कौन हैं रघुराज प्रताप सिंह ?
रघुराज प्रताप सिंह, जिन्हें आमतौर पर राजा भैया के नाम से जाना जाता है, उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और चर्चित चेहरा हैं। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1969 को कोलकाता में हुआ था। वह प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र की भदरी रियासत से आते हैं। उनके पिता श्री राजा उदय प्रताप सिंह भी एक राजघराने से ताल्लुक रखते हैं, परंतु उन्होंने कभी भी सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लिया।
राजा भैया ने बेहद कम उम्र में ही राजनीति में कदम रखा और वर्ष 1993 में कुंडा विधानसभा सीट से पहली बार निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद से वह लगातार सात बार इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं।
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व
रघुराज प्रताप सिंह का जीवन परिचय
रघुराज प्रताप सिंह का जीवन एक परंपरागत राजपरिवार की पृष्ठभूमि से शुरू होकर एक स्वतंत्र राजनीतिक पहचान तक का सफर है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया। उनकी शादी 15 फरवरी 1995 को श्रीमती भानवी कुमारी सिंह से हुई और उनके चार संतानें हैं — दो पुत्र और दो पुत्रियाँ। उनका पेशा कृषि है, लेकिन शिक्षा और सामाजिक कार्यों में भी उनका विशेष योगदान रहा है। वह कई शैक्षिक संस्थानों के प्रबंधक भी हैं, जिनमें कृष्ण प्रसाद हिन्दू इण्टरमीडिएट कॉलेज और राय बजरंग स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रमुख हैं।
रघुराज प्रताप सिंह का राजनीतिक सफर
राजनीतिक शुरुआत: 1993 से
रघुराज प्रताप सिंह का राजनीतिक सफर 1993 में निर्दलीय विधायक बनने से शुरू हुआ। उन्होंने कुंडा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा में कदम रखा और इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखा।
भाजपा सरकार में मंत्री पद
वर्ष 1997 में वह पहली बार कल्याण सिंह सरकार में मंत्री बने। इसके बाद राजनाथ सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकारों में भी उन्होंने मंत्री पद संभाला। इस दौरान उन्हें कार्यक्रम कार्यान्वयन, खेलकूद और युवा कल्याण जैसे विभागों की जिम्मेदारी दी गई।
मुलायम सिंह यादव की सरकार में सक्रिय भूमिका
2002 में जब मायावती सरकार द्वारा उन पर पोटा कानून के तहत कार्रवाई की गई, तब वह लगभग 11 महीने जेल में रहे। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद मुलायम सिंह यादव ने न केवल पोटा कानून हटवाया बल्कि उन्हें अपनी सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री बनाया। यह रघुराज प्रताप सिंह के राजनीतिक सफर का एक अहम मोड़ था।
अखिलेश यादव सरकार में योगदान
2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर अखिलेश यादव ने भी उन्हें मंत्री पद सौंपा। हालांकि, देवरिया कांड के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा, लेकिन बाद में क्लीन चिट मिलने पर वे फिर से मंत्री बनाए गए।
रघुराज प्रताप सिंह और समाजवादी पार्टी के साथ संबंधों में दरार
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व रघुराज प्रताप सिंह और समाजवादी पार्टी के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया, जिससे सपा प्रमुख अखिलेश यादव नाराज हो गए। इसके बाद सपा ने कुंडा में उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारा। हालांकि, राजनीतिक खींचतान के बाद भी अखिलेश यादव ने अपने प्रतिनिधि के माध्यम से फिर संपर्क साधा, लेकिन रिश्तों में पहले जैसा विश्वास नहीं रहा।
रघुराज प्रताप सिंह की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में वहउत्तर प्रदेश विधानसभा में कुंडा सीट से सातवीं बार निर्वाचित विधायक हैं। वर्ष 2022 में उन्होंने अपनी नई पार्टी “जनता दल राष्ट्रवादी” के बैनर तले चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह अब स्वतंत्र रूप से राजनीति कर रहे हैं और किसी भी राजनीतिक दल के साथ औपचारिक गठबंधन में नहीं हैं।
रघुराज प्रताप सिंह का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर दोनों ही यह दर्शाते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिना किसी बड़े संगठनात्मक समर्थन के अपना स्थान बनाया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के साथ काम करने के उनके अनुभव ने उन्हें एक लचीला लेकिन प्रभावशाली नेता बनाया है। आज भी कुंडा क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है और वह प्रदेश की राजनीति में एक स्वतंत्र धारा के प्रतीक माने जाते हैं।
Pratapgarh Assembly Election Results 2022
क्रमांक | विधानसभा सीट | विजेता का नाम | पार्टी का नाम |
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1 | बाबागंज (सुरक्षित) | विनोद कुमार सरोज | निर्दलीय |
2 | कुंडा | रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया | निर्दलीय |
3 | पट्टी | राम सिंह पटेल | समाजवादी पार्टी (सपा) |
4 | प्रतापगढ़ सदर | राजेंद्र कुमार मौर्य | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) |
5 | रामपुर खास | आराधना मिश्रा ‘मोना’ | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) |
6 | रानीगंज | डॉ. आर के वर्मा | समाजवादी पार्टी (सपा) |
7 | विश्वनाथगंज | जीतलाल पटेल | अपना दल (सोनेलाल) – भाजपा गठबंधन |