कौन हैं मदन भैया?
मदन भैया, जिनका वास्तविक नाम मदन सिंह कसाना है, उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के जावली गांव में 11 सितम्बर 1959 को जन्मे। उनके पिता का नाम श्री भूलेराम था। वह हिन्दू धर्म से हैं और गुर्जर जाति से आते हैं। उन्होंने स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की और कृषि को अपना व्यवसाय बनाया। उनकी पत्नी का नाम श्रीमती गीता है और उनके चार संतानें हैं – एक पुत्र और तीन पुत्रियां।
मदन भैया का जीवन परिचय
मदन भैया का जीवन परिचय छात्र जीवन से ही उनके दबंग स्वभाव और राजनीतिक रुझान को दर्शाता है। बागपत के जावली गांव में उनका पालन-पोषण हुआ और उन्होंने शुरू से ही सामाजिक प्रभाव स्थापित किया। उनका जीवन कई कानूनी मामलों और राजनैतिक विवादों से भी जुड़ा रहा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ग्रामीण जनता के बीच अपनी अलग पहचान बनाई।
गुर्जर समाज में उनकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण उनके साहसिक फैसले और ग्रामीण हितों के लिए संघर्ष रहा है। इसी छवि के कारण उन्हें स्थानीय लोग रॉबिनहुड भी कहते हैं।
मदन भैया का राजनीतिक सफर
राजनीति में शुरुआती दौर और जेल से पहला चुनाव
मदन भैया का राजनीतिक सफर वर्ष 1989 से शुरू हुआ, जब उन्होंने जेल में रहते हुए पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि वह चुनाव हार गए, लेकिन दूसरा स्थान प्राप्त कर सभी को चौंका दिया। 1991 में उन्होंने फिर से जेल से ही जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
समाजवादी पार्टी से मजबूती
1993 में वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गए और इसी साल विधानसभा पहुंचे। 1996 में वे बीजेपी से चुनाव हार गए, लेकिन वर्ष 2002 में फिर से जीत हासिल की। इसके बाद 2007 में उन्होंने लगातार दूसरी जीत दर्ज की।
परिसीमन और राजनीतिक चुनौतियाँ
2012 में खेकड़ा विधानसभा सीट का परिसीमन हो गया और उसकी जगह लोनी सीट अस्तित्व में आई। उन्होंने बीएसपी के टिकट पर लोनी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद 2017 और 2022 के चुनावों में भी उन्हें बीजेपी प्रत्याशी नंद किशोर गुर्जर से पराजय मिली।
खतौली उपचुनाव से वापसी
2022 में खतौली सीट पर उपचुनाव हुआ, जब बीजेपी विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द हो गई। सपा-रालोद गठबंधन ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। उन्होंने बीजेपी की राजकुमारी सैनी को 22,143 वोटों से हराकर शानदार वापसी की और पांचवीं बार विधायक निर्वाचित हुए।
मदन भैया का फार्म हाउस हमला और जनता की प्रतिक्रिया
सितंबर 2001 में जावली स्थित उनके फार्म हाउस पर हमला हुआ। चार हमलावर फार्म हाउस में घुस आए लेकिन मदन भैया बाल-बाल बच गए। गांव में अफवाह फैली कि उनकी हत्या हो गई है, जिससे जनता उग्र हो गई और हथियारों से लैस होकर हमलावरों को मार गिराया। प्रशासन ने तत्काल ऐलान कर स्थिति संभाली कि मदन भैया जीवित हैं।
बुलेटप्रूफ कार और सुरक्षा विवाद
2010 में उन्होंने बुलेटप्रूफ मित्सुबिशी पजेरो कार खरीदी थी, जिस पर विवाद हुआ। लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने उन्हें इसकी अनुमति दी। इससे उनकी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उनकी गंभीरता भी सामने आई।
मदन भैया का राजनीतिक योगदान
- 1991-1993: ग्यारहवीं विधानसभा में पहली बार सदस्य निर्वाचित
- 1993-1996: बारहवीं विधानसभा में दूसरी बार निर्वाचित
- 2002-2007: चौदहवीं विधानसभा में तीसरी बार निर्वाचित
- 2007-2012: पंद्रहवीं विधानसभा में चौथी बार निर्वाचित
- 2022: अठारहवीं विधानसभा के उपचुनाव में पांचवी बार निर्वाचित
मदन भैया ने एक लम्बे और संघर्षपूर्ण राजनीतिक सफर में कई बार हार और जीत दोनों देखे, लेकिन उनका जनाधार बना रहा। उनके जीवन परिचय से स्पष्ट है कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी राजनीतिक स्थिति को स्थिर बनाए रखा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका योगदान विशेष रूप से पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज के प्रतिनिधित्व के रूप में उल्लेखनीय रहा है।
Muzaffarnagar Assembly Election Results
विधानसभा सीट | विजेता प्रत्याशी | दल |
---|---|---|
मुजफ्फरनगर | कपिल देव अग्रवाल | भाजपा |
खतौली ( 2022 उपचुनाव ) | मदन भैया | भाजपा |
पुरकाजी | अनिल कुमार | रालोद |
बुढ़ाना | राजपाल बालियान | रालोद |
मीरापुर ( 2024 उपचुनाव ) | मिथलेश पाल | रालोद |
चरथावल | पंकज मलिक | सपा |