भदोही जिले के विधायक : भदोही ज़िला उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख ज़िला है, जहाँ कुल तीन विधानसभा सीटें हैं:
- भदोही
- ज्ञानपुर
- औराई (सुरक्षित)
इन तीनों विधानसभा क्षेत्रों में अलग-अलग राजनीतिक दलों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। भदोही सीट से समाजवादी पार्टी के जाहिद बेग विधायक बने, ज्ञानपुर सीट से निषाद पार्टी (NDA गठबंधन) के विपुल दुबे जीते, और औराई (सुरक्षित) सीट से भारतीय जनता पार्टी के दीनानाथ भास्कर विधायक चुने गए।
यह भदोही जिले की राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है जिसमें अलग-अलग विचारधाराओं वाली पार्टियों को जनता ने प्रतिनिधित्व सौंपा है।
भदोही जिले की विधानसभा सीटों पर 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में निम्नलिखित परिणाम सामने आए:
- भदोही विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (SP) के जाहिद बेग ने जीत दर्ज की। वे क्षेत्र में सपा के मजबूत जनाधार का प्रतिनिधित्व करते हैं और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहते हैं।
- ज्ञानपुर विधानसभा सीट से निषाद पार्टी के विपुल दुबे निर्वाचित हुए। यह पार्टी एनडीए गठबंधन का हिस्सा है और विपुल दुबे ने सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के मुद्दों को उठाते हुए चुनाव में सफलता पाई।
- औराई (सुरक्षित) विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दीनानाथ भास्कर ने जीत हासिल की। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और दीनानाथ भास्कर ने बीजेपी की नीति और नेतृत्व के आधार पर जीत दर्ज की।
भदोही जिले के विधायक 2022
क्रमांक | विधानसभा सीट | विधायक का नाम | पार्टी का नाम |
---|---|---|---|
1 | भदोही | जाहिद बेग | समाजवादी पार्टी (SP) |
2 | ज्ञानपुर | विपुल दुबे | निषाद पार्टी (NDA गठबंधन) |
3 | औराई (सुरक्षित) | दीनानाथ भास्कर | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
विपुल दुबे ( ज्ञानपुर – निषाद पार्टी (NDA गठबंधन)
विपुल दुबे ने अपना राजनीतिक सफर युवा अवस्था में ही आरंभ कर दिया था। स्थानीय स्तर पर छात्र संगठनों में सक्रिय रहते हुए उन्होंने नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया और सामाजिक कार्यों में निरंतर भागीदारी निभाई। 2010 के दशक में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा से राजनीति में सक्रिय प्रवेश किया। अपनी मेहनत, संगठनात्मक कौशल और जनसंपर्क की शक्ति के बल पर वे शीघ्र ही पार्टी के भीतर एक पहचान बनाने में सफल हुए।
वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपुल दुबे को निषाद पार्टी ने ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया। उन्होंने अपने प्रचार अभियान में युवाओं के अधिकार, ग्रामीण विकास, और रोज़गार सृजन जैसे ज्वलंत मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उनके नेतृत्व में चलाए गए “युवा हितैषी अभियान” और “गाँव-गाँव विकास योजना” जैसे कार्यक्रमों ने जनता के बीच उन्हें एक जनप्रिय नेता के रूप में स्थापित कर दिया। यह उनका पहला चुनावी प्रयास था, लेकिन उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को सशक्त चुनौती दी और भविष्य के लिए एक मजबूत राजनीतिक आधार तैयार किया।
जाहिद बेग ( भदोही – समाजवादी पार्टी )
जाहिद बेग का राजनीतिक सफर उनके पिता स्वर्गीय यूसुफ बेग की राजनीतिक विरासत से प्रेरित होकर प्रारंभ हुआ। यूसुफ बेग मिर्जापुर से सांसद रह चुके थे और हिंद मजदूर किसान पंचायत के उपाध्यक्ष के रूप में एक मज़बूत मजदूर नेता के तौर पर जाने जाते थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि से प्रेरित होकर जाहिद बेग ने समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता ग्रहण की और भदोही जिले के सपा जिला अध्यक्ष के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई।
वर्ष 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने भदोही सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक चुने गए। इस दौरान वह विधानसभा की लाइब्रेरी कमेटी के सदस्य भी रहे, जहाँ उन्होंने विधायी कार्यों में गंभीरता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया।
हालाँकि 2017 के चुनाव में उन्हें मोदी लहर के चलते भाजपा प्रत्याशी से केवल 1100 वोटों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2022 में उन्होंने शानदार वापसी करते हुए भाजपा के रविंद्र नाथ त्रिपाठी को 4000 से अधिक वोटों से हराकर एक बार फिर भदोही के विधायक बने।
इस जीत की खास बात यह रही कि समाजवादी पार्टी के किसी बड़े नेता का समर्थन न होने के बावजूद उन्होंने अपने जनसंपर्क और लोकप्रियता के बल पर जीत दर्ज की। यह जाहिद बेग की ज़मीनी पकड़ और जुझारू नेतृत्व क्षमता का प्रमाण था, जिसने उन्हें एक बार फिर जनता का विश्वास अर्जित करने वाला नेता बना दिया।
दीनानाथ भास्कर ( औराई (सुरक्षित) – भारतीय जनता पार्टी )
दीनानाथ भास्कर का राजनीतिक सफर छात्र जीवन से ही शुरू हो गया था। वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और सामाजिक न्याय के आंदोलन से गहराई से जुड़े रहे। उन्होंने पहली बार 1993 में चंदौली सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला।
1996 में बसपा से अलग होकर, उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) में प्रवेश किया और 2002 में भदोही सीट से विधायक बने। समाजवादी पार्टी में रहते हुए उन्होंने दलित व पिछड़े वर्गों के हक में सक्रिय भूमिका निभाई और उत्तर प्रदेश एससी/एसटी आयोग के अध्यक्ष भी रहे (2004-07)।
2009 में सपा से मतभेद के बाद वे एक बार फिर बसपा में लौटे और वहां वाराणसी, इलाहाबाद व मिर्जापुर जोन के कोऑर्डिनेटर के रूप में ज़िम्मेदारी संभाली। लेकिन 4 अप्रैल 2015 को उन्होंने बसपा से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया।
2017 में भाजपा के टिकट पर उन्होंने औराई विधानसभा सीट से चुनाव जीता और 2022 में तीसरी बार इसी सीट से 1,647 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य होने के साथ-साथ लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के भी सदस्य हैं।
भदोही जिले के विधायक : कौन है दलबदलू?
भदोही जिले की तीनों विधानसभा सीटों : ज्ञानपुर, भदोही, और औराई (सुरक्षित) से वर्तमान विधायकों का राजनीतिक सफर काफी विविध और रोचक रहा है।
विपुल दुबे, जो ज्ञानपुर सीट से निषाद पार्टी (NDA गठबंधन) के विधायक हैं, उन्होंने 2010 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की युवा शाखा से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। पार्टी में संगठनात्मक कार्य करते हुए उन्होंने युवाओं से जुड़ाव मजबूत किया और 2022 में पहली बार विधायक बने।
जाहिद बेग, जो भदोही विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक हैं, ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली और भदोही जिला अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2012 और 2022 में विधायक के रूप में जीत हासिल की।
वहीं, औराई (सुरक्षित) सीट से विधायक दीनानाथ भास्कर का राजनीतिक सफर कई दलों से होते हुए गुजरा है। वह बसपा के संस्थापक सदस्यों में से रहे हैं, फिर सपा से जुड़े, बाद में दोबारा बसपा में आए और अंततः 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर 2017 और 2022 में विधायक निर्वाचित हुए।
इन तीनों नेताओं के सफर को देखें तो स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय राजनीति में दल परिवर्तन आम बात हो गई है, लेकिन इसके साथ-साथ व्यक्तिगत नेतृत्व क्षमता और जनसंपर्क भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक विचारधारा की स्थिरता से अधिक व्यावहारिक राजनीति और जन समर्थन का महत्व अधिक हो चला है।