आजमगढ़ जिले में विचारधारा : कौन हैं विचारधारा के प्रति समर्पित, कौन हैं ‘आया राम गया राम’?

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की दस विधानसभा सीटों—मुबारकपुर, मेहनगर, लालगंज, सगड़ी, निजामाबाद, अतरौलिया, आजमगढ़ सदर, दीदारगंज, फूलपुर पवई और गोपालपुर—पर वर्तमान विधायकों का राजनीतिक सफर विविधतापूर्ण रहा है। आजमगढ़ जिले में विचारधारा का दम दिखाने वाले अधिकांश नेताओं ने अपनी राजनीतिक विचारधारा के प्रति स्थिरता दिखाई है, जबकि कुछ ने समय-समय पर दल बदलकर ‘आया राम गया राम’ की परंपरा को आगे बढ़ाया है।

आजमगढ़ जिले में विचारधारा का दम दिखाने वाले विधायकों की लिस्ट आया राम गया राम चेहरे -Aaya Ram Gaya Ram MLAs of azamgarh 2022
आजमगढ़ जिले में विचारधारा का दम दिखाने वाले विधायकों की लिस्ट आया राम गया राम चेहरे -Aaya Ram Gaya Ram MLAs of azamgarh 2022

अखिलेश यादव (मुबारकपुर, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

अखिलेश यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 12वीं कक्षा में समाजवादी आंदोलन से जुड़कर की थी। 1994 में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) में औपचारिक रूप से शामिल होकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने सपा के टिकट पर मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली से हार गए। 2022 में उन्होंने भाजपा के अरविंद जायसवाल को हराकर जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

पूजा सरोज (मेहनगर, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

पूजा सरोज ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मेहनगर सीट से जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा की मंजू सरोज को 14,149 वोटों के अंतर से हराया। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जानी जाती हैं।

बेचई सरोज (लालगंज, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

बेचई सरोज ने 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लालगंज (अ0जा0) विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने। 2022 में उन्होंने फिर से सपा के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. हृदय  नारायण सिंह पटेल (सगड़ी, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

डॉ. हृदय  नारायण सिंह पटेल ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर सगड़ी सीट से जीत हासिल की। उनका विधायक का राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं। 2021 में डॉ एचएन सिंह पटेल भाजपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ के सह-संयोजक रहे। भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए, जिसके बाद उन्हें सगड़ी सीट से टिकट मिला।

राजनीतिक सफर में उन्हें ‘आया राम गया राम’ कहा जा सकता है, लेकिन विधायक बनने के बाद उन्होंने अपनी विचारधारा नहीं बदली।

आलम बदी (निजामाबाद, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

आलम बदी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर निजामाबाद सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

आलमबदी आज़मी ने 1996, 2002, 2012, 2017 और 2022 में विधायक के रूप में जीत दर्ज की। हालांकि 2007 में उन्हें बसपा प्रत्याशी अंगद यादव से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाद वे लगातार तीन बार विजयी रहे।

2012 और 2017 में बसपा प्रत्याशियों को हराया। 2022 में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देते हुए जीत हासिल की।

1996 से लेकर अब तक इस विधानसभा सीट से केवल दो नेता ही जीत सके हैं — आलमबदी आज़मी और अंगद यादव। इस सीट पर आलमबदी आज़मी का प्रभावशाली और स्थायी जनाधार रहा है। जहां कई नेता राजनीतिक लाभ के लिए दल बदलते रहे, वहीं वे हमेशा अपनी मूल पार्टी के साथ जुड़ी रहीं , विचारधारा के प्रति उनकी यह निष्ठा उन्हें विशिष्ट बनाती है।

डॉ. संग्राम यादव (अतरौलिया, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

डॉ. संग्राम यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अतरौलिया सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

डॉ. संग्राम यादव समाजवादी पार्टी के उन नेताओं में से हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही विचारधारा के प्रति निष्ठा बनाए रखी है। वे 2012 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए और इसके बाद 2017 तथा 2022 में भी लगातार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे।

डॉ. संग्राम यादव के पिता बलराम यादव, समाजवादी विचारधारा के प्रमुख स्तंभों में गिने जाते हैं। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं और उन्हें मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी और विश्वसनीय सहयोगी के रूप में जाना जाता रहा है। समाजवादी आंदोलन की जड़ों से जुड़े होने के कारण डॉ. संग्राम यादव को भी शुरू से ही राजनीतिक चेतना और समाजवाद की विचारधारा विरासत में मिली।

दुर्गा प्रसाद यादव (आजमगढ़ सदर, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

दुर्गा प्रसाद यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर आजमगढ़ सदर सीट से जीत हासिल की। 1996 से उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है.

दुर्गा प्रसाद यादव का चुनावी सफर एक लंबे और स्थिर राजनीतिक करियर की मिसाल है। उन्होंने 1985 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में की और पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की। 1993 के चुनाव में उन्हें तीसरे स्थान से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार से सबक लेते हुए 1996 में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद से वे लगातार समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े रहे और 1996, 2002, 2007, 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की। इस प्रकार दुर्गा प्रसाद यादव ने कुल नौ बार विधानसभा चुनाव जीता, जिसमें छह बार उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की।

निर्दलीय से जनता दल होते हुए 1996 से वे समाजवादी पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं। उनके राजनीतिक सफर को देखते हुए उन्हें ‘आया राम गया राम’ कहा जा सकता है।

कमलाकांत राजभर (दीदारगंज, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

कमलाकांत राजभर ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर दीदारगंज सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजभर समुदाय के वोटों को साधने के लिए एक बड़ा दांव खेला। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर से संपर्क साधा। सुखदेव राजभर ने एक पत्र लिखकर अखिलेश यादव से अनुरोध किया कि उनके पुत्र कमलाकांत राजभर को सपा में शामिल किया जाए और चुनाव में मौका दिया जाए। दुर्भाग्यवश, कुछ ही दिनों बाद सुखदेव राजभर का निधन हो गया। इसके बाद अखिलेश यादव ने दीदारगंज सीट से पूर्व विधायक आदिल शेख का टिकट काटकर कमलाकांत राजभर को उम्मीदवार घोषित किया। इस फैसले का पार्टी के भीतर विरोध भी हुआ, लेकिन अखिलेश यादव अपने निर्णय पर अडिग रहे। परिणामस्वरूप, 2022 के चुनाव में कमलाकांत राजभर ने सपा के टिकट पर जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे।

रमाकांत यादव (फूलपुर पवई, सपा) – ‘आया राम गया राम’ की मिसाल

रमाकांत यादव का राजनीतिक सफर विभिन्न दलों के साथ रहा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की, फिर बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 2022 में उन्होंने फिर से सपा के टिकट पर फूलपुर पवई सीट से जीत हासिल की। उनका यह दल-बदल ‘आया राम गया राम’ की परंपरा को दर्शाता है।

रामाकांत यादव का राजनीतिक सफर ‘आया राम गया राम’ की परिभाषा को चरितार्थ करता है। 1985 में उन्होंने निर्दलीय विधायक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद 1989 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1991 से 1993 तक समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक रहे। 1996 से 2004 के बीच वे कभी सपा तो कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सांसद चुने गए। 2009 में उन्होंने फिर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा और सांसद बने। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन हार गए। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर सपा में वापसी की और विधायक चुने गए। रामाकांत यादव का यह राजनीतिक सफर लगातार दलों के बीच झूलते रहने का प्रमाण है, जिससे वे निश्चित रूप से ‘आया राम गया राम’ की श्रेणी में आते हैं।

नफीस अहमद (गोपालपुर, सपा) – विचारधारा के प्रति समर्पित

नफीस अहमद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोपालपुर सीट से जीत हासिल की। उनका राजनीतिक सफर सपा के साथ ही रहा है, जिससे वे विचारधारा के प्रति समर्पित नेता के रूप में जाने जाते हैं।

फीस अहमद छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की मजबूत नींव रखी। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर गोपालपुर सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार कमला प्रसाद यादव को हराकर विधायक बने। इसके बाद 2022 में उन्होंने एक बार फिर सपा से चुनाव लड़ा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी सत्येंद्र राय को पराजित कर लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। फीस अहमद का सफर बताता है कि वे न केवल छात्र राजनीति में प्रभावशाली रहे हैं, बल्कि मुख्यधारा की राजनीति में भी उन्होंने अपना मजबूत स्थान बनाया है।

आजमगढ़ जिले में विचारधारा के प्रति समर्पण विधायक

आजमगढ़ जिले के दसों वर्तमान विधायक—अखिलेश यादव, पूजा सरोज, बेचई सरोज, डॉ. हैदय नारायण सिंह पटेल, आलम बदी, डॉ. संग्राम यादव, दुर्गा प्रसाद यादव, कमलाकांत राजभर, रमाकांत यादव और नफीस अहमद—में से अधिकांश ने अपने-अपने राजनीतिक दलों के प्रति स्थिरता और निष्ठा दिखाई है। रमाकांत यादव को छोड़कर अन्य सभी विधायक ‘आया राम गया राम’ की परंपरा से दूर रहे हैं और अपनी मूल विचारधारा के प्रति समर्पित हैं।

क्रमनेता का नामवर्तमान दल (2022)अब तक के राजनीतिक दलविचारधारा ?
1अखिलेश यादव (मुबारकपुर)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ, विचारधारा के प्रति समर्पित
2पूजा सरोज (मेहनगर)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ
3बेचई सरोज (लालगंज)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ
4डॉ. हृदय नारायण सिंह पटेल (सगड़ी)समाजवादी पार्टीभारतीय जनता पार्टी → समाजवादी पार्टीविचारधारा में परिवर्तन, पर अब सपा के प्रति समर्पित
5आलम बदी (निजामाबाद)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ
6डॉ. संग्राम यादव (अतरौलिया)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ
7दुर्गा प्रसाद यादव (आजमगढ़ सदर)समाजवादी पार्टीनिर्दलीय → जनता दल → समाजवादी पार्टी1996 से सपा के साथ
8कमलाकांत राजभर (दीदारगंज)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीसपा में नई एंट्री, लेकिन विचारधारा से जुड़े
9रमाकांत यादव (फूलपुर पवई)समाजवादी पार्टीनिर्दलीय → भाजपा → सपा → बसपा → भाजपा → कांग्रेस → समाजवादी पार्टीलगातार दल-बदल, ‘आया राम गया राम’ की मिसाल
10नफीस अहमद (गोपालपुर)समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टीहमेशा सपा के साथ, छात्र राजनीति से शुरुआत
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