ज्ञानेंद्र सिंह का जन्म 1 दिसंबर 1954 को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद के रामपुर चौबे गांव में हुआ। वे हिन्दू धर्म में आस्था रखते हैं और कुर्मी, सैथवार जाति से संबंध रखते हैं। उनके पिता का नाम स्वर्गीय चन्द्रिका सिंह था। ज्ञानेंद्र सिंह ने हाईस्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की है।
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1972 में उन्होंने इन्दूमती सिंह से विवाह किया। उनके परिवार में एक पुत्र और दो पुत्रियाँ हैं। पेशे से वे कृषि और व्यापार से जुड़े हुए हैं। उनका मुख्य व्यवसाय ईंट भट्ठा संचालन है, जिसे वे 1980 से चला रहे हैं। खेती का कार्य भी करते हैं, लेकिन उनका प्रमुख रोजगार भट्ठा संचालन रहा है।
ज्ञानेंद्र सिंह का जीवन परिचय सामान्य किसान परिवार से संघर्ष करते हुए मुकाम बनाने की मिसाल प्रस्तुत करता है। गांव की प्रधानी से लेकर विधानसभा तक का सफर उन्होंने कठिन परिश्रम और जनसंपर्क से तय किया है।
ज्ञानेंद्र सिंह : राजनीतिक सफर की शुरुआत
ज्ञानेंद्र सिंह का राजनीतिक सफर वर्ष 1988 में शुरू हुआ जब वे अपने गांव रामपुर चौबे के प्रधान निर्वाचित हुए। इस दौरान उन्होंने समाजसेवा के साथ राजनीति का ककहरा सीखा। देवरिया से पूर्व सांसद और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी से उन्होंने राजनीति के गुर सीखे।
पूर्व मंत्री स्वर्गीय जनार्दन ओझा से उन्होंने संघर्ष करना और जनता के बीच रहना सीखा। ज्ञानेंद्र सिंह स्वयं स्वीकार करते हैं कि उस दौर में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की संख्या अधिक थी, जबकि आज की राजनीति में स्थितियां काफी बदल चुकी हैं।
ज्ञानेंद्र सिंह :विधानसभा चुनाव और आगे का सफर
पहली जीत और प्रारंभिक उपलब्धियां
1991 में ज्ञानेंद्र सिंह ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और ग्यारहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उसी कार्यकाल में वे लोक लेखा समिति के सदस्य भी रहे।
लगातार चुनावी सफलता
1996 में वे तेरहवीं विधान सभा के सदस्य के रूप में दूसरी बार निर्वाचित हुए। 1996 से 2002 तक के कार्यकाल में वे प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे। इसके बाद 2002 में चौदहवीं विधान सभा के सदस्य के रूप में तीसरी बार जीत हासिल की।
सत्रहवीं और अट्ठारहवीं विधान सभा
मार्च 2017 में ज्ञानेंद्र सिंह ने सत्रहवीं विधान सभा में चौथी बार सदस्य के रूप में वापसी की। इस कार्यकाल में 2019 से 2022 तक वे प्राक्कलन समिति के सभापति भी रहे। मार्च 2022 में अट्ठारहवीं विधान सभा में पांचवी बार सदस्य निर्वाचित होकर उन्होंने अपने मजबूत राजनीतिक आधार को फिर सिद्ध किया।
सामाजिक योगदान
ज्ञानेंद्र सिंह का योगदान केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा है। वे नव युवक मंगल दल के अध्यक्ष रहे हैं और साधन सहकारी समिति के भी अध्यक्ष (1988-1989) रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे श्रीमती ज्ञानमती देवी शिक्षा समिति, परतावल बाजार, महाराजगंज के प्रबंधक भी रहे हैं।
राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहने के कारण उन्हें 1990 में जिला कारागार गोरखपुर में 8 दिन तक बंदी भी रहना पड़ा था। राज्य सरकार से उन्हें 49,000 रुपये पेंशन प्राप्त होती है।
ज्ञानेंद्र सिंह का जीवन परिचय यह दर्शाता है कि साधारण किसान परिवार से उठकर भी राजनीति में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनका राजनीतिक सफर एक मजबूत जनाधार और संघर्ष का प्रतीक रहा है। उन्होंने अपने अनुभव और समाजसेवा के माध्यम से राजनीति में स्थायी जगह बनाई है और आज भी सक्रिय रूप से जनसेवा में लगे हुए हैं।
महाराजगंज जिले की विधानसभा सीटों का परिणाम Maharajganj Assembly Election Results 2022
विधानसभा सीट | विजेता | पार्टी |
---|---|---|
नौतनवा | ऋषि त्रिपाठी | निषाद पार्टी |
फरेंदा | वीरेंद्र चौधरी | कांग्रेस |
महराजगंज सदर (सुरक्षित) | जय मंगल कनौजिया | भाजपा |
पनियरा | ज्ञानेंद्र सिंह | भाजपा |
सिसवा | प्रेमसागर पटेल | भाजपा |