विनोद चतुर्वेदी का जीवन परिचय उत्तर प्रदेश की राजनीति, विशेषकर बुंदेलखंड क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अध्याय की तरह है। एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पुत्र के रूप में जन्मे विनोद चतुर्वेदी ने न सिर्फ पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि अपने राजनीतिक और सामाजिक कार्यों से क्षेत्र में एक प्रभावशाली नेता की पहचान बनाई।
विनोद चतुर्वेदी : जन्म, शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि
विनोद चतुर्वेदी का जन्म 23 अप्रैल 1955 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गांव ऐर में हुआ था। वे हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं और ब्राह्मण जाति से आते हैं। उनके पिता स्वर्गीय गजाधर प्रसाद चतुर्वेदी स्वतंत्रता सेनानी रहे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया। पारिवारिक संस्कारों और राष्ट्रसेवा की भावना ने ही विनोद चतुर्वेदी को आगे चलकर राजनीति के क्षेत्र में उतरने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षा के क्षेत्र में भी वे अग्रणी रहे। उन्होंने दयावान वैदिक डिग्री कॉलेज, उरई से स्नातकोत्तर (M.A.) की डिग्री वर्ष 1984 में प्राप्त की, और इसके बाद एलएलबी (LLB) कर वकालत के पेशे से जुड़ गए। वे कृषि और वकालत को अपना व्यवसाय मानते रहे हैं।
पारिवारिक जीवन
विनोद चतुर्वेदी का विवाह 8 मार्च 1972 को श्रीमती कमला चतुर्वेदी से हुआ। उनकी पत्नी का जन्म 5 जनवरी 1956 को हुआ था। उनके चार संतानें हैं – तीन पुत्र और एक पुत्री। उनका राजनीतिक और पारिवारिक जीवन दोनों ही संतुलित और सशक्त रहे हैं।
विनोद चतुर्वेदी : राजनीतिक जीवन का आरंभ: कांग्रेस से गहरी निष्ठा
विनोद चतुर्वेदी का राजनीतिक सफर कांग्रेस पार्टी से शुरू हुआ। गांव से शहर आकर राजनीति में प्रवेश करने वाले विनोद चतुर्वेदी ने कांग्रेस के साथ चार दशकों से अधिक समय तक गहरी निष्ठा बनाए रखी। पार्टी ने उन्हें चार बार जालौन जिले का जिलाध्यक्ष बनाया, जो उनके संगठनात्मक अनुभव और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।
उन्हें चार बार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का टिकट मिला, लेकिन वर्ष 2007 में पहली बार उरई विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। यह उनकी लोकप्रियता और मेहनत का ही परिणाम था कि जनता ने उन्हें प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेजा।
कांग्रेस में वरिष्ठता और प्रियंका गांधी के सलाहकार
विनोद चतुर्वेदी का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर इसलिए भी खास है क्योंकि उन्हें कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से भी खास मान्यता मिली। प्रियंका गांधी वाड्रा के वे सलाहकार रहे और उन्हें पार्टी की नीतियों पर सुझाव देने का जिम्मा भी दिया गया। विशेषकर बुंदेलखंड में कोई भी राजनीतिक रणनीति बनती, तो विनोद चतुर्वेदी की सलाह ली जाती थी। उन्हें पार्टी की सलाहकार परिषद का सदस्य भी बनाया गया था।
कांग्रेस छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल
राजनीति में समय के साथ बदलाव होते हैं। वर्ष 2021 में विनोद ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहकर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया। यह निर्णय उस समय के राजनीतिक हालात और स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। कांग्रेस से मोहभंग और सपा में सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा के चलते यह कदम उठाया गया।
कालपी से चतुर्वेदी 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में 35वें सबसे कम अंतर से जीतने वाले उम्मीदवार थे .उन्होंने निषाद पार्टी के उम्मीदवार छोटे सिंह को सिर्फ 2816 वोटों से हराया
परिवार की नई राजनीतिक दिशा
विनोद चतुर्वेदी के पुत्र आशीष चतुर्वेदी ने भी अपने पिता की ही राह पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 2017 में कांग्रेस से उरई नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2022 में वे अपने पिता के साथ सपा में शामिल हो गए। हालांकि बाद में उन पर कानूनी विवादों के चलते दबाव बना, और इसके परिणामस्वरूप विनोद चतुर्वेदी ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट किया।
इस राजनीतिक रुख परिवर्तन के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें Y प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की, जो उनके बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेत था।
विनोद चतुर्वेदी : भाजपा में नई राजनीतिक पारी की शुरुआत
विनोद चतुर्वेदी की राजनीतिक विरासत अब भाजपा की ओर झुक गई है। अप्रैल 2024 में उनके पुत्र आशीष चतुर्वेदी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि परिवार की अगली पीढ़ी की राजनीति का मार्ग अब भाजपा से होकर जाएगा। उनके साथ कोंच नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष स्व. अशोक शुक्ला के पुत्र अमित शुक्ला ने भी भाजपा जॉइन की।
विनोद चतुर्वेदी का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पुत्र से लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष, विधायक, प्रियंका गांधी के सलाहकार, और अब समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता के रूप में उनका सफर संघर्षों, अनुभवों और उपलब्धियों से भरा हुआ रहा है।
उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र की जनता के लिए कार्य किया, बल्कि एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में बुंदेलखंड की राजनीति में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई। बदलते राजनीतिक दौर में भी उनकी प्रासंगिकता और अनुभव उन्हें एक विशिष्ट नेता के रूप में स्थापित करते हैं।
जालौन जिले की विधानसभा सीटों का 2022 चुनाव परिणाम [ Jalaun Assembly Election Results 2022 ]
क्रम संख्या | विधानसभा सीट | विजेता पार्टी | विजेता का नाम |
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1 | माधौगढ़ | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) | मूलचंद निरंजन |
2 | उरई | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) | गौरीशंकर वर्मा |
3 | कालपी | समाजवादी पार्टी | विनोद चतुर्वेदी |
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व