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Caste Equation UP Assembly

प्रयागराज में फूलपुर विधानसभा का जातीय समीकरण 2024

फूलपुर विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां विविध जातियों का प्रभाव है, जो चुनाव परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। फूलपुर विधानसभा में प्रमुख जातीय समूहों की संख्या इस प्रकार है:

यादव : लगभग 70,000 वोटर
ब्राह्मण : लगभग 50,000 वोटर
दलित (ज्यादातर पासी) : लगभग 45,000 वोटर
मुस्लिम : लगभग 40,000 वोटर
कुर्मी : लगभग 30,000 वोटर
निषाद : लगभग 25,000 वोटर
राजभर : लगभग 20,000 वोटर
मौर्य/कुशवाहा : लगभग 15,000 वोटर
ठाकुर (क्षत्रिय) : लगभग 10,000 वोटर
अन्य पिछड़ी जातियां : लगभग 20,000 वोटर

इस जातीय विभाजन से स्पष्ट है कि यादव, ब्राह्मण, दलित, और मुस्लिम मतदाता चुनावी समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ही इन जातीय समीकरणों के आधार पर अपनी चुनावी रणनीतियां बनाती हैं, जबकि बसपा और अन्य पार्टियां भी जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी उतारती हैं।

फूलपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास

फूलपुर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और रोचक रहा है। यह क्षेत्र राजनीतिक तौर पर हमेशा से चर्चाओं में रहा है और विभिन्न दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता रहा है। फूलपुर लोकसभा सीट पर पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वी.पी. सिंह जैसे बड़े नेताओं का प्रतिनिधित्व रहा है, वहीं फूलपुर विधानसभा सीट भी कई बार सत्ता परिवर्तन की गवाह बनी है।

फूलपुर विधानसभा सीट का चुनावी अतीत:
1.  1952-1980: शुरुआती दौर में कांग्रेस पार्टी का इस सीट पर दबदबा था। कांग्रेस ने लगातार जीत दर्ज की, लेकिन 1980 के बाद राजनीतिक समीकरण बदलने लगे।

2. 1980-1990: 1980 के बाद क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ और समाजवादी पार्टी (सपा) तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू की। इस दौरान कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो गई।

3. 1990-2010: 1990 के दशक में, सपा और बसपा ने इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी ने विशेष रूप से पिछड़ी जातियों और मुस्लिम वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत की। बसपा ने दलित वोट बैंक के सहारे इस सीट पर चुनौती दी।

4. 2012 विधानसभा चुनाव: 2012 में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। अखिलेश यादव की लोकप्रियता और सपा के पारंपरिक यादव-मुस्लिम गठजोड़ ने पार्टी को जीत दिलाई।

5. 2017 विधानसभा चुनाव: 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। नरेंद्र मोदी की लहर और भाजपा की हिंदुत्ववादी राजनीति ने फूलपुर में पार्टी को मजबूती दिलाई। यह चुनाव भाजपा के लिए ऐतिहासिक था क्योंकि यह पारंपरिक रूप से गैर-भाजपा दलों का गढ़ माना जाता था।

6. 2022 विधानसभा चुनाव: 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, लेकिन सपा की मजबूत जातीय समीकरण और अखिलेश यादव की लोकप्रियता ने उन्हें जीत दिलाई।

प्रमुख चुनावी मुद्दे:
फूलपुर विधानसभा में मुख्य रूप से जातीय समीकरण, विकास के मुद्दे, रोजगार, और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे चुनावों को प्रभावित करते हैं। क्षेत्र में यादव, दलित, और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण ये वोट बैंक चुनावी परिणामों को निर्णायक बनाते हैं। भाजपा ने यहां हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा, जबकि सपा ने पारंपरिक जातीय समीकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर जोर दिया।

फूलपुर विधानसभा सीट के अतीत को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह सीट हमेशा से महत्वपूर्ण रही है और आगामी चुनावों में भी यह सीट चर्चा में रहेगी।

 

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