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एशियाई खेलों में कानपुर का नाम रोशन कर घर लौटी बेटी का हुआ फूलों से स्वागत

Jyoti Shukla wins at Asian Games returned home welcomed by family

Jyoti Shukla wins at Asian Games returned home welcomed by family

जकार्ता में हुए 18वें एशियाई खेलों में भारत की ओर से हैंडबाल स्पर्धा का प्रतिनिधित्व कर रही कानपुर की पहली खिलाड़ी ज्योति शुक्ला शहर लौट आई है. ज्योति के शहर लौटने पर उनके चाहने वालों की सेंट्रल स्टेशन पर खासी भीड़ जमा हो गयी और स्टेशन पर कदम रखते ही लोगों ने फूल मालाओं से लाद दिया. यही नहीं शहर की बेटी के इस मुकाम तक पहुंचने की खुशी में लोगों ने गोद में उठा लिया.

स्टेशन पर हुआ भव्य स्वागत:

इण्डोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 18वे एशियाई खेलों का आयोजन किया गया. जिसमें महिला हैंडबाल स्पर्धा में शहर की काकादेव की रहने वाली बेटी ज्योति शुक्ला ने प्रतिभाग लिया था.
कानपुर में पहली बार किसी खिलाड़ी ने हैंडबाल स्पर्धा में एशियाई खेल खेला है.
हालांकि एशियाई खेल में महिला हैंडबाल की टीम भारत की ओर से कुछ खास नहीं कर सकी पर कानपुर की बेटी द्वारा भारत का प्रतिनिधित्व करने पर शहरवासियों में गजब का उत्साह रहा.
जिसके चलते जैसे ही ज्योति ने ट्रेन से सेंट्रल स्टेशन पर कदम रखा तो उनके स्वागत के लिए भीड़ उमड़ पड़ी और खुशी से जिंदाबाद के नारे लगाये गये.
समर्थकों ने ज्योति को फूल मालाओं से लाद दिया और उनके परिजनों व रिश्तेदारों ने खुशी से शहर की बेटी को गोद में उठा लिया.
ज्योति को बधाई देने के लिए प्लेटफार्म में लोग इस कदर आतुर थे जो जानते भी नहीं थे वह जानकारी होने पर बधाई देने के लिए आगे बढ़ते नजर आये.
इसके बाद उनका काफिला ग्रीनपार्क स्टेडियम में पहुंचा जहां उनके पिता शिव शंकर शुक्ला और माता मीरा देवी का सम्मान किया गया.
यहां पर ज्योति ने पूर्व खिलाड़ियों से अपने इस सफर पर चर्चा की और इसके बाद अपने काकादेव स्थित घर के लिए रवाना हो गयीं.
इस दौरान रास्ते में जगह-जगह शहरवासियों ने उन्हे रोककर स्वागत करते हुए बधाइयां दी.

ज्योति का जकार्ता तक का सफर:

कोच अतुल मिश्रा ने बताया कि ज्योति पूर्णा देवी कालेज में प्रवेश लेने के साथ ही 2009 से हैंडबाल खेलना शुरू किया था.
इसके बाद से उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज अन्तरराष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बनाकर जकार्ता तक का सफर तय कर लिया.
बताया कि ज्योति खेल कोटे से रेलवे में टीटीई है जो इन दिनों में गोरखपुर में तैनात है.

यहां से आया टर्निंग प्वाइंट:

कोच ने बताया कि 2009 में ही मैने ग्रीनपार्क स्टेडियम में ज्योति की मुलाकात हैंडबाल एसोसिएशन के चेयरमैन रजत आदित्य दीक्षित से कराया.
ग्रीनपार्क पर मात्र 3-4 माह के प्रशिक्षण में ही ज्योति का खेल देख रजत ने उन्हें लखनऊ के साई हॉस्टल भेज दिया. यहीं से ज्योति का टर्निंग प्वाइंट शुरू हुआ.
लगातार तीन साल तक प्रशिक्षण के बाद उनका चयन यूपी टीम में हुआ. यूपी टीम में अच्छे प्रदर्शन के बूते ज्योति ने वर्ष-2016 में इंटरनेशनल टूर्नामेंट ढाका में होने वाली साउथ एशियन चैंपियनशिप के लिए चयनित भारतीय टीम में जगह पक्की की.
इसमें भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता. वर्ष-2016 में ही उजबेकिस्तान के लिए चयनित टीम में भी उन्होंने जगह बनाई, लेकिन वहां सफलता नहीं मिली.
इसके अगले साल वर्ष-2017 में स्वीडन खेलने गईं। इसमें भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता. वर्ष-2017 में ही सिंगापुर गई भारतीय टीम में भी वह शामिल रहीं,
लेकिन वहां भी असफलता हाथ लगी और एशियाई खेल में भी भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा.
इसके बावजूद यहां तक का सफर करने में कानपुर के लिए गौरव की बात है.
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