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बागपत: 4000 साल पहले रथ-मुकुट का हुआ था इस्तेमाल, मिले साक्ष्य

asi-excavation 4000 year old chariot-crown-found

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बागपत में खुदाई के दौरान मिले अवशेषों से कई हज़ार साल पुरानी हमारी भारतीय सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं. इन साक्ष्यों को महाभारत काल से भी जोड़ कर देखा जा रहा हैं. 4000 साल पहले भारतीय रथ और मुकुट सहित कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते थे जिन्हें देख कर पुरातत्व विभाग की उत्सुकता बढ़ गयी हैं.

4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले:

उत्तर प्रदेश के बागपत में आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को 4000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं. इस बात से साफ़ हो गया हैं कि हमारे पूर्वज 4000 साल पहले रथ और मुकुट सरीखे चीजों का इस्तेमाल करते थे.

बागपत में खेत की जमीन से महज दस सेंटीमीटर नीचे मिली कांस्य युगीन सभ्यता के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि यह सभ्यता मेसोपोटामिया जैसी समृद्ध रही होगी.

एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि हम बागपत के सादिकपुर सनौली गांव में खुदाई कर रहे हैं. इस इलाके में इतनी प्राचीनतम सभ्यता मिलना हैरान करने वाला है.

महाभारत काल के हो सकते हैं अवशेष:

इस खुदाई का काम देख रहे एएसआई अधिकारी डॉ एस के मंजुल का कहना है कि अभी तक जो तथ्य मिले हैं उससे तो यह लगता है कि यह काल 4000 साल पुराना रहा होगा. यानी लगभग 1800 से 2000 ईसा पूर्व का.

बता दें कि महाभारत काल में पांडवों ने 5 गाँव मांगे थे इनमे बागपत भी शामिल था. इसलिए इस सभ्यता के अवशेष को महाभारत काल से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

इस इलाके में खुदाई में शाही कब्रों का एक समूह मिला है. कब्रें और अंतिम संस्कार के जो साक्ष्य मिले हैं उनमें पहली बार ताबूत में रखी इतनी पुरानी कब्रें मिली हैं. तमाम कब्रें लकड़ी के ताबूत में बंद हैं. इनकी दीवारों पर तांबे की प्लेटिंग है, जिस पर तमाम तरह की आकृतियां उकेरी गई हैं.

तलवारें, खंजर, मशाल पाए गये:

इतना ही नहीं, ताबूत में तांबे की कीलों का इस्तेमाल किया गया है. इसके पास ही एक गढ्ढे में दो रथ, ताबूत के सिरहाने में मुकुट जैसी चीज के अवशेष भी मिले हैं.

यही हीं, ताबूत के पास तीन तलवारें, दो खंजर, एक ढाल, एक मशाल और एक प्राचीन हेलमेट भी मिला है.

खुदाई में एक महिला का कंकाल भी मिला है, जिसका ताबूत पूरी तरह से गल चुका था. इस महिला के सर के पास एक सोने का बीड के साथ चांदी का कुछ सामान, सींग का बना कंघा और एक तांबे का आइना भी है.

इससे पहले कभी नहीं मिले रथ:

एएसआई अधिकारियों ने बताया कि साल 2005 में इसी जगह से 120 मीटर की दूरी पर एक कब्रगाह मिली थी, जिसमें से लगभग 116 कब्रें मिली हैं. उन कब्रों के पास भी तलवारें आदि मिली थी.

अधिकारियों का मानना है कि शायद यह कब्रें योद्धाओं की रही होगी. साथ ही इनके शाही होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

एएसआई डॉ एस के मंजुल का कहना है कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह पहला मामला है, जहां पूरा रथ मिला है. इसके पहले रथ कहीं भी खुदाई में नहीं मिले हैं.

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