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मोदी कैबिनेट में बड़ा फैसला, नाबालिग के बलात्कारी को मिलेगी फांसी

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कठुआ समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से बच्चों के साथ हो रहे बलात्कार को लेकर केंद्र सरकार ने अब अहम फैसला लिया है. 12 साल तक की बच्ची के साथ रेप के दोषी को मौत की सजा के लिए सरकार अध्यादेश से कानून बनाने जा रही है. अब नाबालिग के बलात्कारी को मिलेगी फांसी की सजा.

फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की भी होगी व्यवस्था:

लगातार नाबालिग बच्चियों के साथ हो रहे दुष्कर्म की ख़बरों को लेकर पुरे देश में आक्रोश का माहौल है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए आज 2.30 घंटे चली कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया कि नाबालिग के रेप में आरोपी को फांसी की सजा दी जाएगी. इसके अलावा फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की भी व्यवस्था की जाएगी. कैबिनेट ने अध्यादेश पर मोहर लगा दी.

आज केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार बच्चों के यौन अपराधों के कानून पॉक्सो में बदलाव पर चर्चा की. कानून में बदलाव करके बच्चों के बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान किये जाने की संभावना है. कानून में बदलाव को लेकर आज एक अध्यादेश को मंजूरी मिल सकती है.

पॉक्सो कानून के अभी तक के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है. दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये. इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया.

गौरतलब है कि रेप जैसे जघन्य अपराध के लिए फांसी की सज़ा देने को लेकर सरकार ने कल सुप्रीम कोर्ट को चिट्टी लिख कर इस बारे में अवगत करवाया था. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी रेप कानून में संशोधन को लेकर अनिश्चित कालीन अनशन पर है. इसके साथ ही पुरे देश में जगह जगह कठुआ रेप और मर्डरकेस, उन्नाव रेप पीडिता और सूरत रेप और मर्डर केस में न्याय दिलाने को लेकर प्रदर्शन हो रहे है.

भगोड़े अपराधियों पर भी आ सकता है कानून
इसके साथ ही नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है. गौतलब है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लोकसभा में पेंडिग है. ये बिल संसद के बजट सत्र में पेश किया गया था लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते इसे पारित नहीं किया जा सका था.

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