[ UPDATED Mar 2025 ] अब्बास अंसारी एक भारतीय राजनेता, पेशेवर निशानेबाज और उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से विधायक हैं। उनका जन्म 12 फरवरी 1992 को मऊ में हुआ था। वे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता श्री मुख्तार अंसारी पूर्व विधायक रह चुके हैं। उनका जीवन राजनीतिक और खेल दोनों क्षेत्रों में सक्रियता के लिए जाना जाता है।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन – जानें पूरी सूची और विश्लेषण।


अब्बास अंसारी का जीवन परिचय

अब्बास अंसारी का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ। उनके पिता मुख्तार अंसारी 1996 से 2022 तक मऊ विधानसभा सीट से विधायक रहे। उनके दादा श्री हामिद अंसारी भारत के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। ताऊ श्री अफजाल अंसारी दो बार सांसद रहे हैं, और दूसरे ताऊ शिबगतुल्लाह अंसारी एवं भाई शोएब अंसारी भी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

  • जन्मतिथि: 12 फरवरी, 1992
  • जन्मस्थान: मऊ, उत्तर प्रदेश
  • धर्म: इस्लाम
  • जाति: सुन्नी मुस्लिम
  • शिक्षा: इण्टरमीडिएट
  • विवाह: 27 जनवरी 2021
  • पत्नी: श्रीमती निखत अंसारी
  • संतान: एक पुत्र
  • व्यवसाय: कृषि और खेल

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

अब्बास अंसारी की प्रारंभिक शिक्षा गाजीपुर के सेंट जॉन्स स्कूल से हुई, लेकिन पिता की जेल यात्रा के बाद उनका परिवार लखनऊ स्थानांतरित हो गया। वहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से भी शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल की।


अब्बास अंसारी: खेल से राजनीति तक

शूटिंग करियर

अब्बास अंसारी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शॉटगन निशानेबाज रहे हैं। 2012 में उन्होंने फिनलैंड में आयोजित जूनियर विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और शीर्ष 10 स्कीट निशानेबाजों में शामिल हुए। 2013 में उन्होंने 55वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।

खेल से राजनीति की ओर

हालांकि शूटिंग में उन्हें बड़ी सफलता मिली, लेकिन पिता मुख्तार अंसारी की छवि और राजनीतिक विरासत ने उन्हें राजनीति की ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने पिता के साथ राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया और 2017 में पहली बार चुनाव लड़ा।


अब्बास अंसारी का राजनीतिक सफर

राजनीतिक सफर की शुरुआत

अब्बास अंसारी ने 2017 में घोसी विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें भाजपा के फागू चौहान से लगभग 8,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। यह उनकी राजनीति में औपचारिक शुरुआत थी।

https://twitter.com/AbbasAnsari_786/status/1125095329446137859

2019 में कानूनी चुनौतियाँ

2019 में उनके खिलाफ पहला पुलिस मामला दर्ज हुआ। इसके बाद सरकारी जमीन पर कब्जे और अन्य आरोपों में उन्हें आरोपी बनाया गया। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह फरार हो गए, और लखनऊ पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी पर ₹25,000 का इनाम घोषित किया।


अब्बास अंसारी की 2022 की जीत

2022 में, समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के गठबंधन के तहत अब्बास अंसारी को मऊ से चुनाव लड़ने का मौका मिला। उनके पिता की अनुपस्थिति में उन्होंने बड़ी राजनीतिक ज़िम्मेदारी संभाली और मऊ विधानसभा सीट से भाजपा के अशोक सिंह को लगभग 39,000 वोटों से हराया।

इस दौरान उनके ऊपर आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने के आरोप भी लगे। इसके बावजूद उन्होंने पूर्वांचल के मुस्लिम और पिछड़े वर्गों में लोकप्रियता हासिल की।


ईडी की गिरफ्तारी और जेल में विवाद

18 नवंबर 2022 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें प्रयागराज में गिरफ्तार किया। उन्हें चित्रकूट जेल भेजा गया। 10 फरवरी 2023 को उनकी पत्नी निखत अंसारी गुपचुप तरीके से उनसे जेल में मिलने पहुंचीं। छापे में विदेशी मुद्रा और मोबाइल फोन बरामद हुए।

एसआईटी जांच में पाया गया कि जेल प्रशासन की मिलीभगत से यह मुलाकात संभव हुई। इस मामले में जेल अधीक्षक, जेलर, वार्डन समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया।


पिता की मृत्यु और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

29 मार्च 2025 को अब्बास अंसारी को अपने पिता की मृत्यु की सूचना मिली। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जनाज़े में शामिल होने की अनुमति मांगी, लेकिन समय पर सुनवाई न हो पाने से अनुमति नहीं मिली। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपने पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ने और परिजनों से मिलने की अनुमति दी।


कासगंज जेल से रिहाई

7 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम ज़मानत के बाद, अब्बास अंसारी को 31 महीने बाद 22 अप्रैल 2025 को कासगंज जिला जेल से रिहा किया गया। उनकी रिहाई राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी।


अब्बास अंसारी ने खेल और राजनीति दोनों में पहचान बनाई है। उनका राजनीतिक सफर संघर्ष और विवादों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए पूर्वांचल की राजनीति में खुद को स्थापित किया है। उनका जीवन परिचय न सिर्फ़ उनके परिवार के प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत क्षमता और महत्वाकांक्षा को भी उजागर करता है।

Mau Assembly Election Results 2022 : सपा गठबंधन 3, भाजपा 1

मधुबनभाजपारामविलास चौहान
घाेसी ( उपचुनाव  )सपा-सुधाकर सिंह
मुहम्मदाबाद गोहनासपाराजेंद्र कुमार
मऊ सदरसुभासपाअब्बास अंसारी
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें