जानिए कौन हैं सैयदा खातून ?

सैयदा खातून उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक उभरता हुआ नाम हैं, जिन्होंने डुमरियागंज विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में 2022 में जीत दर्ज की। इनका जन्म 20 अप्रैल 1973 को ग्राम विथारिया, तहसील डुमरियागंज में हुआ। वे स्वर्गीय तौफीक अहमद की पुत्री हैं, जो स्वयं दो बार विधायक रह चुके हैं। स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त सैयदा खातून ने पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।

वर्ष 1998 में उनका विवाह श्री जहीर अहमद मलिक से हुआ। उनके दो पुत्र हैं। राजनीतिक जीवन के साथ-साथ वे कृषि और व्यापार से भी जुड़ी हुई हैं। इसके अतिरिक्त वे तौफीक मेमोरियल एजुकेशनल एक्ट वेलफेयर ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी हैं और शिक्षा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं।

सैयदा खातून का जीवन परिचय

सैयदा खातून का जीवन परिचय राजनीति और सामाजिक सेवा से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद शिक्षा संस्थानों के संचालन में योगदान देना शुरू किया। वर्ष 2000 में वे “तौफीक मेमोरियल डिग्री कॉलेज बयारा” और “अब्दुल कलाम आजाद एजूकेशन इंस्टिट्यूट” की प्रबंधक बनीं। वर्ष 2014 से वे “तौफीक मेमोरियल एजुकेशनल एक्ट वेलफेयर ट्रस्ट” की मुख्य ट्रस्टी के रूप में कार्यरत हैं।

उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनके पिता और मां दोनों ने क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। पिता स्वर्गीय तौफीक अहमद ने 1996 में समाजवादी पार्टी और 2007 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक के रूप में जीत दर्ज की, जबकि उनकी मां खातून तौफीक 2010 के उपचुनाव में विधायक बनीं।

सैयदा खातून का राजनीतिक सफर

सैयदा खातून का राजनीतिक सफर कई चुनौतियों और अनुभवों से भरा रहा है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से चुनाव लड़ा, परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। वर्ष 2017 में वे मात्र 171 वोटों से हारी थीं। यह चुनाव उनके लिए एक सीख और अनुभव बन गया।

हालांकि दिसंबर 2021 में उन्होंने सपा की सदस्यता ग्रहण कर अपने राजनीतिक जीवन में एक निर्णायक मोड़ लिया। समाजवादी पार्टी में शामिल होते ही उन्होंने डुमरियागंज सीट से उम्मीदवार बनने की तैयारी शुरू की। 2022 के विधानसभा चुनाव में डुमरियागंज विधानसभा सीट से उन्होंने भाजपा के राघवेंद्र प्रताप सिंह को 491 वोटों से पराजित किया।

यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि राघवेंद्र सिंह न केवल भाजपा के विधायक थे, बल्कि हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। इससे पहले 2017 में भी इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था।

राजनीतिक परिवार से सैयदा की यात्रा

सैयदा खातून का संबंध एक स्थापित राजनीतिक परिवार से रहा है। उनके पिता और मां दोनों विधायक रह चुके हैं, जिसने उन्हें राजनीतिक मूल्यों और रणनीतियों की गहरी समझ दी। पिता तौफीक अहमद ने जहां समाजवादी पार्टी और बसपा दोनों में रहकर जीत दर्ज की, वहीं मां खातून तौफीक ने भी बसपा से उपचुनाव जीतकर अपनी पहचान बनाई।

इस पृष्ठभूमि ने सैयदा खातून के जीवन परिचय में राजनीति को एक प्रमुख तत्व बना दिया। धीरे-धीरे उन्होंने भी राजनीति में सक्रिय भागीदारी लेनी शुरू की और क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पहचान बनाई।

सैयदा खातून का योगदान और भविष्य की दिशा

सैयदा खातून का राजनीतिक सफर केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में निरंतर कार्य करते हुए एक भरोसेमंद नेता की छवि बनाई है। वे महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए भी प्रयासरत रही हैं।

भविष्य में वे समाजवादी पार्टी के लिए पूर्वांचल क्षेत्र में एक मजबूत महिला चेहरा बन सकती हैं। वर्तमान में वे अठारहवीं विधानसभा की सदस्य हैं और पहली बार 2022 में निर्वाचित हुईं।

डुमरियागंज की राजनीति में सैयदा खातून की भूमिका

डुमरियागंज क्षेत्र की राजनीति में सैयदा खातून का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने अपने जनसम्पर्क, राजनीतिक समझ और पारिवारिक विरासत के आधार पर एक स्थायी राजनीतिक आधार बनाया है। उनके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने इस क्षेत्र में अपनी साइकिल फिर से दौड़ाई और भाजपा को चुनौती दी।

सिद्धार्थनगर जिले की विधानसभा सीटों के 2022 चुनाव परिणाम Siddharthnagar Assembly Election Results 2022

विधानसभा सीट2022 विजेता (पार्टी)
बांसीजय प्रताप सिंह (भाजपा)
डुमरियागंजसैयदा खातून (सपा)
इटवामाता प्रसाद पांडे (सपा)
कपिलवस्तुश्यामधनी राही (भाजपा)
शोहरतगढ़विनय वर्मा (अपना दल-सोनेलाल)

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें