कौन हैं अनिल कुमार?
अनिल कुमार उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं, जिनका राजनीतिक जीवन लगभग दो दशकों से अधिक का रहा है। उनका जन्म 25 नवम्बर 1975 को सहारनपुर जनपद के गांव ताहरपुर में हुआ। वे अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं और उनकी शिक्षा इंटरमीडिएट तक रही। अनिल कुमार का विवाह 22 जून 1998 को श्रीमती बीरमती से हुआ, जिनसे उन्हें दो पुत्रियाँ हैं। वर्तमान में उनका परिवार मुजफ्फरनगर के पचैंडा रोड स्थित अंकित विहार में रहता है। वे मूल रूप से कृषि कार्य में लगे रहे हैं, लेकिन राजनीति में उनकी सक्रियता ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में एक मजबूत नेता बना दिया।
आज राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री की शपथ ली।
— ANIL KUMAR (@AnilKumarMZN) March 5, 2024
दिल की गहराइयों से चौधरी जयन्त सिंह जी,महामहिम श्री राज्यपाल जी,मा0 मुख्यमंत्री व मा0 आदरणीय प्रधानमंत्री जी का आभार। pic.twitter.com/QY3SRJOZvn
जीवन परिचय: एक सामान्य पृष्ठभूमि से नेतृत्व तक
अनिल कुमार का राजनीतिक जीवन एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ। जब वे अपने ननिहाल, चरथावल विधानसभा के गांव कसियारा में रहते थे, तब उन्होंने पूर्व मंत्री उमा किरण के साथ बसपा में सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य करना आरंभ किया। इस दौरान उन्होंने जमीनी राजनीति को करीब से देखा और सीखा। जब उमा किरण ने पार्टी छोड़ सपा का दामन थामा, उस समय अनिल कुमार ने बसपा के साथ अपनी निष्ठा बनाए रखी और खुद को पार्टी के भीतर स्थापित करने में जुट गए।
राजनीतिक सफर: बसपा से रालोद-सपा गठबंधन तक
बसपा के साथ मजबूत पकड़
अनिल कुमार की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2002 में सक्रिय रूप से हुई, जब वे चरथावल सीट से विधायक उमा किरण के संपर्क में आए। जब उमा किरण ने बसपा छोड़ी, तब भी अनिल कुमार ने पार्टी नहीं छोड़ी। इसके चलते 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें चरथावल सुरक्षित सीट से प्रत्याशी घोषित किया, और वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।
पुरकाजी से दूसरी बार विधायक
वर्ष 2012 में चरथावल की जगह पुरकाजी सीट को सुरक्षित घोषित कर दिया गया। इस बार भी बसपा ने अनिल कुमार पर भरोसा जताया और वे दूसरी बार विधायक बने। हालांकि 2017 के चुनाव में वे बसपा के टिकट पर हार गए, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय राजनीतिक सक्रियता बनाए रखी।
सपा में नई शुरुआत
2017 के बाद अनिल कुमार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन ने उन्हें रालोद के सिंबल पर पुरकाजी से उम्मीदवार बनाया। उन्होंने भाजपा के सिटिंग विधायक प्रमोद ऊटवाल को हराकर तीसरी बार विधानसभा पहुंचे।
टिकाऊ निर्णय और राजनीतिक दृढ़ता
जब 2022 में सपा-रालोद गठबंधन विखंडित हुआ, तब कई नेताओं की निष्ठा पर सवाल उठे। लेकिन अनिल कुमार ने जयंत चौधरी के साथ निष्ठा बनाए रखी, और इसी राजनीतिक दृढ़ता के कारण उन्हें रालोद कोटे से योगी सरकार की कैबिनेट में जगह मिली। यह निर्णय उनके टिकाऊ सोच और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अनिल कुमार का राजनीतिक योगदान
विधान सभा सदस्यता
- 2007-2012: पन्द्रहवीं विधानसभा में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।
- 2012-2017: सोलहवीं विधानसभा में दूसरी बार विधायक बने।
- 2022-वर्तमान: अट्ठारहवीं विधानसभा में तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए।
समिति सदस्यता
- लोक लेखा समिति (2007-2009, 2009-2010)
- आवास संबंधी संयुक्त समिति (2008-2009)
- प्राक्कलन समिति (2012-2017)
अनिल कुमार का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर इस बात का प्रमाण है कि जमीनी कार्य से शुरुआत कर, कठिन परिस्थितियों में भी पार्टी के प्रति निष्ठा और जनसेवा के उद्देश्य से काम करने वाले व्यक्ति राजनीति में अपनी स्थायी पहचान बना सकते हैं। तीन बार विधायक बनने से लेकर मंत्री पद तक पहुंचना उनके धैर्य और रणनीतिक सोच का परिणाम है।
Muzaffarnagar Assembly Election Results
विधानसभा सीट | विजेता प्रत्याशी | दल |
---|---|---|
मुजफ्फरनगर | कपिल देव अग्रवाल | भाजपा |
खतौली ( 2022 उपचुनाव ) | मदन भैया | भाजपा |
पुरकाजी | अनिल कुमार | रालोद |
बुढ़ाना | राजपाल बालियान | रालोद |
मीरापुर ( 2024 उपचुनाव ) | मिथलेश पाल | रालोद |
चरथावल | पंकज मलिक | सपा |