पंकज मलिक का जन्म 6 दिसंबर 1978 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के काजी खेड़ा गांव में हुआ। वह जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं। उनके पिता हरेन्द्र सिंह मलिक उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता रहे हैं और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व
शिक्षा के क्षेत्र में पंकज मलिक ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनका विवाह 22 फरवरी 2008 को डॉ. पायल मलिक से हुआ, जिनसे उनका एक पुत्र है। पेशे से वह कृषक हैं, और उन्होंने राजनीति को सामाजिक सेवा का माध्यम बनाया है।
समाजवादी परिवार में शामिल करके दिए गए सम्मान के लिए आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @yadavakhilesh जी का हृदय से आभार https://t.co/ekoPWKSim7
— Pankaj malik mla (@PankajKMalikMla) October 30, 2021
पंकज मलिक का जीवन परिचय
पंकज मलिक का राजनीतिक झुकाव बचपन से ही था। उनके पिता हरेन्द्र मलिक के मार्गदर्शन में उन्होंने राजनीति की बारीकियों को समझा। शुरुआती दौर में ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और वर्ष 2007 में पहली बार बघरा विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए।
इसके बाद 2012 में वह दूसरी बार शामली विधानसभा सीट से निर्वाचित होकर सोलहवीं विधानसभा के सदस्य बने। इस तरह उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक आधार मजबूत किया।
पंकज मलिक का राजनीतिक सफर
राजनीतिक सफर की शुरुआत
पंकज मलिक ने 2007 में कांग्रेस पार्टी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। वह पंद्रहवीं विधानसभा में पहली बार सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद 2008-2009 में उन्हें विधान पुस्तकालय समिति का सदस्य बनाया गया और 2009-2010 में प्रश्न एवं संदर्भ समिति में भूमिका निभाई।
2012 से 2017 तक का कार्यकाल
वर्ष 2012 में पंकज मलिक दूसरी बार विधायक बने और प्राक्कलन समिति में सदस्य के रूप में कार्य किया। हालांकि 2017 में वह भाजपा लहर के चलते चुनाव हार गए, परन्तु उन्होंने सक्रिय राजनीति जारी रखी और क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखी।
सियासी बदलाव और समाजवादी पार्टी में वापसी
वर्ष 2022 से पहले पंकज मलिक और उनके पिता हरेन्द्र मलिक ने कांग्रेस पार्टी को छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा। यह राजनीतिक बदलाव उस समय हुआ जब विधानसभा चुनाव के समीकरण तेजी से बदल रहे थे।
समाजवादी पार्टी ने उन्हें चरथावल विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। यह सीट परंपरागत रूप से भाजपा के प्रभाव क्षेत्र में मानी जाती थी, लेकिन पंकज मलिक ने सपा-रालोद गठबंधन के समर्थन और सुनियोजित चुनाव प्रबंधन के बल पर यह चुनाव जीत लिया।
चरथावल से तीसरी बार विधायक
मार्च 2022 में पंकज मलिक तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। इस बार उन्होंने चरथावल सीट से जीत दर्ज की, जो उनके राजनीतिक कौशल और जनसंपर्क की सफलता को दर्शाता है। उनकी यह जीत इस बात का संकेत थी कि क्षेत्र में जनता का विश्वास अभी भी उनके पक्ष में है।
पंकज मलिक का सामाजिक योगदान
पंकज मलिक केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्ति भी हैं। वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को विधानसभा में उठाने के लिए जाने जाते हैं। किसानों, युवाओं और आम जनता की बात को उन्होंने सदन में प्रमुखता से रखा है।
इसके साथ ही, उनका ध्यान शिक्षा, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर रहा है। उनके नेतृत्व में कई योजनाएं सफलतापूर्वक कार्यान्वित हुई हैं।
पंकज मलिक का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर यह दर्शाता है कि वह एक गंभीर, अनुभवी और जनसरोकारों से जुड़े हुए राजनेता हैं। तीन बार विधायक बनने के साथ-साथ उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना विशेष स्थान बनाया है।
हरेन्द्र मलिक : शुरुआती जीवन और शिक्षा
हरेन्द्र मलिक की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव किनौनी के एक विद्यालय से हुई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई उन्होंने बघरा से पूरी की और इसके बाद उन्होंने मुजफ्फरनगर कॉलेज में दाखिला लिया। वे एक अच्छे खिलाड़ी भी थे, और खेलों के जरिए उनका संपर्क समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से हुआ। यही संपर्क बाद में उनके राजनीतिक जीवन की नींव बना।
छात्र राजनीति में प्रवेश
कॉलेज के दिनों में जब छात्र राजनीति के चुनाव हुए, तो हरेन्द्र मलिक ने देखा कि इसमें बड़े नेताओं के प्रभाव वाले ग्रुप हावी रहते हैं। इस स्थिति से असहमति के चलते उन्होंने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक स्वतंत्र छात्र संगठन बनाया, जिसमें किसी बड़े नेता का वर्चस्व नहीं था। उनके इस प्रयास की सफलता मुजफ्फरनगर, शामली और खतौली के कॉलेजों में हुई, जहां उनके संगठन के उम्मीदवार चुनाव जीत गए। यहीं से हरेन्द्र मलिक की राजनीति में औपचारिक एंट्री हुई।
एनएसयूआई से कांग्रेस तक
छात्र राजनीति के बाद हरेन्द्र मलिक राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) में सक्रिय हुए। 1 मई 1978 को एनएसयूआई के आंदोलन के दौरान वे दिल्ली में गिरफ्तार हुए और 9 दिन तिहाड़ जेल में बिताए। दिसंबर 1978 में जब इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया, तब भी वे 13 दिन जेल में रहे। उस समय वे मात्र 21–22 वर्ष के थे। बाद में संजय गांधी ने उन्हें बघरा विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए कहा, परंतु आयु कम होने और सामाजिक स्वीकार्यता न मिलने के कारण उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया।
चौधरी चरण सिंह से जुड़ाव और विधायक बनने का सफर
संजय गांधी के निधन के बाद हरेन्द्र मलिक कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का शिकार हो गए। फिर 1984 में उनकी मुलाकात चौधरी चरण सिंह से हुई। चरण सिंह से प्रभावित होकर उन्होंने उसी वर्ष लोकदल की सदस्यता ग्रहण कर ली। इससे पहले 1982 में वे प्रमुखी का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन “कम उम्र” बताकर उनका पर्चा राजनीतिक दबाव में रद्द करवा दिया गया। इसके बावजूद 1984 में उन्होंने दलित मजदूर किसान पार्टी से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वे लगातार चार बार विधानसभा पहुंचे।
समाजवादी पार्टी, इनेलो और राज्यसभा सदस्यता
चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद हरेन्द्र मलिक ने 1996 में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 2001 में उन्होंने ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, जिसमें मुलायम सिंह यादव की सहमति भी थी। इसके बाद उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया।
पंकज मलिक का उदय और कांग्रेस से समाजवादी पार्टी तक का सफर
2004 के उपचुनाव में उनके बेटे पंकज मलिक ने बघरा विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बिना गिनती के उन्हें हरा हुआ घोषित कर दिया गया। इसके बाद पंकज ने मेहनत की और 2007 में पहली बार विधायक बने। 2012 में भी वे चुनाव जीतकर विधायक बने। पंकज मलिक के कांग्रेस में सक्रिय होने के बाद ही हरेन्द्र मलिक ने भी कांग्रेस जॉइन की। वे कहते हैं कि उनका बेटा बुराइयों से दूर रहा और उनका नाम रोशन किया।
राजनीतिक आदर्श और विचारधारा
हरेन्द्र मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन में कई नेताओं से प्रेरणा ली। वे इंदिरा गांधी की दृढ़ता, चरण सिंह के किसान प्रेम, चंद्रशेखर के भाषणों, ओमप्रकाश चौटाला के कार्यशैली, मुलायम सिंह यादव की निष्ठा, और वीरेन्द्र वर्मा की ईमानदारी से प्रभावित रहे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से उनका कभी मेल नहीं बैठा।
किसानों और सामाजिक मुद्दों की पैरवी
हरेन्द्र मलिक का दावा है कि चाहे छात्र आंदोलन हो या किसान आंदोलन, उन्होंने हमेशा सक्रिय भागीदारी निभाई है। उनका मानना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा या राज्यसभा में किसानों के लिए जितना उन्होंने बोला, उतना शायद पश्चिमी यूपी का कोई और नेता नहीं बोला होगा। वे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई से संतुष्ट हैं।
व्यक्तित्व और सेवा भाव
हरेन्द्र मलिक का मानना है कि मदद को कभी गिनना नहीं चाहिए, क्योंकि अगर कोई मदद गिनता है तो वह सेवा नहीं, प्रचार बन जाती है। वे हर सुबह 6 बजे उठते हैं और 7 बजे से लोगों से मिलना शुरू कर देते हैं, ताकि उनकी समस्याओं को समझकर समाधान कर सकें।
समाजवादी पार्टी में वापसी और नई जिम्मेदारी
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हरेन्द्र मलिक और उनके बेटे पंकज मलिक ने कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली। पंकज मलिक को सपा के टिकट पर चरथावल से चुनाव लड़ाया गया और उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद अखिलेश यादव ने हरेन्द्र मलिक को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया।
Muzaffarnagar Assembly Election Results
विधानसभा सीट | विजेता प्रत्याशी | दल |
---|---|---|
मुजफ्फरनगर | कपिल देव अग्रवाल | भाजपा |
खतौली ( 2022 उपचुनाव ) | मदन भैया | भाजपा |
पुरकाजी | अनिल कुमार | रालोद |
बुढ़ाना | राजपाल बालियान | रालोद |
मीरापुर ( 2024 उपचुनाव ) | मिथलेश पाल | रालोद |
चरथावल | पंकज मलिक | सपा |