लखनऊ नगर निगम में 8500 करोड़ का घोटाला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि टेंडर में 8500 करोड़ रुपए का घोटाला नियमों को ताख पर रखकर किया है। नगर निगम ने अपने चहेतों को टेंडर देकर भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों में पैसे की बंदरबांट की है। (8500 crore scam)
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- पिछले 5 सालों में कई बार सड़कें बनी और टूटी।
- इसके नाम पर सरकारी की धन को भ्रष्ट अफसरों ने खूब लूटा।
- तत्कालीन महापौर ने भी शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं की।
- इतना ही नहीं नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने 3000 आरटीआई, प्रथम अपील का भी जवाब नहीं दिया।
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निदेशक सूडा ने दबाई घोटाले की जांच
- आम आदमी पार्टी लखनऊ के पूर्व जिला संयोजक गौरव माहेश्वरी के द्वारा आरटीआई के माध्यम से पूर्व में नगर निगम में 8500 करोड़ के टेंडर घोटाले का खुलासा किया गया था।
- इसके पश्चात् नगर आयुक्त उदयराज सिंह द्वारा निदेशक सूडा को जाँच अधिकारी नामित किया गया था और एक सप्ताह का समय देकर आरोपियों के खिलाफ जांच कर दण्डित करने का निर्देश दिया गया था। (8500 crore scam)
- इस टेंडर घोटाले में मुख्य रूप से टेंडर कमिटी के सदस्यों के खिलाफ जाँच के आदेश दिए गए थे जिसमें ये शामिल थे।
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- शिव कुमार गुप्ता (तत्कालीन मुख्य अभियंता सिविल),
- बी.एल.गुप्ता (तत्कालीन अधिशासी अभियंता सिविल)
- कमलजीत सिंह (तत्कालीन अधिशासी अभियंता सिविल)
- राजवीर सिंह (तत्कालीन अधिशासी अभियंता)
- मनीष अवस्थी (तत्कालीन अधिशासी अभियंता)
- डी.डी.गुप्ता (तत्कालीन अधिशासी अभियंता ट्रैफिक)
- हरीराम (तत्कालीन अधिशासी अभियंता सिविल)
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- इन अधिकारियों ने 8500 करोड़ के टेंडरों को बिना किसी समाचार पत्र में प्रकाशित किये ही कमीशन लेकर अपनी मर्जी से टेंडर दे दिए।
- गौरव महेश्वरी द्वारा इस घोटाले का खुलासा करने के बाद नगर निगम द्वारा उन्हीं लोगों को जाँच अधिकारी नामित कर जाँच कमिटी बनाई गई जो लोग इस घोटाले में दोषी थे।
- इससे पता चलता है की टेंडर घोटाले के आरोपियों को बचाने और जाँच की लीपापोती करने के उद्येश्य से इस जाँच कमिटी का गठन किया गया।
- गौरव महेश्वरी ने बताया कि इसी घोटाले में नगर आयुक्त उदयराज सिंह द्वारा निदेशक सूडा को जाँच अधिकारी नामित कर दिनांक 22.05.2017 को एक पत्र दिया गया था।
- जिसमें एक सप्ताह में जाँच पूरी करने का निर्देश दिया गया था।
- लेकिन कई महीनों बाद भी जाँच का कोई परिणाम नहीं निकला और जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। (8500 crore scam)
- उन्होंने जाँच रिपोर्ट की प्रगति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस घोटाले में आरोपियों को बचाने और जांच को दबाने के लिए पूरा नगर निगम लामबंद नजर आ रहा है।
- उन्होंने कहा की शासन से आदेश के बावजूद निदेशक सूडा द्वारा जिस तरह से जांच को दबाया जा रहा है।
- उससे पता चलता है कि नगर निगम में निम्न से लेकर उच्चस्तर तक किस तरह से भ्रष्टाचार व्याप्त है।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.