जानिए कौन हैं रामकृष्ण भार्गव ?
रामकृष्ण भार्गव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अनुभवी और स्थिर चेहरा माने जाते हैं। उनका जन्म 1 जुलाई 1952 को सीतापुर जिले के मधवापुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय रघुनन्दन प्रसाद था। अनुसूचित जाति (पासी) समुदाय से आने वाले रामकृष्ण भार्गव हिन्दू धर्म में आस्था रखते हैं। शिक्षा के रूप में उन्होंने इंटरमीडिएट तक अध्ययन किया है।
22 मई 1974 को उनका विवाह श्रीमती मिथलेश कुमारी से हुआ, जिनका जन्म 13 अगस्त 1961 को हुआ था। उनके दो पुत्र हैं। व्यवसाय के तौर पर वे कृषि और खुदरा व्यापार (दुकानदारी) से जुड़े रहे हैं। एक आम ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने प्रदेश की राजनीति में लगातार सक्रियता बनाए रखी है।
रामकृष्ण भार्गव का जीवन परिचय : सामाजिक कार्य से राजनीतिक मंच तक
रामकृष्ण भार्गव का जीवन परिचय केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वे 1980 से उत्तर प्रदेश डेस्को लखनऊ के अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा, 2007 से वे संत राम सावित्री देवी इंटर कॉलेज गामाबाग, मछरेहट्टा सीतापुर के उपाध्यक्ष के रूप में भी सेवा दे रहे हैं।
एक ग्रामीण पृष्ठभूमि और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने सामाजिक कार्यों के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराई। उनके अनुभव और सहभागिता ने उन्हें विभिन्न जनसमूहों के बीच एक सशक्त प्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया।
रामकृष्ण भार्गव का राजनीतिक सफर : बहु-पार्टी अनुभव और विधायी योगदान
रामकृष्ण भार्गव का राजनीतिक सफर कई दशकों और विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुभवों से होकर गुज़रा है। उन्होंने 1984 में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर मछरेहट्टा विधानसभा क्षेत्र से नवीं विधान सभा में सदस्यता प्राप्त की। इसके बाद 1991 में वे पुनः कांग्रेस के टिकट पर ग्यारहवीं विधान सभा के लिए चुने गए।
2002 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से चुनाव लड़ा और तीसरी बार मछरेहट्टा से विधायक बने। इस कार्यकाल में उन्हें श्री मुलायम सिंह यादव मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री का पदभार भी सौंपा गया। 2017 में वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े और सत्रहवीं विधान सभा में चौथी बार विधायक बने। इसके बाद 2022 में मिश्रिख विधानसभा सीट से अठ्ठारहवीं विधान सभा में भी भाजपा के ही टिकट पर पांचवीं बार विजयी हुए।
विधानसभा समितियों में सक्रिय भूमिका
रामकृष्ण भार्गव ने विधानसभा में सिर्फ विधायकी तक अपनी भूमिका सीमित नहीं रखी। 2017 से 2019 तक वे अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रहे। इसके बाद 2019 से 2022 तक लोक लेखा समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।
इस भूमिका में उन्होंने सामाजिक न्याय, वित्तीय पारदर्शिता और नीति निगरानी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भागीदारी निभाई। इससे स्पष्ट होता है कि रामकृष्ण भार्गव का जीवन परिचय केवल निर्वाचनों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने विधायी कार्यों में भी गहरी समझ और सहभागिता दिखाई।
रामकृष्ण भार्गव का राजनीतिक और सामाजिक सफर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी—इन तीनों दलों से जुड़कर उन्होंने विभिन्न विचारधाराओं के साथ काम किया है।
रामकृष्ण भार्गव का राजनीतिक सफर बताता है कि उन्होंने हर दल के साथ रहते हुए जनहित को सर्वोपरि रखा और जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने की कोशिश की।
सीतापुर जिले की 2022 विधानसभा चुनाव परिणाम : Sitapur Assembly Election Results 2022
क्रम | विधानसभा सीट | विजेता उम्मीदवार | पार्टी |
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1 | सीतापुर सदर | राकेश राठौर | भाजपा |
2 | हरगांव | सुरेश राही | भाजपा |
3 | लहरपुर | अनिल कुमार वर्मा | सपा |
4 | बिसवां | निर्मल वर्मा | भाजपा |
5 | सेवता | ज्ञान तिवारी | भाजपा |
6 | महमूदाबाद | आशा मौर्य | भाजपा |
7 | सिधौली | मनीष रावत | भाजपा |
8 | मिश्रिख | रामकृष्ण भार्गव | भाजपा |
9 | महोली | शशांक त्रिवेदी | भाजपा |