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बलिया: बाढ़ के कारण पलायन कर रहे लोग, राज्य और केंद्र सरकार मौन!

बलिया में गंगा के जलस्तर का 2013 का रिकार्ड टूट चूका है! दो सेमी प्रति घंटे बढ़ता जलस्तर लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चूका है! बाढ़ की ये स्थिति इलाके में नई नही है! 2003 और 2013 में बलिया के दुबेछपरा के आस-पास के इलाके बाढ़ के दंश को झेल चुके हैं!

गीता प्रेस द्वारा बनाया गया रिंग बांध 40 सालों बाद अब जर्जर हो चला है और मरम्मत के नाम पर पिछले साल इसकी ऊंचाई को बढ़ाया गया जो कि पर्याप्त नही था! बारिश के बाद स्थिति पूर्ववत वही हो गई! इस गाँव से सटे नेशनल हाईवे के होने के कारण ग्रामीणों को उम्मीद थी कि सरकार कुछ मदद करेगी लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार की प्राथमिकता गाँव को बचाने की है ही नहीं! सरकारें दर सरकारें बदलती रहीं लेकिन स्थिति वही रही!

flood in dubeychhapra

कभी गंगा नदी जो गाँव से 3-4 किलोमीटर की दुरी पर होती थीं, वो अब महज कुछ मीटर की दुरी पर बह रही हैं! आस-पास के करीब 10 गाँव बाढ़ की विभीषिका का शिकार हो चुके हैं और सड़क के दूसरी ओर अब नए सिरे से अपना आशियाना बसा चुके हैं! जिनके पास अपनी जमीनें थी वो तो घर बना लिए , लेकिन जिनके पास नही थी उनका तो जीना दूभर हो गया!

राज्य सरकार और इलाके के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो चुके इस गाँव की आखिरी उम्मीद अब रिंग बाँध ही है! जो लगातार बाढ़ के प्रकोप को सहते-सहते बुढा हो चला है! चौतरफा कटान की स्थिति के कारण अब गाँव के लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं! प्रशासन भी अलर्ट जारी करने के अलावा कुछ ठोस कदम उठाने में असमर्थ है! नेशनल हाईवे के समीप बालू की बोरी भरकर पानी को ओवर फ्लो होने से रोकने का काम चल रहा है!

वीडियो: 

डीएम बलिया के अनुसार, कटान प्रभावित इलाके के नजदीक बसे लोगों को घर खाली करने को कह दिया गया है! अब वो अपनी बसी-बसाई दुनिया अपने हाथों ही उजाड़ने को मजबूर हैं! और सभी समान लेकर अन्यत्र जाने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है! जिले के सांसद और भाजपा नेता भरत सिंह ने भी आश्वासन दिया लेकिन इलाके की जनता ऐसे आश्वासनों की आदी हो चुकी है! आश्वासन के अलावा सरकार से कुछ मिला नहीं! पानी ओवर फ्लो होने के बाद गाँव डूब जाता है और तब उसके बाद बचाव दल डेरा डाल देता है! यही इस इलाके की कहानी है!

गंगा के कटान को रोकने का एक मात्र तरीका ठोकर का निर्माण, लेकिन प्रशासन की लापरवाही कहिये या इलाके के लोगों की किस्मत, 10 सालों से केवल आश्वासन के भरोसे ही गाँव के लोग बैठे हैं!

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