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शासन नहीं पता यूपी जेलों में कितने किन्नर, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई

CM Yogi how many shemales Hindu Muslim Sikh isai in UP jails

CM Yogi how many shemales Hindu Muslim Sikh isai in UP jails

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी होने पर भी कम्प्यूटराइजेशन और संचार क्रांति के हिमायती थे। संत होने पर भी वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ शासन-प्रशासन को पेपरलेस बनाने की पुरजोर हिमायत करते हैं। ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि यूपी के जेल महकमे के सबसे बड़े आफिसों और हाकिमों को सूबे की जेलों में बंद कैदियों की कई अहम जानकारियाँ नहीं हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं।

पर अब सूबे की राजधानी लखनऊ के आरटीआई कंसलटेंट संजय शर्मा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई से एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिससे यूपी के शासन और जेल मुख्यालय की जेलों में बंद कैदियों की पूरी जानकारियां रखने के वारे में उदासीन रवैया अपनाने की बात सामने आ रही हैं।

संजय शर्मा ने बीते 16 नवम्बर को यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके यूपी की जेलों और जेलों में बंद कैदियों के सम्बन्ध में 10 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने बीते 30 नवम्बर को संजय की अर्जी को यूपी के कारागार विभाग को अंतरित कर दिया था।

उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग-3 की अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी किरण कुमारी ने बीते 6 दिसम्बर को संजय की अर्जी को यूपी के कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाओं के लखनऊ स्थित मुख्यालय को अंतरित कर दिया था। जहाँ के अपर महानिरीक्षक कारागार डा. शरद ने बीते 20 दिसम्बर को पत्र जारी करके संजय को जो सूचना दी है। उससे सामने आ रहा है कि संचार क्रांति और कम्प्यूटराइजेशन के इस समय में भी यूपी का जेल महकमा अपनी जेलों में बंद कैदियों की कई अहम जानकारियों से अनजान है।

संजय शर्मा को दी गई सूचना के अनुसार यूपी के शासन और जेल मुख्यालय में यूपी की जेलों में बंद कैदियों में से किन्नर, हिन्दू, मुसलमान, सिख और ईसाई कैदियों की संख्या की कोई भी सूचना नहीं है। आरोपित अपराधों की निर्धारित अधिकतम सजा में से आधी से अधिक सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों की संख्या की सूचना शासन और जेल मुख्यालय में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है। समाजसेवी संजय शर्मा ने इस आरटीआई जबाब के आधार पर जेल महकमें पर कैदियों के मानवाधिकारों के प्रति उदासीन रुख अपनाने का गंभीर आरोप लगाया है।

संजय कहते हैं कि एक तरफ जहाँ देश और राज्य की सरकारें किन्नरों को उनकी पहचान दिलाने की पुरजोर शिफारिश कर रही हैं। वहीं यूपी के जेल महकमे के अधिकारी सरकारों के इन मंसूबों पर पानी फेरते नज़र आ रहे हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436A का हवाला देते हुए संजय शर्मा कहते हैं कि जब जेल महकमे को ही नहीं पता कि कितने कैदी इस धारा के तहत बिना जमानत या बांड के जेलों से छोड़े जाने योग्य हो गए हैं।

तो ऐसे में यूपी में मानवाधिकार के संरक्षण की बात करना पूरी तरह से बेमानी है। गौरतलब है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436A के अनुसार आरोपित अपराधों की निर्धारित अधिकतम सजा में से आधी से अधिक सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों को न्यायालय द्वारा बिना किसी जमानत या बांड के ही रिहा किये जाने की व्यवस्था की गई है।

जेलों में कैदियों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं की गुणवत्ता के पर्यवेक्षण के लिए राज्य सरकार की प्रचलित नीति की कोई भी सूचना नहीं दिए जाने से सूबे की सरकार का कैदियों के अधिकारों के प्रति उदासीन रवैया सामने आने की बात भी संजय ने कही है। अलबत्ता डा. शरद ने संजय को यह जरूर बताया है कि इस वित्तीय वर्ष में यूपी की सभी 70 जेलों में सीसीटीवी की स्थापना कर सुरक्षा को सुद्रण करने का कार्य पूर्ण हो जायेगा l

इनमें से 23 कारागारों में वित्तीय वर्ष 2014-15 में, 20 कारागारों में वित्तीय वर्ष 2015-16 में और 20 कारागारों में वित्तीय वर्ष 2016-17 में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए वित्तीय स्वीकृतियां दीं गईं थीं। 05 कारागारों में निर्माण के समय ही सीसीटीवी कैमरों की इकाइयां लगाने और अवशेष 2 कारागारों में वर्तमान वित्तीय वर्ष में स्वीकृति प्रक्रियाधीन होने की बात भी शरद ने संजय को बताई है।

कैदियों की पूरी जानकारियां न रखने को मानवाधिकार हनन का गंभीर कारक बताते हुए संजय शर्मा ने शासन और जेल प्रशासन को जेलों का अद्यतन डाटा रखकर मानवीय बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए योगी आदित्यनाथ को अपंजीकृत सामाजिक संगठन “तहरीर” की ओर से पत्र लिखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार से की गई एक एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है।

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