1994 बैच के आईपीएस अधिकारी असीम अरुण का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के ठठिया थाना क्षेत्र के कगार नगर में हुआ था। उनके पिता, श्रीराम अरुण, स्वयं एक आईपीएस अधिकारी थे और मायावती सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के डीजीपी (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) के पद पर रहे। उनकी माता, शशि अरुण, एक प्रसिद्ध लेखिका और समाजसेविका थीं, जिन्होंने सामाजिक कार्यों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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असीम अरुण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की। शिक्षा के प्रति उनका लगाव और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें सिविल सेवा की ओर प्रेरित किया।

असीम अरुण : पुलिस सेवा में उल्लेखनीय योगदान

असीम अरुण ने 1994 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रवेश किया और अपने करियर की शुरुआत संयुक्त उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में की। उन्होंने टिहरी गढ़वाल, बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थनगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा जैसे जिलों में अपनी सेवाएं दीं। उनकी कार्यशैली और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें एक कुशल प्रशासक के रूप में पहचान दिलाई।

2004 में, वे पहले आईपीएस अधिकारी बने जिन्होंने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के ब्लैक कैट कमांडो ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके बाद, उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सुरक्षा टीम (क्लोज प्रोटेक्शन टीम) में शामिल किया गया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UN Peacekeeping Force) में सेवा देकर वैश्विक सुरक्षा प्रबंधन का अनुभव प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) के प्रमुख के रूप में, उन्होंने 2017 में लखनऊ में आईएसआईएस आतंकवादी सैफुल्लाह को मार गिराने की ऐतिहासिक कार्रवाई का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति का वीरता पदक (President’s Gallantry Medal) प्रदान किया गया।

पुलिस आधुनिकीकरण और डायल 112 की सफलता

असीम अरुण ने पुलिस व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए कई अभिनव पहल कीं। अलीगढ़ में उन्होंने “सेवा 100” प्रणाली की शुरुआत की, जिसे बाद में गोरखपुर और आगरा में भी लागू किया गया। इसके बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश में “डायल 112” आपातकालीन सेवा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2019 से 2021 तक इस सेवा के प्रमुख रहते हुए, उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान जनता को त्वरित सहायता पहुंचाने में अहम योगदान दिया।

असीम अरुण : राजनीतिक सफर: कन्नौज सदर से भाजपा के टिकट पर जीत

असीम अरुण ने 2022 में आईपीएस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में प्रवेश किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें कन्नौज सदर सीट से उम्मीदवार बनाया, जो पारंपरिक रूप से समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ रहा है। इस सीट पर सपा के निवर्तमान विधायक अनिल कुमार दोहरे से उनका मुकाबला था, जो तीन बार से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता बनवारी लाल दोहरे को अनिल दोहरे से मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार, असीम अरुण ने एक जोरदार चुनाव प्रचार करते हुए जनता का भरोसा जीता। 10 मार्च 2022 को घोषित परिणामों में उन्होंने अनिल दोहरे को 6,163 मतों के अंतर से हराकर कन्नौज सदर सीट पर भाजपा का झंडा बुलंद किया।

असीम अरुण का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर एक कहानी है, जो समर्पण, साहस और जनसेवा के मूल्यों पर आधारित है। पुलिस सेवा के दौरान उनकी उपलब्धियों और राजनीति में उनके प्रवेश ने साबित किया कि सच्चा नेतृत्व समाज के हर स्तर पर परिवर्तन ला सकता है। 

Kannauj Assembly Election Results 2022

कन्नौज ज़िले की तीनों विधानसभा सीटों के विजेता

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व

क्रमांकविधानसभा सीट का नामविजेता उम्मीदवारपार्टी
1कन्नौजअसीम अरुणभारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
2छिबरामऊअर्चना पांडेयभारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
3तिरवाकैलाश सिंह राजपूतभारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
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