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यूपी में 10 रुपये में भोजन का सपना अधूरा, 23 जिलों में अन्नपूर्णा योजना ठप

Annapurna scheme stalled: workers not getting food at Rs 10 in UP

Annapurna scheme stalled: workers not getting food at Rs 10 in UP

भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश की भाजपा सरकार एक साल पूरा होने पर रंगारंग कार्यक्रम कर जश्न मना रही हो लेकिन श्रमिकों को 10 रुपये में टिफिन देने का वादा आज तक नहीं पूरा हो पाया। मजदूरों का पेट भरने के लिए अन्नपूर्णा योजना के तहत खाना देने का दावा किया गया था लेकिन ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और आज तक नहीं शुरू हो पाई। हालांकि इस संबंध में जब हमारे संवाददाता ने मेरठ के उप श्रम आयुक्त सरजू राम शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों के लिए योजनाएं घाोषित की गई थी। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड लखनऊ से अभी तक इस प्रकार का दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। निर्देश प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि मजदूरों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए यूपी के 23 जिलों में अन्नपूर्णा योजना शुरू की जानी थी। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्लू) में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को 10 रुपये में दोपहर का भोजन देने का वादा किया था। लंच टिफिन की शुरुआत पिछले साल शुरू की जानी थी। इसके बाद यह योजना इलाहाबाद व अन्य जिलों में भी लागू की जानी थी।

राज्य सरकार पंजीकृत श्रमिकों को दस रुपये में दाल, चावल, रोटी और सब्जी सहित भरपूर भोजन 10 रुपये में उपलब्ध कराने के लिए अन्नपूर्णा योजना के तहत देने जा रही थी। बीओसीडब्लू इसके लिए पिछले साल टेंडर जारी किया था। बोर्ड के सचिव व उप श्रमायुक्त बीजे सिंह ने बताया था कि खाने पर आने वाला बाकी का पैसा उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड वहन करेगा। श्रमिकों सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए संस्थाओं, फर्मों व कंपनियों से 7 से 21 अगस्त के बीच ई- टेंडर मांगे गये थे। लेकिन कुछ कमी के कारण यह योजना जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रही है।

इन जिलों में लागू होनी थी सस्ते भोजन की योजना

जिस दौरान 2 अगस्त 2017 को इस योजना के लिए निर्देश जारी किये गए थे उस समय हापुड़ जिला में 585 श्रमिक पंजीकृत थे। वहीं मुरादाबाद में 341 बरेली में 245, मेरठ में 400, झांसी में 730, अलीगढ़ में 210, इलाहाबाद में 1229, वाराणसी में 919, गोरखपुर में 445, गौतमबुद्धनगर में 237, गाजियाबाद में 450, जौनपुर में 500, बदायूं में 1030, बुलंदशहर में 342, शाहजहांपुर में 240, फैजाबाद में 100, चित्रकूट में 700, गोंडा में 200, महोबा में 1525, बांदा में 518, बलरामपुर में 500, इटावा में 300, आजमगढ़ में 120 श्रमिक पंजीकृत थे। लेकिन इन जिलों में श्रमिकों को 10 रुपये में भोजन नसीब नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं डिजिटल इंडिया की बात करने वाली भाजपा सरकार के श्रम मंत्रालय की वेबसाइट पर भी टेंडर या ताजा अपडेट उपलब्ध नहीं है।

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