जानिए कौन हैं डॉ. अवधेश सिंह ?
डॉ. अवधेश सिंह का जन्म 01 फरवरी 1955 को उत्तर प्रदेश के लश्करपुर (वाराणसी) गांव में हुआ था। वे एक मेहनती किसान परिवार से आते हैं। उनके पिता का नाम स्वर्गीय राममूरत सिंह था। भूमिहार जाति से संबंध रखने वाले डॉ. अवधेश सिंह ने बचपन से ही शिक्षा और सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि ली। उन्होंने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर और पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। बाद में वे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हिंदी विभागाध्यक्ष के पद तक पहुंचे।
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— Dr Avadhesh Singh (@DrAvadheshBJP) March 19, 2025
डॉ. अवधेश सिंह का जीवन परिचय
डॉ. अवधेश सिंह का जीवन परिचय केवल एक राजनेता तक सीमित नहीं है। वे एक कुशल शिक्षक, लेखक और शोध निर्देशक भी रहे हैं। उनके नाम 25 छात्रों को पीएच.डी. कराने का गौरव है। वे शिक्षा के क्षेत्र में 25 वर्षों से अधिक समय तक सक्रिय रहे हैं। उन्हें महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति द्वारा वर्ष 2004 में विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्होंने भूषण का काव्यत्व, भोजपुरी लोकगीत, और आधुनिक हिन्दी काव्य जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
उनकी पत्नी का नाम ममता सिंह है और उनके कुल पांच संतानें हैं—दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ। वे एक सफल कृषक और शिक्षाविद होने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और भाषा के संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।
राजनीतिक सफर में डॉ. अवधेश सिंह की भूमिका
डॉ. अवधेश सिंह का राजनीतिक सफर संघर्षों और सफलता की प्रेरणादायक गाथा है। छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ाव रखने वाले अवधेश सिंह ने 1978 में काशी विद्यापीठ छात्रसंघ के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। इसके बाद उन्होंने राजनीति में विभिन्न दलों से जुड़कर जनता की सेवा की।
हालांकि प्रारंभ में उन्होंने कांग्रेस, सपा और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिल पाई। 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पिंडरा विधानसभा से चुनाव लड़ा और छह बार विधायक रहे अजय राय को पराजित कर पहली बार विधानसभा पहुंचे।
2017 और 2022 में डॉ. अवधेश सिंह की जीत
2017 के चुनाव में डॉ. अवधेश सिंह ने भाजपा के प्रत्याशी के रूप में पिंडरा विधानसभा से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2017 से 2022 तक वे प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे और विधानसभा के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई।
2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दुबारा पिंडरा सीट से जीत हासिल की। इस बार उन्होंने 84,325 वोट प्राप्त कर बसपा के बाबूलाल को 35,559 वोटों से पराजित किया। इस जीत ने उनकी लोकप्रियता को और अधिक बढ़ा दिया।
सामाजिक और शैक्षणिक योगदान
डॉ. अवधेश सिंह का जीवन परिचय उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को दर्शाता है। वे एक समाजसेवी, लेखक और भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं। वे भारत सरकार की विभिन्न सलाहकार समितियों में शामिल रहे हैं, जिनमें रेलवे, टेलीफोन, ऊर्जा और खाद्य मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समितियाँ शामिल हैं। वे राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के कार्यक्रम अधिकारी और विश्वविद्यालय खेलकूद परिषद के सचिव भी रह चुके हैं।
उन्होंने कई शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं जिनमें दलित विमर्श, भूषण का काव्यत्व, और तुलसी साहित्य में सामाजिक यथार्थ जैसे विषय शामिल हैं। वे भारतीय संस्कृति और महात्मा गांधी के योगदान पर भी लेखन करते रहे हैं
डॉ. अवधेश सिंह का राजनीतिक सफर केवल जीत और पदों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सेवा, निष्ठा और सिद्धांतों की मिसाल है। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने अपनी कर्मठता और निष्ठा से पार्टी नेतृत्व का भरोसा जीता। उनकी तेजतर्रार छवि, साफ-सुथरी राजनीति और बौद्धिक गहराई ने उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के निकट पहुंचा दिया है।
Varanasi Assembly Election Results 2022
विधानसभा सीट | विजेता प्रत्याशी | पार्टी | पड़ोसी प्रत्याशी को मतों का अंतर |
---|---|---|---|
पिंडरा | डॉ. अवधेश सिंह | भाजपा | राजेश पटेल (अपना दल-क) को हराया |
अजगरा (SC) | त्रिभुवन राम | भाजपा | सुनील सोनकर (सपा) को 9,245 वोटों से हराया |
शिवपुर | अनिल राजभर | भाजपा | अरविंद राजभर (सपा) को 27,831 वोटों से हराया |
रोहनिया | सुनील पटेल | अपना दल (सोनेलाल) | अभय पटेल (अपना दल-क) को 46,601 वोटों से हराया |
वाराणसी उत्तर | रवींद्र जायसवाल | भाजपा | अशफाक अहमद (सपा) को 42,549 वोटों से हराया |
वाराणसी दक्षिण | डॉ. नीलकंठ तिवारी | भाजपा | किशन दीक्षित (सपा) को 10,722 वोटों से हराया |
वाराणसी कैंट | सौरभ श्रीवास्तव | भाजपा | पूजा यादव (सपा) को 86,677 वोटों से हराया |
सेवापुरी | नीलरतन पटेल ‘नीलू’ | भाजपा | सुरेंद्र सिंह पटेल (सपा) को 22,679 वोटों से हराया |
- भाजपा ने 7/8 सीटें जीतीं, जबकि रोहनिया पर सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने जीत दर्ज की।
- सबसे बड़ी जीत: वाराणसी कैंट में 86,677 वोटों के अंतर से भाजपा की जीत।
- सबसे कम अंतर: वाराणसी दक्षिण में 10,722 वोटों से भाजपा की जीत।