Gaushala upto 25000 Cows Capacity : उत्तर प्रदेश में गौसंरक्षण और गोधन विकास को लेकर सरकार और समाजसेवी संस्थाएँ निरंतर प्रयासरत हैं। राज्य में कई जनपदों में विशाल गौशालाएँ संचालित की जा रही हैं, जहाँ हजारों बेसहारा एवं संरक्षित गौवंश का पालन-पोषण किया जा रहा है।

गौशाला: उत्तर प्रदेश की सभी गौशालाओं (UP Gaushala) का विवरण

Gaushala upto 25000 Cows Capacity

जिलों , जहाँ गौवंश की संख्या 20,000 से 25,000 के बीच है। ये जिले हैं:

  • अमेठी (20,149 गौवंश)
  • आगरा (20,581 गौवंश)
  • लखनऊ (21,447 गौवंश)
  • कानपुर नगर (21,770 गौवंश)
  • संभल (22,586 गौवंश)
  • बहराइच (24,041 गौवंश)

ये गौशालाएँ न केवल गायों के संरक्षण का कार्य कर रही हैं, बल्कि जैविक खेती, दुग्ध उत्पादन, और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

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1. अमेठी: 20,149 गौवंश क्षमता [ Gaushala upto 25000 Cows Capacity ]

अमेठी जिले में गौशालाओं की परंपरा काफी पुरानी रही है। यहाँ की गौशालाएँ विशेष रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में योगदान दे रही हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • गौशाला परिसर में प्राकृतिक रूप से चारे की व्यवस्था की जाती है।
  • यहाँ गोबर गैस संयंत्र लगाए गए हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर ऊर्जा उत्पादन किया जाता है।
  • गौमूत्र से जैविक कीटनाशकों और औषधियों का निर्माण किया जाता है।
  • यहाँ के स्थानीय किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दी जाती है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • गोपाल गौशाला, अमेठी
  • श्रीकृष्ण गौशाला

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2. आगरा: 20,581 गौवंश क्षमता

आगरा जिले की गौशालाएँ संरक्षित गौवंश के बेहतर रखरखाव के लिए जानी जाती हैं। यहाँ की गौशालाओं में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यहाँ पर दुग्ध उत्पादन और उससे बने उत्पादों का व्यवसायिकरण किया जाता है।
  • गौशालाओं में हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन प्रणाली अपनाई गई है।
  • गोबर से प्राकृतिक खाद और वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाता है।
  • पशु चिकित्सा सुविधाओं को उच्च स्तर पर रखा गया है।

प्रमुख गौशालाएँ: [ Gaushala upto 25000 Cows Capacity ]

  • श्रीराम गौशाला
  • राधाकृष्ण गौशाला

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3. लखनऊ: 21,447 गौवंश क्षमता [ Gaushala upto 25000 Cows Capacity ]

लखनऊ की गौशालाएँ उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में अधिक विकसित और सुव्यवस्थित हैं। यहाँ सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर गौसंरक्षण के प्रयास किए जाते हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • बायोगैस प्लांट के माध्यम से गोबर से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
  • गौमूत्र से औषधियाँ तैयार की जाती हैं, जो स्थानीय बाजार में बेची जाती हैं।
  • यहाँ पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए वृक्षारोपण किया जाता है।
  • बेसहारा गायों के लिए आश्रय केंद्र विकसित किए गए हैं।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • लक्ष्मीनारायण गौशाला
  • महर्षि गौशाला

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4. कानपुर नगर: 21,770 गौवंश क्षमता

कानपुर नगर में गौशालाओं की स्थिति अत्यंत सशक्त है। यहाँ की गौशालाओं में गोधन संरक्षण के साथ-साथ जैविक कृषि को भी बढ़ावा दिया जाता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • जैविक खेती के लिए गोबर खाद का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाता है।
  • गौवंश आधारित उत्पादों की बिक्री के लिए विशेष आउटलेट खोले गए हैं।
  • यहाँ दुग्ध उत्पादन में अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
  • गौशाला में वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण की व्यवस्था की गई है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • कानपुर गौशाला
  • श्रीगिरधारी गौशाला

5. संभल: 22,586 गौवंश क्षमता

संभल जिले की गौशालाएँ ग्रामीण स्तर पर आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • गौशालाओं में चारे के लिए विशेष चारागाह विकसित किए गए हैं।
  • दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उच्च नस्लों के संरक्षण पर जोर दिया जाता है।
  • गोबर से कंडे, जैविक खाद और अन्य उत्पादों का निर्माण किया जाता है।
  • गौशाला प्रबंधन के लिए डिजिटल रिकॉर्डिंग प्रणाली अपनाई गई है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • गोकुल धाम गौशाला
  • श्रीकृष्ण गौशाला

6. बहराइच: 24,041 गौवंश क्षमता [ Gaushala upto 25000 Cows Capacity ]

बहराइच जिले की गौशालाएँ उत्तर प्रदेश में सबसे विकसित और संगठित संरक्षित गौशालाओं में गिनी जाती हैं।

[ Gaushala upto 25000 Cows Capacity ] मुख्य विशेषताएँ:

  • यहाँ की गौशालाओं में विशेष रूप से पारंपरिक एवं आधुनिक तरीकों को मिलाकर चारा प्रबंधन किया जाता है।
  • प्राकृतिक खेती के लिए गौशालाओं से स्थानीय किसानों को सहायता दी जाती है।
  • यहाँ पर विशेष नस्लों के संरक्षण हेतु योजनाएँ चलाई जाती हैं।
  • गौशालाओं में वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण प्रणाली लागू की गई है।

प्रमुख गौशालाएँ:

  • बहराइच गौशाला
  • श्रीराम गौशाला

उत्तर प्रदेश की 20,000 से 25,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ ( Gaushala upto 25000 Cows Capacity ) केवल गौसंरक्षण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे सतत कृषि, ग्रामीण विकास, और पर्यावरण संतुलन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

सरकार और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन गौशालाओं का भविष्य उज्ज्वल है। यदि इन्हें और अधिक तकनीकी सहायता, वित्तीय सहयोग और जनभागीदारी मिलती है, तो ये न केवल गौवंश संरक्षण में बल्कि सतत कृषि और पर्यावरण सुधार में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

उत्तर प्रदेश में गौशाला
गौशाला: उत्तर प्रदेश की सभी गौशालाओं (UP Gaushala) का विवरण
गौशाला: उत्तर प्रदेश के जिलों में 5000 से कम गौवंश
उत्तर प्रदेश में 5000-10,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ
उत्तर प्रदेश में 10,000-15,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ
उत्तर प्रदेश : 15,000 से 20,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ
उत्तर प्रदेश की गौशाला : 20,000 से 25,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाएँ
उत्तर प्रदेश : 25,000 से 30,000 गौवंश क्षमता वाली गौशालाओं का अध्ययन
उत्तर प्रदेश : 30,000 से 40,000 क्षमता वाली गौशालाएं: उन्नाव, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और महोबा
40,000 से अधिक क्षमता वाली गौशालाएं: हमीरपुर, जालौन (ओरई), झांसी, चित्रकूट, हरदोई, सीतापुर और बांदा
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