इटावा जनपद के अंतर्गत जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र (संख्या 199), इटावा विधानसभा क्षेत्र (संख्या 200) और भरथना विधानसभा क्षेत्र (संख्या 201) आते हैं. क्या आयाराम गयाराम विधायक इटावा में भी है ?

जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक शिवपाल सिंह यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। वे लंबे समय से समाजवादी विचारधारा से जुड़े हुए हैं और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। वे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के संस्थापक भी रहे हैं और बाद में समाजवादी पार्टी में पुनः शामिल होकर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

भरथना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व राघवेंद्र कुमार सिंह करते हैं, जो समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए हैं।

इटावा सदर विधानसभा क्षेत्र की विधायक सरिता भदौरिया भी भारतीय जनता पार्टी से हैं .

आयाराम गयाराम विधायक इटावा: इटावा जिले के विधायकों की पूरी राजनीतिक यात्रा

शिवपाल सिंह यादव – जसवंतनगर

शिवपाल सिंह यादव का राजनीतिक सफर समाजवादी पार्टी (सपा) से शुरू हुआ। वह इटावा जिले के जसवंतनगर सीट से कई बार विधायक रहे हैं। 2018 में उन्होंने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई, लेकिन 2022 के चुनाव में फिर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। उनका यह राजनीतिक बदलाव “आयाराम गयाराम” के संदर्भ में एक प्रमुख उदाहरण बनता है। उन्होंने सपा से दूरी भी बनाई और वापसी भी की, जिससे उनकी राजनीतिक रणनीति की परिपक्वता स्पष्ट होती है।

सरिता भदौरिया – सदर (इटावा)

सरिता भदौरिया ने भाजपा के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और वह लगातार उसी पार्टी में बनी रहीं। उन्होंने महिला मोर्चा की जिम्मेदारी से लेकर विधायक बनने तक की यात्रा भाजपा के ही बैनर तले तय की। उनकी विचारधारा में कोई बदलाव नहीं हुआ, जिससे वे मूल विचारधारा वाली नेता के रूप में जानी जाती हैं।

रघुवेंद्र कुमार सिंह – भरथना

रघुवेंद्र कुमार सिंह भी समाजवादी पार्टी के विधायक हैं और उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से की थी।

उन्होंने वर्ष 2000 से 2005 तक ग्राम पंचायत कुँअरा के प्रधान के रूप में कार्य किया। इसके बाद 2004 में उन्हें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जिला सचिव नियुक्त किया गया और 2006 से 2009 तक वे बसपा के जिला अध्यक्ष के पद पर रहे। इस दौरान वे कानपुर मंडल के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर भी रहे।

2012 और 2017 में उन्होंने भरथना विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। पहली बार उन्हें 67,999 और दूसरी बार 61,883 वोट मिले, लेकिन जीत नहीं मिली।

राजनीतिक बदलाव करते हुए 2021 में उन्होंने बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) जॉइन की। इससे पहले 2020 में ही वे अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव के समक्ष शामिल हुए थे। उनकी बढ़ती लोकप्रियता का प्रमाण तब मिला जब पंचायत चुनाव में उनके पुत्र दीपांशु गौतम ने सपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत लिया।

2022 विधानसभा चुनाव में राघवेंद्र कुमार सिंह ने सपा उम्मीदवार के रूप में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सिद्धार्थ शंकर को 7,559 वोटों से हराकर भरथना सीट से जीत हासिल की।

राघवेंद्र कुमार सिंह की राजनीति “आयाराम-गयाराम” की उस संस्कृति को दर्शाती है.

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें