बागपत जिले के वर्तमान विधायकों की राजनीतिक यात्रा में विभिन्न विचारधाराओं और दलों के प्रति उनकी निष्ठा का स्पष्ट चित्रण मिलता है। कुछ नेता अपनी मूल पार्टी के प्रति समर्पित रहे हैं, जबकि कुछ ने समय-समय पर विधायक दलबदलू ‘आया राम, गया राम’ की राजनीति को अपनाया है।
बागपत जिले के वर्तमान विधायकों का राजनीतिक विश्लेषण
1. योगेश धामा (विधायक, बागपत) – दल बदलू नेता ?
योगेश धामा का राजनीतिक सफर उनके छात्र जीवन की दहलीज़ से ही प्रारंभ हो गया था। वर्ष 1997 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के प्रतिनिधि के रूप में श्यामलाल कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष पद पर विजय प्राप्त की, जो उनके सार्वजनिक जीवन की पहली प्रमुख उपलब्धि थी। इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) से जुड़कर स्थानीय राजनीति में गहरी पैठ बनाई और 2005 से 2015 तक बागपत जिला पंचायत में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी रणनीतिक क्षमताओं का परिचय दिया। इस दौरान उन्होंने न केवल स्वयं को एक बार जिला पंचायत अध्यक्ष चुना बल्कि दो बार अपनी पत्नी रेणु धामा को इस पद पर पहुँचाने में भी कामयाबी हासिल की, जो उनकी संगठनात्मक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
नवंबर 2016 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के साथ ही उनके राजनीतिक करियर ने एक नया मुकाम हासिल किया। इस पार्टी से जुड़ाव ने न केवल उन्हें जिले की प्रमुख राजनीतिक धारा में स्थापित किया बल्कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बागपत सीट से भाजपा की ऐतिहासिक जीत का आधार भी बना। धामा का यह सफर उनकी रणनीतिक सोच और दल-संबंधों में लचीलेपन का प्रतीक है
- राजनीतिक शुरुआत: योगेश धामा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र संघ से की और बाद में रालोद के साथ जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- दल परिवर्तन: 2017 में उन्होंने रालोद छोड़कर भाजपा का दामन थामा और बागपत विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।
- विश्लेषण: योगेश धामा का रालोद से भाजपा में शामिल होना उन्हें ‘दल बदलू नेता’ की श्रेणी में रखता है। विधायक का दायित्व संभालने के बाद योगेश धामा ने कभी अपनी राजनीतिक वैचारिकता या दलगत निष्ठा से समझौता नहीं किया। उनके विधायकीय करियर में “आया राम-गया राम” की उथल-पुथल भरी राजनीति के लिए कोई स्थान नहीं रहा, बल्कि वे मूल विचारधारा और दलीय प्रतिबद्धता के प्रतीक बने रहे।
2. कृष्णपाल मलिक (विधायक, बड़ौत) – मूल विचारधारा वाले नेता
के पी मलिक साल 1988 में नगरपालिका बड़ौत से पहली बार सभासद बने. साल 1990 में वो नगरपालिका बड़ौत से चेयरमैन बने. इसके बाद साल 1996 में खाद्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उन्हें उत्तरी परिक्षेत्र के निदेशक के तौर पर नामित किया गया. 1999 में उप्र सरकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड के मेरठ व सहारनपुर मंडल के निर्विरोध निदेशक बने. 2004 में स्थानीय निकाय (प्राधिकारी क्षेत्र- मेरठ, ग़ाज़ियाबाद, बागपत, हापुड़) से सदस्य, विधान परिषद के रूप में निर्वाचित हुए .
इसके बाद केपी मलिक साल 2005 में लगातार तीसरी बार यूपी सहकारी ग्राम विकास बैंक के मेरठ व सहारनपुर मंडल के निर्विरोध निदेशक चुने गए. साल 2012 में नगरपालिका बड़ौत के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए. साल 2017 में उन्होंने बड़ौत विधानसभा सीट से बड़ी जीत हासिल की और विधायक बन गए. 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने रालोद प्रत्याशी जयवीर तोमर को हराकर बड़ौत सीट से जीत दर्ज की. इस बार उन्हें योगी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है.
- राजनीतिक सफर: कृष्णपाल मलिक ने 1988 में नगर पालिका परिषद, बड़ौत के सभासद के रूप में राजनीति में कदम रखा और 1990 में चेयरमैन बने। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया, जैसे कि 2004 में विधान परिषद सदस्य और 2017 व 2022 में बड़ौत विधानसभा से विधायक चुने गए।
- दल निष्ठा: उनका पूरा राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी के साथ रहा है।
- विश्लेषण: कृष्णपाल मलिक की पार्टी के प्रति स्थिरता उन्हें ‘मूल विचारधारा वाले नेता’ की श्रेणी में रखती है। केपी मलिक विधायक दलबदलू नहीं है।
3. डॉ. अजय कुमार (विधायक, छपरौली) – मूल विचारधारा वाले नेता
डॉ. अजय कुमार ने 1980 से 1982 के बीच युवा लोकदल के मंडल उपाध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की। 1983 में वे पंतनगर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष बने, जहां उन्होंने छात्र राजनीति में अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। वर्ष 2002 में उन्होंने छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद 2002 से 2007 तक उन्होंने विधानसभा की विभिन्न समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 2022 में एक बार फिर से विधायक चुना गया
- राजनीतिक शुरुआत: डॉ. अजय कुमार ने 1980-82 में युवा लोकदल के मण्डलीय उपाध्यक्ष के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। 2002 में उन्होंने रालोद के टिकट पर छपरौली से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने और 2022 में पुनः इसी सीट से विधायक चुने गए।
- दल निष्ठा: उनका पूरा राजनीतिक करियर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ रहा है।
- विश्लेषण: डॉ. अजय कुमार की पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें ‘मूल विचारधारा वाले नेता’ की श्रेणी में रखती है। अजय कुमार विधायक दलबदलू नहीं है।
बागपत जिले के वर्तमान विधायकों में से:
- विधायक दलबदलू : योगेश धामा (रालोद से भाजपा)
- मूल विचारधारा वाले नेता: कृष्णपाल मलिक (भाजपा), डॉ. अजय कुमार (रालोद)
बागपत जिले में अधिकांश विधायक अपनी मूल पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे हैं, जबकि कुछ ने राजनीतिक लाभ के लिए दल बदल का रास्ता अपनाया है।