Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
India

शहीद दिवस: जीना तो उसी का जीना है, जो मरना वतन पर जाने!

bhagat singh

उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है?
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?

दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख का क्या ग़िला करें।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें।।

अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए देश के कितने ही लोगों ने स्वतंत्रता की आग में अपने प्राणों की आहुति दी थी। अंग्रेजों के चंगुल से देश को छुड़ाने के लिए कोशिशें बहुत पहले से ही शुरू हो गयी थी, लेकिन इन प्रयासों को बल देश में नरम-गरम दलों के बनने के बाद मिला। गरम दल से ही देश को अनेक ऐसे क्रन्तिकारी मिले थे, जिन्होंने अपने जीते जी अंग्रेजों की नाक में दम किये रखा। आज ही के दिन 23 मार्च को देश के तीन वीर सपूतों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।

भगत सिंह(27 सितम्बर, 1907- 23 मार्च, 1931):

लाला जी की मौत बनी सांडर्स की हत्या की वजह:

आजादी के दीवाने फांसी से पहले गा रहे थे गाना:

गाने के बोल थे, “ मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे,

मेरा रंग दे बसंती चोला। माय रंग दे बसंती चोला”।।

भगत सिंह के कुछ अनसुने किस्से:

Related posts

खुलासा : जयललिता-शशिकला की शिकायत के पीछे थे सुब्रमण्यम स्वामी!

Vasundhra
8 years ago

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपने इस्तीफे का किया ऐलान!

Vasundhra
8 years ago

लखनऊ हाईकोर्ट ने खारिज की बड़े नोट बहाल करने संबंधी याचिका!

Shashank
9 years ago
Exit mobile version