जानिए कौन हैं विनोद सिंह ?
राजनीति में लंबा सफर तय करने वाले विनोद सिंह का जन्म 14 अगस्त 1957 को सुल्तानपुर जिले में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय केदारनाथ सिंह (के.एन. सिंह) केंद्र सरकार में मंत्री, लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्य, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली, लेकिन उन्होंने अपने दम पर अपनी पहचान बनाई।
विनोद सिंह का प्रारंभिक जीवन और जीवन परिचय
शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि
विनोद सिंह का जीवन परिचय शिक्षा और सामाजिक सेवा से जुड़ा रहा है। उन्होंने एम.ए. और एलएल.बी. की पढ़ाई पूरी की और वकालत को अपने पेशे के रूप में चुना। 1985 में आशा सिंह से उनका विवाह हुआ, जिनसे उन्हें एक पुत्र और एक पुत्री हैं।
उनके पिता द्वारा स्थापित कमला नेहरू शिक्षण संस्थान आज जिले में शिक्षा का एक बड़ा केंद्र बन चुका है। विनोद सिंह स्वयं 1999 से ट्रस्ट के सचिव और सभी 18 कॉलेजों के प्रबंधक के रूप में सक्रिय हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान बहुचर्चित और सराहनीय है।
भाजपा सरकार में प्रदेशवासी महंगे इलाज की चिंता से मुक्त हुए हैं, पात्र व्यक्ति योजना से लाभान्वित हों रहें हैं।
— Vinod Singh (@VinodSinghSLN) May 4, 2025
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राजनीतिक सफर : विनोद सिंह की राजनीति में उठापटक की कहानी
विनोद सिंह का शुरुआती राजनीतिक सफर
विनोद सिंह का राजनीतिक सफर कांग्रेस पार्टी से शुरू हुआ। वर्ष 2002 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लम्भुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जॉइन की और लम्भुआ से जीत दर्ज कर मायावती सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ पर्यटन राज्य मंत्री बने।
यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला बड़ा मोड़ था, जहां उन्होंने खुद को एक सशक्त जनप्रतिनिधि और मंत्री के रूप में स्थापित किया।
लगातार हार और दल परिवर्तन की प्रक्रिया
2012 और 2017 में उन्होंने फिर से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में मायावती ने उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया। इसके बाद विनोद सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करना शुरू किया और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के प्रचार में सक्रिय नजर आए।
उनकी संघ के साथ निकटता इस बात से भी स्पष्ट होती है कि उन्होंने आरएसएस कार्यालय के लिए अपनी जमीन दान में दी थी।
2022 में भाजपा से चुनाव जीतकर की शानदार वापसी
2022 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर सुल्तानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उनके सामने सपा के अनुप सांदा, कांग्रेस के फिरोज़ खान और बसपा के डॉ. देवी सहाय मिश्रा जैसे प्रत्याशी थे। इस जीत ने उन्हें पुनः राजनीति की मुख्यधारा में ला खड़ा किया।
इस जीत के साथ विनोद सिंह अट्ठारहवीं विधानसभा के सदस्य बने और उन्होंने यह साबित कर दिया कि जनता आज भी अनुभवी और जमीनी नेता पर विश्वास करती है।
शिक्षा और समाजसेवा में योगदान
विनोद सिंह सिर्फ एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी और शिक्षाविद् भी हैं। उनके द्वारा संचालित कमला नेहरू शिक्षण संस्थान और उससे जुड़े कॉलेजों ने हजारों छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराई है। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी सक्रियता और योगदान ने उन्हें सुल्तानपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में एक विशेष स्थान दिलाया है।
सुल्तानपुर विधानसभा चुनाव 2022: Sultanpur Assembly Election Results 2022
विधानसभा सीट | विजेता उम्मीदवार | पार्टी |
---|---|---|
इसौली | मोहम्मद ताहिर खान | सपा |
कादीपुर | राजेश कुमार गौतम | भाजपा |
लंभुआ | सीताराम वर्मा | भाजपा |
सुल्तानपुर सदर | राज प्रसाद उपाध्याय | भाजपा |
सुल्तानपुर | विनोद सिंह | भाजपा |