उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की छह विधानसभा सीटों—दातागंज, शेखूपुर, बदायूं सदर, बिल्सी, सहसवान और बिसौली—पर वर्तमान विधायकों का राजनीतिक सफर विविधतापूर्ण रहा है। बदायूं जिले की छह विधानसभा सीटों पर 2022 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की। इनमें से अधिकांश नेताओं ने अपनी राजनीतिक विचारधारा के प्रति स्थिरता दिखाई है, जबकि कुछ ने समय-समय पर दल बदलकर ‘दलबदलू नेता’ की परंपरा को आगे बढ़ाया है।

कौन हैं बदायूं जिले के वफादार और दलबदलू नेता विधायक   - Aaya Ram Gaya Ram MLAs of badaun 2022

राजीव कुमार सिंह (दातागंज, भाजपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

राजीव कुमार सिंह, जिन्हें बब्बू भैया के नाम से भी जाना जाता है, ने 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर दातागंज सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2022 में पुनः जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर भाजपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

वह दलबदलू नेता या ‘आया राम, गया राम’ की श्रेणी में नहीं आते।

हिमांशु यादव (शेखूपुर, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

हिमांशु यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर शेखूपुर सीट से जीत हासिल की। वे उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र (24 वर्ष) के विधायक बने। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

हिमांशु यादव का परिवार शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में तीन पीढ़ियों से प्रभावशाली भूमिका निभाता आ रहा है। उनके दादा बनवारी लाल यादव समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और राज्य सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। हिमांशु के पिता आशीष यादव ने इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए 2012 में शेखूपुर से विधायक निर्वाचित होकर जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ स्थापित की। इस बार समाजवादी पार्टी ने इस राजनीतिक विरासत को नई पीढ़ी को सौंपते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में हिमांशु यादव को टिकट दिया। प्रदेश के सबसे युवा विधायक के रूप में चुने गए हिमांशु यादव ने न केवल अपने परिवार की राजनीतिक परंपरा को आगे बढ़ाया.

उनका राजनीतिक सफर समाजवादी पार्टी के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं। वह उन नेताओं में नहीं हैं जो दलबदलू नेता की राजनीति करते हैं या ‘आया राम, गया राम’ की श्रेणी में आते हैं।

महेश चंद्र गुप्ता (बदायूं सदर, भाजपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

महेश चंद्र गुप्ता ने 2007 में पहली बार भाजपा के टिकट पर बदायूं सदर सीट से विधानसभा चुनाव जीता। उन्होंने 2017 और 2022 में भी भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर भाजपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

महेश चंद्र गुप्ता उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अनुभवी और संगठनात्मक रूप से मजबूत नेता माने जाते हैं। उनका राजनीतिक सफर 1986 से प्रारंभ हुआ, जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मंडल अध्यक्ष बने। इसके बाद 1990 से 1992 तक वे भाजपा के जिला मंत्री रहे और 1993 से 1995 तक पंचायत प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। संगठन में जमीनी स्तर पर सक्रिय रहने के बाद उन्होंने 1996 में सहसवान सीट से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक ताकत का परिचय दिया और द्वितीय स्थान प्राप्त किया।

उनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी समृद्ध रही है। उनके ताऊ, स्वर्गीय अशर्फी लाल गुप्ता, जनसंघ के टिकट पर 1967 में विधायक चुने गए थे।

महेश चंद्र गुप्ता 1999 में भाजपा के जिलाध्यक्ष बने और पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2007 में वे पहली बार पंद्रहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद मार्च 2017 में दूसरी बार सत्रहवीं विधानसभा में पहुंचे। 2019 से 2022 तक वे योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत रहे। मार्च 2022 में उन्होंने तीसरी बार अठ्ठारहवीं विधानसभा के लिए विजय हासिल की.

वे उन अवसरवादी नेताओं में नहीं आते जो दलबदल की राजनीति करते हैं या जिन्हें ‘आया राम, गया राम’ की श्रेणी में रखा जाए।

हरीश चंद्र शाक्य (बिल्सी, भाजपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

हरीश चंद्र शाक्य ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर बिल्सी सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर भाजपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

विधायक हरीश शाक्य की राजनीतिक यात्रा विद्यार्थी जीवन से ही शुरू हो गई थी। 1998 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के जिला प्रमुख के रूप में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। इसके बाद वे 2004 से 2007 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के जिला अध्यक्ष रहे, जहाँ उन्होंने युवाओं को संगठन से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2008 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का जिला महासचिव नियुक्त किया गया, जिससे उनकी संगठनात्मक क्षमता को उच्च स्तर पर मान्यता मिली। उनके नेतृत्व कौशल और संगठन के प्रति समर्पण को देखते हुए पार्टी ने 2016 से 2019 तक उन्हें भाजपा बदायूं का जिलाध्यक्ष बनाया।

2022 के विधानसभा चुनाव में बिल्सी सीट से भाजपा का टिकट मिला और वे भारी मतों से विजयी होकर अठ्ठारहवीं विधान सभा में विधायक निर्वाचित हुए।

हरीश चंद्र शाक्य ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बिल्सी सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर प्रारंभ से ही भाजपा के साथ रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित और निष्ठावान नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। वे दलबदलू नेता की श्रेणी में नहीं आते।

ब्रजेश यादव (सहसवान, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

ब्रजेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सहसवान सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

बृजेश यादव ने पहली बार 2022 में विधायक बनकर सहसवान विधानसभा में नई पीढ़ी के नेतृत्व की शुरुआत की है। उन्होंने इससे पहले दो बार डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (डीसीबी) के चेयरमैन के रूप में कार्य किया, जहाँ उनके प्रबंधन कौशल और संगठन क्षमता की सराहना हुई।

उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि बेहद सशक्त रही है। उनके पिता ओमकार सिंह यादव न केवल पाँच बार विधायक रहे, बल्कि समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री पद भी संभाल चुके हैं।

यादव परिवार का सहसवान की राजनीति पर 1991 से प्रभाव रहा है, और अब बृजेश यादव उसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

ब्रजेश यादव का राजनीतिक सफर प्रारंभ से ही सपा के साथ जुड़ा रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित और निष्ठावान नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। वे दलबदलू नेताओं की श्रेणी में नहीं आते। सहसवान की राजनीति पर यादव परिवार का 1991 से प्रभाव रहा है और अब बृजेश यादव उसी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

आशुतोष मौर्य (बिसौली, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

आशुतोष मौर्य ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर बिसौली सीट से जीत हासिल की। आशुतोष मौर्य का राजनीतिक सफर एक समर्पित समाजवादी नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 2002 में पहली बार बिल्सी सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुआत की। जब 2012 में बिसौली सीट आरक्षित हुई, तो उन्होंने वहां से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2022 में वे तीसरी बार बिसौली से विधायक बने। उनके दादा पांच बार विधायक रहे, जबकि पिता भोला शंकर मौर्य ने 1985 और 1991 में कांग्रेस के टिकट पर और 1996 में बसपा से चुनाव जीतकर क्षेत्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाई।

उनकी पत्नी भी राजनीतिक रूप से सक्रिय रही हैं और बिल्सी नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

हालाँकि उनके परिवार का राजनीतिक संबंध कभी कांग्रेस और बसपा से रहा, लेकिन आशुतोष मौर्य का व्यक्तिगत राजनीतिक सफर पूरी तरह समाजवादी पार्टी से जुड़ा रहा है। आशुतोष मौर्य दलबदलू नेता की श्रेणी में नहीं आते।

बदायूं जिले में विचारधारा के प्रति समर्पण

बदायूं जिले के छहों वर्तमान विधायक—राजीव कुमार सिंह, हिमांशु यादव, महेश चंद्र गुप्ता, हरीश चंद्र शाक्य, ब्रजेश यादव और आशुतोष मौर्य—ने अपने-अपने राजनीतिक दलों के प्रति स्थिरता और निष्ठा दिखाई है। इनमें से किसी ने भी दल नहीं बदला है, जिससे वे ‘दल बदल विधायक’ की श्रेणी में नहीं आते हैं।

विधायकों की राजनीतिक यात्रा (बदायूं जनपद) – विचारधारा के प्रति समर्पित

क्रमविधायक का नामविधानसभा सीटराजनीतिक दलपहली जीतकुल बार विधायकप्रमुख पद व योगदानपारिवारिक पृष्ठभूमि
1राजीव कुमार सिंह (बब्बू भैया)दातागंजभाजपा20172 बार (2017, 2022)भाजपा विचारधारा के प्रति निरंतर निष्ठानहीं
2हिमांशु यादवशेखूपुरसपा20221 बारसबसे युवा विधायक (24 वर्ष)दादा मंत्री, पिता पूर्व विधायक
3महेश चंद्र गुप्ताबदायूं सदरभाजपा20073 बार (2007, 2017, 2022)राज्य मंत्री (2019–22), संगठन में गहराई से सक्रियताऊ 1967 में जनसंघ विधायक
4हरीश चंद्र शाक्यबिल्सीभाजपा20221 बारABVP, BJYM, जिलाध्यक्ष (भाजपा)नहीं
5बृजेश यादवसहसवानसपा20221 बारDCB चेयरमैन (2 बार)पिता मंत्री, 5 बार विधायक
6आशुतोष मौर्यबिसौलीसपा20023 बार (2002, 2012, 2022)सामाजिक न्याय समर्थक, सपा के समर्पित नेतादादा-पिता भी विधायक; पत्नी नगरपालिका अध्यक्ष

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