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नए निदेशक के आने बाद 3 माह के भीतर तीन स्टार वन्यजीवों की मौत

rhino lohit babbar sher prince and white tiger aryan died in three month

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नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में जब से नए निदेशक की तैनाती हुई है तब से चिड़ियाघर को लगातार झटके लग रहे हैं। 3 माह के भीतर लगातार हुई तीन स्टार वन्यजीवों की मौत से प्रशासनिक अधिकारियों के कान खड़े हो गए है। चिड़ियाघर में आने वाले मायूस दर्शकों के मुताबिक, जब से नए निदेशक आरके सिंह आये हैं तब से तीन मौतें हो चुकी हैं। दर्शकों ने चिड़ियाघर प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

तीन मुख्य जीवों की मौत से मातम

24 नवंबर 2017 को बीमार चल रहे लखनऊ चिड़ियाघर के बुजुर्ग सफेद बाघ आर्यन ( 17) ने दम तोड़ दिया। मौत की खबर फैलते ही उसको बचपन से पालने वाले कीपर, इलाज कर रहे डाक्टरों और उन छोटे-छोटे बच्चों में शोक की लहर दौड़ गई थी। आर्यन की उम्र के बराबर फूल-मालाओं, बुके से उसको श्रद्धांजलि के बाद चिकित्सकों ने उसका पोस्टमार्टम किया। आर्यन 2001 में पैदा हुआ था उसकी मां का नाम रीमा और पिता का नाम रूपेश था। रूपेश की मृत्यु कैंसर से हुई थी। उसकी मां रीमा का भी देहांत हो चुका है। आर्यन की एक बहन रूपा थी जो कानपुर चिड़ियाघर भेजी गई थी। उसकी भी मृत्यु हो चुकी है। आर्यन और विशाखा की दो नर सन्तानें जय और विजय फिलहाल बाड़े में रह रहे हैं।

30 दिसंबर 2017 को संकर प्रजाति का बब्बर शेर प्रिंस (21) की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। प्रिंस बब्बर शेरों की औसत अधिकतम आयु को भी पार कर चुका था। यह बब्बर शेर दिनांक एक अप्रैल 2003 को चंड़ीगढ़ प्राणि उद्यान से अपनी जीवन संगिनी सुभांगी के साथ प्राणि उद्यान लखनऊ लाया गया था। प्राणि उद्यान आने के समय प्रिंस की उम्र 7 वर्ष की थी। पिछले साल जुलाई में बुढ़ापे के कारण इसकी साथी सुभांगी की भी मृत्यु हुई थी। प्रिंस की मृत्यु का कारण कार्डियो रिस्पेक्टरी फेलियर पाया गया। प्राणि उद्यान के पशुचिकित्सकों डॉ. उत्कर्ष शुक्ला और डॉ. अशोक कश्यप के मुताबिक उसको बचाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने दम तोड़ दिया था।

03 फरवरी 2018 को लखनऊ चिड़ियाघर में इकलौते और खूंखार गैंडा में शुमार बुजुर्ग लोहित की मौत हो जाने से जू प्रशासन को तगड़ा झटका लगा है। जू प्रशासन की माने तो लोहित के दांत गिर गए थे। वह पिछले 2 हफ्ते से बीमार था। सुबह तड़के लोहित ने अंतिम सांस ली। गैंडा का डॉक्टरों की निगरानी में पोस्टमॉर्टम किया गया। गैंडा लोहित का स्वास्थ्य काफी दिनों से बिगड़ा हुआ था। चिड़ियाघर के अकेले गैंडा लोहित ने गुरुवार को खाना बंद कर दिया था। वह पानी और गन्ना के रस पर ही रह रहा था। लोहित का इलाज लखनऊ और कानपुर चिड़ियाघर के विशेषज्ञों की निगरानी में चल रहा था। उसके इलाज के लिए केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजीएए), नई दिल्ली और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली से भी परामर्शकर्ता आये हुए थे। लोहित का जन्म 1984 में हुआ था। वर्तमान में उसकी उम्र 34 वर्ष थी। बुढ़ापे के कारण वह काफी कमजोर हो गया था। लोहित पिछले एक महीने से अच्छी तरह खाना नहीं खा पा रहा था क्योंकि उसके दांत गिर गए थे।

लखनऊ चिड़ियाघर का बुजुर्ग गैंडा लोहित की मौत से शोक की लहर, दर्शक हुए मायूस

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