बस्ती जिले के विधायक : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बस्ती जिले की पाँचों विधानसभा सीटों पर मिले चुनावी नतीजों से साफ है कि यहाँ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। बस्ती सदर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के महेंद्र नाथ यादव ने जीत दर्ज की। वहीं हर्रैया सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अजय सिंह ने विजयी होकर पार्टी की पकड़ मजबूत बनाए रखी। कप्तानगंज विधानसभा सीट से सपा के कविंद्र चौधरी ने जीत हासिल कर पार्टी को बढ़त दिलाई। महादेवा सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दूधराम ने बाज़ी मारी और गठबंधन को एक सीट दिलाई। अंत में रुधौली सीट पर भी समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया, जहाँ से राजेन्द्र प्रसाद चौधरी विजेता बने।

बस्ती जिले के विधायक

इस प्रकार बस्ती जिले की पाँच में से तीन सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में गईं, एक सीट भारतीय जनता पार्टी को और एक सीट एसबीएसपी को मिली।

1बस्ती सदरमहेंद्र नाथ यादव (सपा)
2हर्रैयाअजय सिंह (बीजेपी)
3कप्तानगंजकविंद्र चौधरी (सपा)
4महादेवादूधराम (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी)
5रुधौलीराजेन्‍द्र प्रसाद चौधरी (सपा)

    बस्ती जिले के विधायक (5) की निष्ठा का विश्लेषण

    महेंद्र नाथ यादव ( बस्ती सदर – (सपा) )

    महेंद्र नाथ यादव का राजनीतिक सफर वर्ष 2000 में समाजवादी पार्टी से जुड़ने के साथ शुरू हुआ। राजनीति में उनकी रुचि छात्र जीवन से ही रही और उन्होंने पार्टी के युवा संगठनों से शुरुआत की। वर्ष 2003 में उन्हें लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष बनाया गया, जिससे उनके नेतृत्व कौशल की शुरुआत हुई। 2005 में वह किसान डिग्री कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए और इसी साल से उन्होंने स्थानीय निकायों की राजनीति में कदम रखते हुए जिला पंचायत सदस्य के रूप में 10 वर्षों तक निरंतर सेवा की। इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय विकास और सामाजिक मुद्दों पर कार्य करते हुए एक मजबूत जनाधार तैयार किया।

    संगठन में उनके योगदान को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने उन्हें 2019 में बस्ती जिले का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया। इसके बाद उन्होंने 2017 में बस्ती सदर विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से बस्ती सदर सीट से चुनाव लड़ा और इस बार उन्हें 86,029 मत प्राप्त हुए, जो कुल मतों का 39.81% था। हालांकि वे जीत नहीं पाए, लेकिन उन्होंने एक मजबूत राजनीतिक उपस्थिति दर्ज की।

    अजय सिंह (हर्रैया – बीजेपी)

    अजय कुमार सिंह का राजनीतिक सफर युवावस्था से ही जनसेवा के कार्यों से शुरू हुआ। पेशे से वकील होने के नाते उन्हें सामाजिक न्याय, संवैधानिक अधिकारों और जनहित से जुड़े मुद्दों की गहरी समझ है, जो उनके सामाजिक कार्यों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

    राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी और लोगों से गहरा जुड़ाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नजरों में आया। पार्टी ने उनकी संगठनात्मक क्षमता, नेतृत्व कौशल और जनसमर्थन को ध्यान में रखते हुए हर्रैया विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया। चुनाव के दौरान उन्होंने जनता के बीच सक्रिय जनसंपर्क और विकासोन्मुखी एजेंडे के साथ प्रचार किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि वह भारी मतों से जीत दर्ज कर विधायक निर्वाचित हुए।

    कविंद्र चौधरी ( कप्तानगंज – (सपा) )

    कविद्र चौधरी, जिनका असली नाम अतुल चौधरी है, पूर्वांचल के चर्चित कुर्मी नेता और पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी के पुत्र हैं। राजनीति में कदम रखने से पहले कविंद्र चौधरी ने एमबीए की पढ़ाई पूरी की थी। वे महज 29 वर्ष की उम्र में राजनीति में सक्रिय हुए, जब उन्होंने नौकरी के बजाय अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

    राजनीतिक सक्रियता की शुरुआत उन्होंने अपने पिता के साथ क्षेत्र में काम करते हुए की। जनसंपर्क, जमीनी कार्य और स्थानीय मुद्दों की समझ ने कविंद्र चौधरी को जल्द ही एक प्रभावशाली युवा चेहरा बना दिया। जब राम प्रसाद चौधरी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा, तब कविंद्र चौधरी ने भी सपा की विचारधारा को अपनाते हुए पार्टी के लिए काम करना शुरू किया।

    2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कविंद्र चौधरी ने कप्तानगंज सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चंद्र प्रकाश शुक्ला को 24,179 वोटों के भारी अंतर से हराकर पहली बार विधायक बनने में सफलता हासिल की।

    अपने पहले ही चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर कविंद्र चौधरी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह केवल अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि अपने बलबूते पर जनता के बीच अपनी मजबूत पहचान बना चुके हैं।

    दूधराम ( महादेवा – सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी )

    दूधराम का राजनीतिक सफर वर्ष 1995 में तब शुरू हुआ जब वे जिला पंचायत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए। इसके बाद 2000 में उन्होंने सांऊघाट के दुधराक्ष और धमौरा क्षेत्र से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीता और ब्लॉक प्रमुख का पद संभाला।

    उनकी विधानसभा यात्रा की शुरुआत 2002 में हुई, जब उन्होंने तत्कालीन नगर पूरब (अब महादेवा) विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर चुनाव लड़ा। हालांकि, उस बार उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 2007 में दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें वे विजयी हुए और पहली बार विधायक बने।

    हालाँकि, 2012 और 2017 में उन्हें लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2020 में उन्होंने बसपा को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया।

    2022 के विधानसभा चुनाव में दूधराम ने सपा-सुभासपा गठबंधन के तहत सुभासपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और भाजपा के रवि कुमार सोनकर को मात्र 5,495 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया। यह जीत इसलिए भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी गई क्योंकि यह पूरे उत्तर प्रदेश में 59वीं सबसे कम अंतर वाली जीत थी, जिसमें केवल 2.62% का अंतर था।

    दूधराम का यह सफर स्थानीय पंचायत से लेकर विधानसभा तक का है, जिसमें उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे और एक अनुभवी जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी पहचान बनाई। आया राम गया राम ही राजनीतिक खेल का अंतिम सत्य हैं।

    राजेन्‍द्र प्रसाद चौधरी ( रुधौली – सपा )

    राजेंद्र प्रसाद चौधरी का राजनीतिक सफर वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से शुरू हुआ, जब वे पहली बार रामनगर विधानसभा सीट से पार्टी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। उनकी शुरुआती सफलता ने उन्हें क्षेत्रीय राजनीति में एक मजबूत पहचान दिलाई।

    2012 में उन्होंने रुधौली विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के संजय प्रताप जायसवाल ने उन्हें हराया और राजेंद्र प्रसाद चौधरी को दूसरा स्थान मिला।

    2017 में उन्होंने दोबारा चुनावी मैदान में कदम रखा, लेकिन एक बार फिर संजय प्रताप जायसवाल के हाथों हार झेलनी पड़ी।

    राजनीतिक रणनीति में बदलाव करते हुए राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने 2022 में बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया। इस बार रुधौली सीट से उन्हें सपा का टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक करियर को नई दिशा दी।

    यह जीत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सपा के लिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह सीट पहले कांग्रेस के कब्जे में थी और अब चौधरी की वापसी के साथ सपा के खाते में गई।

    बस्ती जिले के विधायक (5) की खास रिपोर्ट: किसने बदले हैं पार्टी के झंडे?”

    बस्ती जिले की पाँचों विधानसभा सीटों के विधायकों की सूची है, जिसमें उनका दल और उनकी राजनीतिक पहचान (मूल विचारधारा / दलबदलू) दर्शाई गई है:

    क्रमांकविधानसभा सीटविजेता का नामदलराजनीतिक पहचान
    1बस्ती सदरमहेंद्र नाथ यादवसमाजवादी पार्टी (सपा)मूल विचारधारा
    2हर्रैयाअजय सिंहभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)मूल विचारधारा
    3कप्तानगंजकविंद्र चौधरीसमाजवादी पार्टी (सपा)मूल विचारधारा
    4महादेवादूधरामसुहेलदेव भारतीय समाज पार्टीदलबदलू
    5रुधौलीराजेन्द्र प्रसाद चौधरीसमाजवादी पार्टी (सपा)दलबदलू

    बस्ती जिले की पाँचों विधानसभा सीटों के हालिया चुनाव परिणामों में विविधता देखने को मिली है। बस्ती सदर सीट से समाजवादी पार्टी के महेंद्र नाथ यादव ने जीत दर्ज की, जो मूलतः सपा की विचारधारा से जुड़े नेता हैं। हर्रैया सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अजय सिंह ने बाजी मारी, जो पार्टी की मूल विचारधारा के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। वहीं, कप्तानगंज सीट से सपा के कविंद्र चौधरी विजेता रहे, जिनकी पहचान भी सपा की मूल विचारधारा से है।

    इसके विपरीत, महादेवा विधानसभा सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दूधराम ने जीत दर्ज की, लेकिन उनकी पहचान एक दलबदलू नेता के रूप में रही है। इसी प्रकार, रुधौली सीट से राजेन्द्र प्रसाद चौधरी ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता, जबकि वह भी दलबदलू की श्रेणी में आते हैं।

    इस प्रकार, बस्ती जिले की राजनीतिक स्थिति में कुछ क्षेत्र मूल विचारधारा के साथ टिके रहे तो कुछ जगहों पर दल-बदल करने वाले नेताओं ने भी सफलता पाई।

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