बांदा जिले की राजनीति में विधायकों के सफर में कुछ नेता विचारधारा के प्रति अडिग रहे, तो कुछ ने सत्ता के लिए दल बदलना अपनी रणनीति बना लिया। आइए, जानते हैं कि कौन है “निष्ठावान विधायक” और कौन “आया राम-गया राम” की श्रेणी में आता है110।
प्रकाश द्विवेदी (बांदा सदर, भाजपा)
राजनीतिक यात्रा: प्रकाश द्विवेदी का राजनीतिक सफर 2017 के विधानसभा चुनाव से शुरू होता है, जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर बांदा सदर सीट से चुनाव लड़ा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी मधुसूदन कुशवाहा को 32,828 वोटों के भारी अंतर से पराजित किया। इस चुनाव में उन्हें कुल 83,169 मत प्राप्त हुए थे, जो उनकी जनप्रियता को दर्शाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रकाश द्विवेदी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) की प्रत्याशी मंजुला सिंह को 15,214 वोटों के अंतर से हराकर अपनी सीट सफलतापूर्वक बचाई। दोनों चुनावों में उनकी जीत न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक कौशल को प्रदर्शित करती है, बल्कि भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता को भी रेखांकित करती है।
- उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि में किसी अन्य दल से जुड़ाव का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता। भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें “निष्ठावान विधायक” की श्रेणी में रखती है।
विशंभर सिंह यादव (बबेरू, समाजवादी पार्टी)
राजनीतिक यात्रा: विशंभर सिंह यादव का राजनीतिक सफर 1980 से शुरू होता है, जब वे समाजवादी आंदोलन से जुड़े। 67 वर्षीय इस वरिष्ठ नेता ने अपने 42 वर्ष लंबे राजनीतिक करियर में कभी दलबदल नहीं किया, जो उन्हें समाजवादी विचारधारा के प्रति समर्पित एक अडिग नेता के रूप में स्थापित करता है।
शिक्षा के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट और एलएलबी की डिग्री प्राप्त विशंभर सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की। 1980 में वे डीएवी इंटर कॉलेज कानपुर के संघ अध्यक्ष रहे। इसके बाद 1981 में उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष का पद संभाला। इसी वर्ष वे युवा लोकदल के राष्ट्रीय सचिव भी बने।
1985 में वे समाजवादी जनता पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री बने। 2007 में पहली बार बबेरू विधानसभा सीट से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने 2012 में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। हालांकि 2017 के चुनाव में उन्हें तीसरा स्थान प्राप्त हुआ, लेकिन 2022 में उन्होंने फिर से बबेरू सीट पर विजय प्राप्त कर अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता साबित की।
विशंभर सिंह यादव का राजनीतिक सफर न केवन उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि आज के दौर में जहां दलबदल आम बात हो गई है, वहां एक पार्टी के प्रति अटूट निष्ठा का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। समाजवादी विचारधारा के इस अडिग स्तंभ ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कभी भी सत्ता के लालच में पार्टी नहीं बदली, जो उन्हें वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में एक विरले नेता के रूप में स्थापित करता है।
- उनके राजनीतिक करियर में किसी अन्य दल से जुड़ाव का कोई उल्लेख नहीं मिलता, जो उन्हें “निष्ठावान विधायक” साबित करता है।
ओममणी वर्मा (नरैनी, भाजपा)
राजनीतिक यात्रा: ओममणी वर्मा का राजनीतिक सफर स्थानीय स्तर से शुरू। 2017 में उन्होंने नरैनी नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा और सपा प्रत्याशी रामकिशोर बाल्मीकि को हराकर जीत हासिल की। यह जीत न केवन उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर का महत्वपूर्ण मोड़ थी, बल्कि भाजपा के लिए स्थानीय स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि भी साबित हुई।
नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में ओममणी वर्मा ने स्थानीय विकास कार्यों में अहम भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में नरैनी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास, सफाई व्यवस्था में सुधार और जनसुविधाओं के विस्तार जैसे कार्यों ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। इसके अलावा, उन्होंने कोरी समाज के बीच भाजपा की पैठ मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे पार्टी को इस वर्ग का व्यापक समर्थन मिला।
2022 के विधानसभा चुनाव में ओममणी वर्मा ने नरैनी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
नगर पंचायत अध्यक्ष से विधायक तक के सफर में वे भाजपा विचारधारा से जुड़े रही हैं और उन्होंने कभी दलबदल नहीं किया है।
रामकेश निषाद (तिन्दवारी, भाजपा)
राजनीतिक यात्रा: रामकेश निषाद का राजनीतिक सफर 1996 में भाजपा में सक्रिय होने के साथ शुरू हुआ, जो आज एक मंत्री पद तक पहुंचा है। उनकी यह यात्रा संगठन के विभिन्न स्तरों पर काम करते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठने का एक अनूठा उदाहरण है।
2006 में वे मछुआरा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक बने, जिसके बाद 2010 में क्षेत्रीय संयोजक का दायित्व मिला। 2013 में जिला कार्यसमिति सदस्य और 2016 में भाजपा जिला उपाध्यक्ष बनकर उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया। 2018 में पिछड़ा मोर्चा के प्रदेश मंत्री और 2020 में भाजपा जिलाध्यक्ष बनने तक उन्होंने पार्टी के भीतर अपनी मजबूत पहचान बना ली थी।
2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें तिन्दवारी सीट से टिकट मिला, जहां उन्होंने निषाद समुदाय में अपनी मजबूत पकड़ का लाभ उठाते हुए सपा के पूर्व विधायक बृजेश कुमार प्रजापति को 28 हजार से अधिक वोटों से हराया। यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि तिन्दवारी सीट पर पारंपरिक रूप से क्षत्रिय वर्चस्व रहा है।
विधायक चुने जाने के बाद रामकेश निषाद को उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री का पद मिला, जो उनके दीर्घकालिक संघर्ष और राजनीतिक कौशल का परिणाम है।
- उन्होंने कभी दल नहीं बदला और पार्टी के प्रति वफादारी बनाए रखी, जो उन्हें “निष्ठावान विधायक” बनाती है।
निष्ठावान विधायक बनाम दलबदलू
क्रम संख्या | विधायक का नाम | विधानसभा क्षेत्र | पार्टी | राजनीतिक पृष्ठभूमि/दलबदल | निष्ठा का मूल्यांकन |
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1 | प्रकाश द्विवेदी | बांदा सदर | भारतीय जनता पार्टी | किसी अन्य दल से जुड़ाव नहीं | निष्ठावान विधायक |
2 | विशंभर सिंह यादव | बबेरू | समाजवादी पार्टी | किसी अन्य दल से जुड़ाव नहीं | निष्ठावान विधायक |
3 | ओममणी वर्मा | नरैनी | भारतीय जनता पार्टी | नगर पंचायत अध्यक्ष से भाजपा से ही जुड़ी रहीं | निष्ठावान विधायक |
4 | रामकेश निषाद | तिंदवारी | भारतीय जनता पार्टी | कभी दल नहीं बदला | निष्ठावान विधायक |
प्रकाश द्विवेदी, विशंभर सिंह यादव, ओममणी वर्मा, और रामकेश निषाद चारों विधायक अपने-अपने राजनीतिक दलों के प्रति पूर्णतः निष्ठावान रहे हैं। इनका राजनीतिक सफर बिना किसी दलबदल के, निरंतर एक विचारधारा से जुड़ा हुआ रहा है, जो उन्हें विश्वसनीय और पार्टी के प्रति समर्पित जनप्रतिनिधि बनाता है।
बांदा जिले की राजनीति में विधायक अपनी – अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं । यह साबित करता है कि सिद्धांतों पर टिके रहना ही जनता का दीर्घकालिक विश्वास हासिल करता है।