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सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया गांव भी न बन सका ओडीएफ

Under the MP Adarsh ​​Gram Yojana the village did not even have the ODF

Under the MP Adarsh ​​Gram Yojana the village did not even have the ODF

सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गांव भी न बन सका ओडीएफ

स्वच्छता अभियान से जुड़े एक केंद्रीय कर्मचारी ने कहा कि खुले में शौच करने जाने वालों में बड़ी तादाद उनकी है, जिनके घर शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। कई लोग टहलने के उद्देश्य से शौच के लिए खुले में जाते हैं, तो उनकी संख्या भी कम नहीं जो पानी दूर से लेकर जाने के आलस में बाहर जाते हैं। कर्मचारी ने कहा कि केवल शौचालयों का निर्माण ही काफी नहीं है।

खुले में शौच से मुक्ति का सपना पूरा कर पाना असंभव

जब सांसद आदर्श ग्राम का यह हाल है, तब जिला कैसे ओडीएफ होगा?

ऐसे में स्वच्छता अभियान को लेकर प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की गंभीरता को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि जब सांसद आदर्श ग्राम का यह हाल है, तब दो अक्टूबर 2018 तक जिला कैसे ओडीएफ होगा।  इसके लिए प्रत्येक शौचालय के साथ नल उपलब्ध कराने की जरूरत है। पानी कहीं दूर से लाकर शौचालयों के उपयोग करने में कोई भी असुविधा महसूस कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान की प्रत्येक बैठक में शौचालयों के साथ पानी की उपलब्धता का मुद्दा उठता रहता है,

सांसद ने सन 2014 में पहला बड़हरामीर गांव को लिया था गोद

वहीं सांसद आदर्श ग्रामों में योजना की खस्ता हालत कुछ और ही कहानी बयान कर रही है। गौरतलब है कि सांसद ने सन 2014 में पहला बड़हरामीर गांव को गोद लिया था। 887 मकानों की आबादी वाले गांव में महज 164 शौचालयों का ही निर्माण हुआ था। अभियान के तहत 135 शौचालय बनवाए जाने थे, लेकिन अभी तक इसे भी पूरा नहीं किया जा सका है। सांसद द्वारा गोद लिया गया दूसरा गांव है पनियरा ब्लॉक का गोनहा गांव।

सांसद द्वारा गोद लिए गए गांवों को ओडीएफ करना पहली प्राथमिकता साबित हो रही विफल

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