं और कौन से नेता ‘आया राम गया राम’ की श्रेणी में आते हैं।

कौन हैं बहराइच जिले के विधायक निष्ठावान ?

1. अनुपमा जायसवाल (बहराइच सदर – भाजपा)
अनुपमा जायसवाल ने 2017 में भाजपा के टिकट पर बहराइच सदर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बनीं। वह 2017 से 2019 तक उत्तर प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा, बाल विकास और पोषण मंत्री रहीं। 2022 में उन्होंने पुनः भाजपा से चुनाव जीतकर विधायक पद प्राप्त किया। उनकी राजनीतिक यात्रा भाजपा के साथ ही रही है।

2. सुभाष त्रिपाठी (पयागपुर – भाजपा)
सुभाष त्रिपाठी ने भारतीय जनता पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1998 में वे बहराइच-श्रावस्ती से विधान परिषद सदस्य चुने गए। 2012 में परिसीमन के बाद बनी पयागपुर सीट से उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2017 में उन्होंने सपा के मुकेश श्रीवास्तव को बड़े अंतर से हराकर जीत हासिल की और 2022 में पुनः विधायक बने। लगातार दो बार की जीत ने उन्हें बहराइच जिले की राजनीति में एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित कर दिया। उनकी राजनीतिक यात्रा भाजपा के साथ ही रही है।

3. सरोज सोनकर (बलहा – भाजपा)
सरोज सोनकर ने सामाजिक कार्यों से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। 2013 से 2016 तक वह एससी/एसटी वेलफेयर बोर्ड और दूरसंचार विभाग में सदस्य रहीं। 2016 से 2019 तक नागर विमानन मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति में भी योगदान दिया। 2018 में भाजपा महिला मोर्चा की अवध क्षेत्रीय मंत्री और 2012 से अखिल भारतीय निर्बल वर्ग विकास समिति की अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।

राजनीति में उनकी असली एंट्री 2019 के उपचुनाव से हुई, जब उन्होंने बलहा विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर 46,481 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने 1,00,483 वोट प्राप्त कर दोबारा विधायक बनने में सफलता पाई। उनका यह सफर सामाजिक सक्रियता से राजनीतिक नेतृत्व तक का सशक्त उदाहरण है।

4. राम निवास वर्मा ( नानपाराअपना दल (एस) )

राम निवास वर्मा का राजनीतिक सफर एक जमीनी कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ। वे लंबे समय से अपना दल (एस) के सक्रिय सदस्य रहे हैं। वर्ष 2016 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी सौंपी, जिसके बाद वे राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के रूप में भी कार्यरत रहे।

सामाजिक क्षेत्र में भी वर्मा की सक्रियता उल्लेखनीय रही है। सरदार पटेल सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई पहल कीं।

राजनीतिक दृष्टि से उनका सबसे महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में आया, जब उन्होंने नानपारा सीट से जीत दर्ज की। यह चुनाव अपना दल (एस) ने भाजपा के गठबंधन में मिलकर लड़ा था और कुल 17 में से 12 सीटों पर विजय प्राप्त की। राम निवास वर्मा न केवल नानपारा से विधायक बने बल्कि उन्हें अपना दल (एस) के उत्तर प्रदेश विधानमंडल दल का नेता भी चुना गया।

उनकी यह सफलता उनके संगठनात्मक अनुभव, सामाजिक कार्यों में भागीदारी और जनता से जुड़ाव की बदौलत संभव हुई है। यह राजनीतिक सफर उन्हें प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित करता है।

5. मारिया अली शाह ( मटेरासपा )

राजनीतिक सफर की बात करें तो मारिया अली शाह का नाम उन चुनिंदा नेताओं में आता है, जिन्होंने अपनी पारिवारिक राजनीतिक विरासत को न सिर्फ संभाला, बल्कि खुद को एक स्वतंत्र नेता के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि से राजनीति में प्रवेश

मारिया अली शाह का राजनीतिक सफर पूरी तरह उनके पति यासर शाह के साथ जुड़ा रहा है, जो खुद एक मजबूत और अनुभवी सपा नेता हैं। उन्होंने लंबे समय तक यासर शाह के राजनीतिक अभियानों में सहयोग किया और जनता से संवाद बनाए रखा।

2022 का चुनाव: पहली बार उम्मीदवार

वर्ष 2022 में मारिया अली शाह ने पहली बार मटेरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। यह सीट पिछले एक दशक से सपा के कब्जे में रही है। इस बार उन्हें खुद चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती मिली और साथ ही सपा की परंपरा को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी।

6. सुरेश्वर सिंह (महसी – भाजपा)

सुरेश्वर सिंह का राजनीतिक सफर उनके पिता स्वर्गीय सुखद राज सिंह की राजनीति से जुड़ी विरासत से प्रेरित रहा है। उनके पिता ने 1974 में जनसंघ और 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी, जो सुरेश्वर सिंह के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।

पहला मौका और सफलता

सुरेश्वर सिंह को 2017 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने महसी विधानसभा सीट से टिकट दिया। यह उनके राजनीतिक करियर का अहम मोड़ था, क्योंकि वे पहली बार विधायक बने और अपने पिता की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाया।

7. आनंद कुमार यादव (कैसरगंज – सपा)

आनंद कुमार यादव का राजनीतिक सफर कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच रहकर सेवा कार्यों के माध्यम से शुरू हुआ। उन्होंने स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया और समाजवादी विचारधारा के साथ जुड़कर अपना राजनीतिक आधार तैयार किया।

2017 तक: भाजपा का गढ़

2017 तक कैसरगंज सीट पर लगातार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा। यह सीट लंबे समय से भाजपा के प्रभाव में थी और विपक्षी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण मानी जाती थी।

2022 विधानसभा चुनाव: नया मोड़

2022 में आनंद कुमार यादव ने पहली बार समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी गौरव वर्मा को कड़े मुकाबले में 7,711 वोटों के अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

बहराइच जिले में विधायक अपनी मूल विचारधारा के प्रति निष्ठावान रहे हैं.

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