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बागपत जिला ~ क्या आपके विधायक दलबदलू हैं ? जानिए सच्चाई

बागपत जिला ~ क्या आपके विधायक दलबदलू हैं ? जानिए सच्चाई - Aaya Ram Gaya Ram MLAs of baghpat 2022

बागपत जिला ~ क्या आपके विधायक दलबदलू हैं ? जानिए सच्चाई - Aaya Ram Gaya Ram MLAs of baghpat 2022

बागपत जिले के वर्तमान विधायकों की राजनीतिक यात्रा में विभिन्न विचारधाराओं और दलों के प्रति उनकी निष्ठा का स्पष्ट चित्रण मिलता है। कुछ नेता अपनी मूल पार्टी के प्रति समर्पित रहे हैं, जबकि कुछ ने समय-समय पर विधायक दलबदलू ‘आया राम, गया राम’ की राजनीति को अपनाया है।

बागपत जिले के वर्तमान विधायकों का राजनीतिक विश्लेषण

1. योगेश धामा (विधायक, बागपत) – दल बदलू नेता ?

योगेश धामा का राजनीतिक सफर उनके छात्र जीवन की दहलीज़ से ही प्रारंभ हो गया था। वर्ष 1997 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रतिनिधि के रूप में श्यामलाल कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर विजय प्राप्त की, जो उनके सार्वजनिक जीवन की पहली प्रमुख उपलब्धि थी। इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) से जुड़कर स्थानीय राजनीति में गहरी पैठ बनाई और 2005 से 2015 तक बागपत जिला पंचायत में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी रणनीतिक क्षमताओं का परिचय दिया। इस दौरान उन्होंने न केवल स्वयं को एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुना बल्कि दो बार अपनी पत्नी रेणु धामा को इस पद पर पहुँचाने में भी कामयाबी हासिल की, जो उनकी संगठनात्मक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

नवंबर 2016 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के साथ ही उनके राजनीतिक करियर ने एक नया मुकाम हासिल किया। इस पार्टी से जुड़ाव ने न केवल उन्हें जिले की प्रमुख राजनीतिक धारा में स्थापित किया बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बागपत सीट से भाजपा की ऐतिहासिक जीत का आधार भी बना। धामा का यह सफर उनकी रणनीतिक सोच और दल-संबंधों में लचीलेपन का प्रतीक है

2. कृष्णपाल मलिक (विधायक, बड़ौत) – मूल विचारधारा वाले नेता

के पी मलिक साल 1988 में नगरपालिका बड़ौत से पहली बार सभासद बने. साल 1990 में वो नगरपालिका बड़ौत से चेयरमैन बने. इसके बाद साल 1996 में खाद्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उन्हें उत्तरी परिक्षेत्र के निदेशक के तौर पर नामित किया गया. 1999 में उप्र सरकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के मेरठ व सहारनपुर मंडल के निर्विरोध निदेशक बने. 2004 में स्थानीय निकाय (प्राधिकारी क्षेत्र- मेरठ, ग़ाज़ियाबाद, बागपत, हापुड़) से सदस्य, विधान परिषद के रूप में निर्वाचित हुए . 

इसके बाद केपी मलिक साल 2005 में लगातार तीसरी बार यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के मेरठ व सहारनपुर मंडल के निर्विरोध निदेशक चुने गए. साल 2012 में नगरपालिका बड़ौत के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए. साल 2017 में उन्होंने बड़ौत विधानसभा सीट से बड़ी जीत हासिल की और विधायक बन गए. 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने रालोद प्रत्याशी जयवीर तोमर को हराकर बड़ौत सीट से जीत दर्ज की. इस बार उन्हें योगी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है.

3. डॉ. अजय कुमार (विधायक, छपरौली) – मूल विचारधारा वाले नेता

डॉ. अजय कुमार ने 1980 से 1982 के बीच युवा लोकदल के मंडल उपाध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। 1983 में वे पंतनगर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बने, जहां उन्होंने छात्र राजनीति में अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। वर्ष 2002 में उन्होंने छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने विधानसभा की विभिन्न समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 2022 में एक बार फिर से विधायक चुना गया

बागपत जिले के वर्तमान विधायकों में से:

बागपत जिले में अधिकांश विधायक अपनी मूल पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे हैं, जबकि कुछ ने राजनीतिक लाभ के लिए दल बदल का रास्ता अपनाया है।

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