उत्तर प्रदेश में होने वाले यूपी पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियों में उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें 504 ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी की गई है। अब राज्य में 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे, जो अप्रैल 2026 में होने की संभावना है। यह बदलाव न केवल ग्रामीण प्रशासन को प्रभावित करेगा, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

पंचायत पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश में पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी के लिए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया के तहत, 504 ग्राम पंचायतों को या तो शहरी स्थानीय निकायों में शामिल कर लिया गया है या फिर आसपास की पंचायतों के साथ विलय कर दिया गया है। यह निर्णय शहरीकरण के विस्तार और ग्रामीण क्षेत्रों के पुनर्गठन के कारण लिया गया है। अब राज्य में कुल 57,695 ग्राम पंचायतें रह गई हैं, जो पहले 58,199 थीं।

परिसीमन का प्रभाव

परिसीमन के कारण 36 जिलों में ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी देखी गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिला देवरिया है, जहां 64 ग्राम पंचायतें कम हुई हैं। इसके बाद आजमगढ़ (47), प्रतापगढ़ (45), अमरोहा और गोरखपुर (प्रत्येक 21), गाजियाबाद (19), फतेहपुर (18), अलीगढ़ (16), और फर्रुखाबाद (14) का नंबर आता है। यह पुनर्गठन उत्तर प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1947 (1994 में संशोधित) के तहत किया गया है, जो ग्राम सभाओं के गठन और पंचायत क्षेत्रों की घोषणा को नियंत्रित करता है।

पुनर्गठन के बाद 11 नई ग्राम पंचायतों का सृजन किया गया है। नगरीय निकायों के विस्तार की वजह से 512 ग्राम पंचायतें पूरी तरह समाप्त हुई हैं। अब कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 57694 है।देवरिया की 64, आजमगढ़ की 49, अयोध्या की 22, अमरोहा की 21, अलीगढ़ की 16, फतेहपुर की 19, फर्रूखाबाद की 14, गाजियाबाद की 19, गोंडा की 22, गोरखपुर की 22, हरदोई की 14, कुशीगनर की 23, मऊ की 26, प्रतापगढ़ की 46, संतकबीर नगर की 24, सीतापुर की 11 के साथ ही अन्य कई जनपदों की कुछ पंचायतें पुनर्गठन में पूरी तरह समाप्त हुई हैं।

देवरिया की 64, आजमगढ़ की 49, अयोध्या की 22, अमरोहा की 21, अलीगढ़ की 16, फतेहपुर की 19, फर्रूखाबाद की 14, गाजियाबाद की 19, गोंडा की 22, गोरखपुर की 22, हरदोई की 14, कुशीगनर की 23, मऊ की 26, प्रतापगढ़ की 46, संतकबीर नगर की 24, सीतापुर की 11 के साथ ही अन्य कई जनपदों की कुछ पंचायतें पुनर्गठन में पूरी तरह समाप्त हुई हैं।

जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 5 जून, 2025 तक अंतिम प्रस्ताव पंचायती राज निदेशालय को सौंप दें। इन प्रस्तावों में प्रभावित पंचायतों का तुलनात्मक विवरण और यह प्रमाणन शामिल होना चाहिए कि कोई भी ग्रामीण क्षेत्र पंचायत ढांचे से बाहर न रहे। यदि कोई पंचायत एकल राजस्व ग्राम के साथ अयोग्य हो जाती है, तो उसे नजदीकी पंचायत में विलय कर दिया जाएगा।

यूपी पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां

पंचायती राज विभाग ने अप्रैल 2026 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन चुनावों में ग्राम प्रधानों के अलावा 75 जिला पंचायत अध्यक्ष और 826 ब्लॉक प्रमुख चुने जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसके तहत, 67 जिलों में 1.27 लाख मतपेटियों की आपूर्ति के लिए ई-टेंडर जारी किए गए हैं, जिनकी डिलीवरी चार महीनों में पूरी होनी है। इसके अलावा, जुलाई 2025 से मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अभियान शुरू होगा, जो दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा।

पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने विधानसभा में जानकारी दी है कि ये चुनाव जनवरी-फरवरी 2026 में भी हो सकते हैं, क्योंकि 2026 और 2027 के बीच का समय विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण है। यह चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक तरह से सेमीफाइनल माना जा रहा है, क्योंकि यह राजनीतिक दलों की ग्रामीण स्तर पर ताकत का आकलन करेगा।

राजनीतिक दलों की रणनीति

पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी (आप) जैसे दल इस चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं।

  • कांग्रेस: उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए “संगठन सृजन” अभियान शुरू किया है। पार्टी के महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा है कि जिला-स्तरीय नेता पंचायत चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, क्योंकि यह पार्टी की ग्रामीण स्तर पर ताकत का असली परीक्षण होगा।
  • आम आदमी पार्टी (आप): आप ने घोषणा की है कि वह जिला पंचायत चुनावों में अकेले लड़ेगी, बिना किसी गठबंधन के। पार्टी के नेता संजय सिंह ने मेरठ में कार्यकर्ताओं के साथ संकल्प शिविर में भाग लिया, जहां उन्होंने इस रणनीति की घोषणा की।
  • रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले): रामदास आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी भी 2026 में जिला पंचायत चुनाव लड़ेगी।
  • समाजवादी पार्टी (सपा): सपा ने “पीडीए पंचायत” की योजना बनाई है, जो पिछड़ा, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों को एकजुट करने की रणनीति है।

प्रत्यक्ष मतदान की प्रस्तावित व्यवस्था

उत्तर प्रदेश सरकार ग्रामीण चुनावी व्यवस्था में बड़े बदलाव की योजना बना रही है। पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बताया कि 2026 से जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए प्रत्यक्ष मतदान की व्यवस्था लागू की जा सकती है। वर्तमान में, ये पद अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं, जिसमें मतदाता जिला पंचायत और ब्लॉक विकास समिति (बीडीसी) के सदस्यों का चुनाव करते हैं, जो बाद में अध्यक्ष और प्रमुख चुनते हैं।

इस बदलाव के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी, क्योंकि पंचायत चुनाव संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत आते हैं, जो 73वें संशोधन के माध्यम से ग्रामीण शासन को संवैधानिक ढांचा प्रदान करता है। राजभर ने कहा कि अप्रत्यक्ष प्रणाली ग्रामीण विकास में बाधा रही है, और प्रत्यक्ष मतदान से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

ग्रामीण विकास और शिकायतें

पंचायत चुनावों के नजदीक आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों में लापरवाही की शिकायतें बढ़ रही हैं। बागपत में, उदाहरण के लिए, ऐसी शिकायतों ने जोर पकड़ा है। यह स्थिति दर्शाती है कि ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और नए नेतृत्व के चयन से ग्रामीण विकास पर भी प्रभाव पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव न केवल ग्रामीण शासन के लिए, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ होंगे। 504 ग्राम पंचायतों की कमी और परिसीमन की प्रक्रिया से ग्रामीण क्षेत्रों का प्रशासनिक और राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा। यह पुनर्गठन शहरीकरण के विस्तार को दर्शाता है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी ग्रामीण क्षेत्र पंचायत ढांचे से बाहर न रहे।

राजनीतिक दलों की सक्रियता और प्रत्यक्ष मतदान की प्रस्तावित व्यवस्था से पंचायत चुनावों में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है। हालांकि, विकास कार्यों में लापरवाही की शिकायतें और प्रशासनिक तैयारियों की समयबद्धता महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं। हमारा सुझाव है कि मतदाताओं और स्थानीय नेताओं को इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, ताकि ग्रामीण शासन को और मजबूत किया जा सके।

पंचायती राज विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण और मतपेटियों की आपूर्ति समय पर पूरी हो, ताकि अप्रैल 2026 में निर्धारित समय पर मतदान प्रक्रिया संपन्न हो सके। यह चुनाव उत्तर प्रदेश की ग्रामीण सत्ता का भविष्य तय करेगा और 2027 के सियासी ताज के लिए माहौल तैयार करेगा।

यूपी पंचायत चुनाव 2026

  • यूपी पंचायत चुनाव 2026: 504 ग्राम पंचायतें घटाई गईं, नई अधिसूचना जारी
  • पंचायत चुनाव 2026: 504 पंचायतें घटीं, नए परिसीमन के तहत बदलेगा चुनाव का नक्शा
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  • यूपी पंचायत चुनाव 2026: 504 ग्राम पंचायतें कम, अप्रैल में होंगे चुनाव
  • यूपी पंचायत चुनाव 2026: गांवों की सत्ता से तय होगा 2027 का सियासी ताज
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